भारत की वृद्धि दर 2015 में 6.4 प्रतिशत रहेगी: नोमुरा
नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था का उच्च वृद्धि और निम्न मुद्रास्फीति (गोल्डीलॉक) का दौर शुरू होने वाला है और 2016 में यह एशिया की सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है। वैश्विक स्तर की वित्तीय सेवा प्रदान करने वाली कंपनी को उम्मीद है कि देश में उत्पादकता बढ़ाने वाले सुधार होंगे और 2015 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
नोमुरा के मुख्य अर्थशास्त्री रॉब सुब्बारमण ने कहा, ‘‘2015 में भारत के आर्थिक परिदृष्य के प्रति हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक है। हमारे अनुमान से जुड़े जोखिमों में नरम वैश्विक वृद्धि, जिंसों की ऊंची कीमत, घरेलू पूंजी व्यय चक्र की कमजोर शुरूआत और पूंजी प्रवाह विशेष तौर पर ऋण प्रवाह में भारी कमी शामिल है।’’
नोमुरा ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक दर 2015 में बढ़कर 6.4 प्रतिशत हो जाएगी जो 2014 में 5.2 प्रतिशत थी और 2016 में यह बढ़कर 6.8 प्रतिशत हो जाएगी।’’ नोमुरा के भारत से जुड़े मिश्रित सूचकांक से संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था में अपना न्यूनतम स्तर छू लिया है और यह व्यापार चक्र में सुधार के शुरूआती चरण में है।
नामुरा की अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा, ‘‘हमारे विचार से अगला दौर कम मुद्रास्फीति और उच्च वृद्धि का है। भारत के परिदृश्य के लिए घरेलू से ज्यादा वैश्विक हालात जोखिम पैदा कर सकते हैं।’’
नोमुरा के मुख्य अर्थशास्त्री रॉब सुब्बारमण ने कहा, ‘‘2015 में भारत के आर्थिक परिदृष्य के प्रति हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक है। हमारे अनुमान से जुड़े जोखिमों में नरम वैश्विक वृद्धि, जिंसों की ऊंची कीमत, घरेलू पूंजी व्यय चक्र की कमजोर शुरूआत और पूंजी प्रवाह विशेष तौर पर ऋण प्रवाह में भारी कमी शामिल है।’’
नोमुरा ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक दर 2015 में बढ़कर 6.4 प्रतिशत हो जाएगी जो 2014 में 5.2 प्रतिशत थी और 2016 में यह बढ़कर 6.8 प्रतिशत हो जाएगी।’’ नोमुरा के भारत से जुड़े मिश्रित सूचकांक से संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था में अपना न्यूनतम स्तर छू लिया है और यह व्यापार चक्र में सुधार के शुरूआती चरण में है।
नामुरा की अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा, ‘‘हमारे विचार से अगला दौर कम मुद्रास्फीति और उच्च वृद्धि का है। भारत के परिदृश्य के लिए घरेलू से ज्यादा वैश्विक हालात जोखिम पैदा कर सकते हैं।’’

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