जयललिता को मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
नई दिल्ली : जेल में बंद अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता को बड़ी राहत प्रदान करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में जमानत प्रदान कर दी। कोर्ट ने जयललिता को दो महीने की सशर्त जमानत दी है। गौर हो कि इस केस में जयललिता 28 सितंबर से बेंगलुरु की जेल में बंद हैं और इस मामले में जयललिता को बेंगलुरु की एक अदालत ने चार वर्ष कारावास की सजा सुनाई है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू के नेतृत्व वाली पीठ ने सजा पर रोक लगाई, साथ ही जयललिता को चेताया कि वह कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थगन मांग कर इस मामले को खींचने की कोशिश नहीं करें। पीठ ने जयललिता को दो महीने में उच्च न्यायालय में अपनी अपील के सभी तथ्य एवं बहस से जुड़ी सामग्री (पेपरबुक) पेश करने का निर्देश भी दिया। पीठ ने कहा कि अगर पेपरबुक दो महीने के भीतर पेश नहीं किया जाता है तब हम आपको एक दिन भी ज्यादा नहीं देंगे।
शीर्ष अदालत ने जमानत याचिका का निपटारा करने से इंकार करते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तय कर दी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जयललिता उसके आदेश का पालन करें। पीठ ने यह भी कहा कि वह उच्च न्यायालय से उनकी अपील का निपटारा तीन महीने के भीतर करने को कहेंगे। इस मामले की एक घंटे तक चली सुनवाई में शुरू में शीर्ष अदालत की पीठ ने जयललिता को जमानत देने पर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि उन्होंने मामले की सुनवाई में कई वर्ष की देरी कर दी और अगर उन्हें जमानत पर बाहर आने की अनुमति दी जाती है तब अपील पर फैसले में दो दशक लग जायेंगे।
जयललिता की ओर से उपस्थित होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने शीर्ष अदालत को अश्वस्त किया कि मामले में देरी नहीं की जायेगी। वह शपथपत्र देने को तैयार है कि उच्च न्यायालय में उनकी ओर से कोई स्थगन नहीं मांगा जाएगा। नरीमन ने पीठ से कहा कि मैं दायित्व लेता हूं कि उच्च न्यायालय में अपील पर सुनवाई के दौरान कोई देरी नहीं की जायेगी। यह कोई खेल नहीं है। पहले यह खेल जरूर रहा होगा। आप मेरा बयान दर्ज कर सकते हैं। शीर्ष अदालत ने जयललिता की करीबी शशिकला और उनके रिश्तेदार वीएन सुधाकरण, पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त दत्तक पुत्र और इलावरासी को भी जमानत दे दी। उच्चतम न्यायालय में जमानत देने की वकालत करते हुए जयललिता ने कहा कि जब तक उच्च न्यायालय में उनकी अपील पर कोई फैसला नहीं होता है तब तक दो-तीन महीने के लिए वह घर में कैद रहने को तैयार हैं। पीठ ने नरीमन से पूछा कि उनकी अपील पर सुनवाई पूरी करने में कितने महीने लगेंगे। नरीमन ने जवाब दिया कि उन्हें पेपरबुक जमा करने में छह सप्ताह का समय लगेगा क्योंकि पेपरबुक 5000 पन्नों का है जिसका अनुवाद करना होगा और उच्च न्यायालय में सुनवाई अगले वर्ष जनवरी के अंत या फरवरी तक ही पूरी हो सकती है।
जयललिता के खिलाफ शिकायत दायर करने वाले भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अन्नाद्रमुक प्रमुख की जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। स्वामी की शिकायत पर ही जयललिता के खिलाफ मामले की जांच हुई थी। स्वामी ने कहा कि यह असाधारण मामला है और उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने जयललिता की पाटी के कार्यकर्ताओं की ओर से कानून एवं व्यवस्था की समस्या पैदा करने पर भी सवाल उठाया। इसके बाद पीठ ने जयललिता को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से ऐसी स्थिति नहीं पैदा करने का निर्देश देने को कहा। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर उनके निर्देश पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं की ओर से समस्या पैदा किये जाने के बारे में जानकारी मिली तो वह इस पर गंभीर संज्ञान लेगी। भ्रष्टाचार के एक मामले में बेंगलूर की एक अदालत के चार वर्ष कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय से जमानत नहीं मिलने पर जयललिता ने नौ अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय में जमानत की याचिका दायर की थी।
अन्नाद्रमुक प्रमुख 27 सितंबर से ही जेल में हैं। उन्होंने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जहां उन्हें जमानत नहीं मिली थी। जयललिता ने तत्काल राहत के लिये विभिन्न आधार गिनाते हुये याचिका में कहा था कि इस मामले में उन्हे केवल चार साल जेल की सजा सुनाई गई है और उन्हें कई तरह की बीमारियां हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने जेल से बाहर आने के लिए खुद के वरिष्ठ नागरिक और महिला होने का भी हवाला दिया था।
उच्च न्यायालय में सात अक्तूबर को 66 वर्षीय जयललिता को जमानत नहीं मिली थी जबकि विशेष लोक अभियोजक ने उन्हें सशर्त जमानत देने का विरोध नहीं किया था। बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने जयललिता और तीन अन्य को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने अन्नाद्रमुक प्रमुख 100 करोड़ रुपये और अन्य तीन दोषियों पर 10.10 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू के नेतृत्व वाली पीठ ने सजा पर रोक लगाई, साथ ही जयललिता को चेताया कि वह कर्नाटक उच्च न्यायालय में स्थगन मांग कर इस मामले को खींचने की कोशिश नहीं करें। पीठ ने जयललिता को दो महीने में उच्च न्यायालय में अपनी अपील के सभी तथ्य एवं बहस से जुड़ी सामग्री (पेपरबुक) पेश करने का निर्देश भी दिया। पीठ ने कहा कि अगर पेपरबुक दो महीने के भीतर पेश नहीं किया जाता है तब हम आपको एक दिन भी ज्यादा नहीं देंगे।
शीर्ष अदालत ने जमानत याचिका का निपटारा करने से इंकार करते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तय कर दी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जयललिता उसके आदेश का पालन करें। पीठ ने यह भी कहा कि वह उच्च न्यायालय से उनकी अपील का निपटारा तीन महीने के भीतर करने को कहेंगे। इस मामले की एक घंटे तक चली सुनवाई में शुरू में शीर्ष अदालत की पीठ ने जयललिता को जमानत देने पर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि उन्होंने मामले की सुनवाई में कई वर्ष की देरी कर दी और अगर उन्हें जमानत पर बाहर आने की अनुमति दी जाती है तब अपील पर फैसले में दो दशक लग जायेंगे।
जयललिता की ओर से उपस्थित होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने शीर्ष अदालत को अश्वस्त किया कि मामले में देरी नहीं की जायेगी। वह शपथपत्र देने को तैयार है कि उच्च न्यायालय में उनकी ओर से कोई स्थगन नहीं मांगा जाएगा। नरीमन ने पीठ से कहा कि मैं दायित्व लेता हूं कि उच्च न्यायालय में अपील पर सुनवाई के दौरान कोई देरी नहीं की जायेगी। यह कोई खेल नहीं है। पहले यह खेल जरूर रहा होगा। आप मेरा बयान दर्ज कर सकते हैं। शीर्ष अदालत ने जयललिता की करीबी शशिकला और उनके रिश्तेदार वीएन सुधाकरण, पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त दत्तक पुत्र और इलावरासी को भी जमानत दे दी। उच्चतम न्यायालय में जमानत देने की वकालत करते हुए जयललिता ने कहा कि जब तक उच्च न्यायालय में उनकी अपील पर कोई फैसला नहीं होता है तब तक दो-तीन महीने के लिए वह घर में कैद रहने को तैयार हैं। पीठ ने नरीमन से पूछा कि उनकी अपील पर सुनवाई पूरी करने में कितने महीने लगेंगे। नरीमन ने जवाब दिया कि उन्हें पेपरबुक जमा करने में छह सप्ताह का समय लगेगा क्योंकि पेपरबुक 5000 पन्नों का है जिसका अनुवाद करना होगा और उच्च न्यायालय में सुनवाई अगले वर्ष जनवरी के अंत या फरवरी तक ही पूरी हो सकती है।
जयललिता के खिलाफ शिकायत दायर करने वाले भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अन्नाद्रमुक प्रमुख की जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। स्वामी की शिकायत पर ही जयललिता के खिलाफ मामले की जांच हुई थी। स्वामी ने कहा कि यह असाधारण मामला है और उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने जयललिता की पाटी के कार्यकर्ताओं की ओर से कानून एवं व्यवस्था की समस्या पैदा करने पर भी सवाल उठाया। इसके बाद पीठ ने जयललिता को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से ऐसी स्थिति नहीं पैदा करने का निर्देश देने को कहा। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर उनके निर्देश पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं की ओर से समस्या पैदा किये जाने के बारे में जानकारी मिली तो वह इस पर गंभीर संज्ञान लेगी। भ्रष्टाचार के एक मामले में बेंगलूर की एक अदालत के चार वर्ष कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय से जमानत नहीं मिलने पर जयललिता ने नौ अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय में जमानत की याचिका दायर की थी।
अन्नाद्रमुक प्रमुख 27 सितंबर से ही जेल में हैं। उन्होंने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जहां उन्हें जमानत नहीं मिली थी। जयललिता ने तत्काल राहत के लिये विभिन्न आधार गिनाते हुये याचिका में कहा था कि इस मामले में उन्हे केवल चार साल जेल की सजा सुनाई गई है और उन्हें कई तरह की बीमारियां हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने जेल से बाहर आने के लिए खुद के वरिष्ठ नागरिक और महिला होने का भी हवाला दिया था।
उच्च न्यायालय में सात अक्तूबर को 66 वर्षीय जयललिता को जमानत नहीं मिली थी जबकि विशेष लोक अभियोजक ने उन्हें सशर्त जमानत देने का विरोध नहीं किया था। बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने जयललिता और तीन अन्य को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने अन्नाद्रमुक प्रमुख 100 करोड़ रुपये और अन्य तीन दोषियों पर 10.10 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
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