कश्मीर में ISIS का झंडा लहराए जाने के बाद सेना चिंतित
श्रीनगर : कश्मीर में बीते दिनों आतंकी संगठन आईएसआईएस के झंडे लहराए जाने की घटना के बाद से सेना चिंता में है। सेना के एक आला अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में आईएसआईएस के झंडे लहराया जाना चिंता की बात है और सुरक्षा एजेंसियों को इस पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है ताकि घाटी के युवकों को जिहादी संगठन में शामिल होने के प्रलोभन से बचाया जा सके। सेना की 15 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने यह बात कही।
एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घाटी में जिहादी संगठन के झंडे दिखाई देने को ‘कुछ बेवकूफों’ की करतूत कहकर खारिज कर दिया था। लेफ्टिनेंट जनरल साहा ने कहा कि इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) की बड़ी संख्या में लोगों को आकषिर्त करने की क्षमता चिंता की वजह है। उन्होंने कहा कि अगर घाटी में युवकों को आतंकवाद के रास्ते से दूर रखना है तो उनके ‘समृद्धि के अधिकार’ को सुनिश्चित करने के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे।
साहा ने कहा कि आईएसआईएस झंडों का दिखाई देना (प्रदर्शनों के दौरान) चिंता पैदा करता है और कश्मीर के युवकों को प्रलोभन से बचाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करने की आईएसआईएस की क्षमता चिंता की बात है। फिलहाल माना जा रहा है कि आईएसआईएस के लिए 10,000 से 15,000 लोग संघर्ष कर रहे हैं। लड़ाकों द्वारा दिखाई गयी कट्टरता भी चिंता की एक वजह है। पिछले हफ्ते ईद की नमाज के बाद एक प्रदर्शनकारी को आईएसआईएस का झंडा लहराते हुए देखा गया था। जुलाई में भी घाटी में इसी तरह की घटना सामने आई थी। उमर ने कल दिल्ली में संवाददाताओं से कहा था कि आपको समझना चाहिए कि घाटी में अभी तक किसी आईएसआईएस समूह की पहचान नहीं हुई है। झंडा कुछ बेवकूफों ने लहराया था, जिसका यह मतलब नहीं है कि आईएसआईएस की कश्मीर में मौजूदगी है। दुर्भाग्य से कुछ चैनलों ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की और इसमें मेरा नाम खींचने की कोशिश की, जैसे कि हम इस बारे में कुछ कर ही नहीं रहे हों। उमर के बयान के बारे में पूछे जाने पर साहा ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री के बयान के बारे में जानकारी नहीं है।
साहा ने कश्मीर में आईएसआईएस में भर्ती युवकों की मौजूदगी या गैरमौजूदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी । हालांकि उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों से कुछ युवकों के इस संगठन में शामिल होने संबंधी खबरें चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि खबरों में आया है कि मुंबई और हैदराबाद के कुछ युवक आईएसआईएस में शामिल हुए हैं। कहीं और (ऑस्ट्रेलिया में) रह रहे कश्मीरी मूल के एक युवक तक के शामिल होने की खबर है। साहा ने कहा कि इस परिस्थिति में सुरक्षा एजेंसियों को कश्मीर में आईएसआईएस की विचारधारा को अपनाये जाने के बारे में मिल रहे किसी तरह के संकेतों को लेकर सतर्क रहना होगा क्योंकि आईएसआईएस की विचारधारा में ‘जातीय विभाजन’ की भी क्षमता है। उन्होंने कहा कि इस बात को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता कि आईएसआईएस को लेकर जमीनी स्तर पर कोई गतिविधि नहीं चल रही।
आईएसआईएस के प्रलोभन से युवकों को बचाने के लिए क्या कदम उठाने होंगे, इस पर सैन्य अधिकारी ने कहा कि सबसे बड़ा कदम यह सुनिश्चित करना होगा कि युवकों को सकारात्मक तरीके से व्यस्त किया जाए। साहा के अनुसार, युवकों के भविष्य को बचाने के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे। उनके समृद्धि के अधिकार को सुनिश्चित करना होगा। अगर ऐसा किया जाता है तो उन्हें इस दुष्प्रचार के प्रलोभन में आने से रोका जा सकेगा।
एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घाटी में जिहादी संगठन के झंडे दिखाई देने को ‘कुछ बेवकूफों’ की करतूत कहकर खारिज कर दिया था। लेफ्टिनेंट जनरल साहा ने कहा कि इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) की बड़ी संख्या में लोगों को आकषिर्त करने की क्षमता चिंता की वजह है। उन्होंने कहा कि अगर घाटी में युवकों को आतंकवाद के रास्ते से दूर रखना है तो उनके ‘समृद्धि के अधिकार’ को सुनिश्चित करने के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे।
साहा ने कहा कि आईएसआईएस झंडों का दिखाई देना (प्रदर्शनों के दौरान) चिंता पैदा करता है और कश्मीर के युवकों को प्रलोभन से बचाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करने की आईएसआईएस की क्षमता चिंता की बात है। फिलहाल माना जा रहा है कि आईएसआईएस के लिए 10,000 से 15,000 लोग संघर्ष कर रहे हैं। लड़ाकों द्वारा दिखाई गयी कट्टरता भी चिंता की एक वजह है। पिछले हफ्ते ईद की नमाज के बाद एक प्रदर्शनकारी को आईएसआईएस का झंडा लहराते हुए देखा गया था। जुलाई में भी घाटी में इसी तरह की घटना सामने आई थी। उमर ने कल दिल्ली में संवाददाताओं से कहा था कि आपको समझना चाहिए कि घाटी में अभी तक किसी आईएसआईएस समूह की पहचान नहीं हुई है। झंडा कुछ बेवकूफों ने लहराया था, जिसका यह मतलब नहीं है कि आईएसआईएस की कश्मीर में मौजूदगी है। दुर्भाग्य से कुछ चैनलों ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की और इसमें मेरा नाम खींचने की कोशिश की, जैसे कि हम इस बारे में कुछ कर ही नहीं रहे हों। उमर के बयान के बारे में पूछे जाने पर साहा ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री के बयान के बारे में जानकारी नहीं है।
साहा ने कश्मीर में आईएसआईएस में भर्ती युवकों की मौजूदगी या गैरमौजूदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी । हालांकि उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों से कुछ युवकों के इस संगठन में शामिल होने संबंधी खबरें चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि खबरों में आया है कि मुंबई और हैदराबाद के कुछ युवक आईएसआईएस में शामिल हुए हैं। कहीं और (ऑस्ट्रेलिया में) रह रहे कश्मीरी मूल के एक युवक तक के शामिल होने की खबर है। साहा ने कहा कि इस परिस्थिति में सुरक्षा एजेंसियों को कश्मीर में आईएसआईएस की विचारधारा को अपनाये जाने के बारे में मिल रहे किसी तरह के संकेतों को लेकर सतर्क रहना होगा क्योंकि आईएसआईएस की विचारधारा में ‘जातीय विभाजन’ की भी क्षमता है। उन्होंने कहा कि इस बात को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता कि आईएसआईएस को लेकर जमीनी स्तर पर कोई गतिविधि नहीं चल रही।
आईएसआईएस के प्रलोभन से युवकों को बचाने के लिए क्या कदम उठाने होंगे, इस पर सैन्य अधिकारी ने कहा कि सबसे बड़ा कदम यह सुनिश्चित करना होगा कि युवकों को सकारात्मक तरीके से व्यस्त किया जाए। साहा के अनुसार, युवकों के भविष्य को बचाने के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे। उनके समृद्धि के अधिकार को सुनिश्चित करना होगा। अगर ऐसा किया जाता है तो उन्हें इस दुष्प्रचार के प्रलोभन में आने से रोका जा सकेगा।
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