मनमोहन सिंह से पूछताछ की नहीं थी अनुमति : सीबीआई
नई दिल्ली
: सीबीआई ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत
को मंगलवार को बताया कि उसे कोयला मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पूछताछ की अनुमति नहीं थी।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने एजेंसी से पूछा, ‘क्या आपको नहीं लगता कि इस मामले में तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ जरूरी थी? क्या आपको उनसे पूछताछ की जरूरत महसूस नहीं हुयी? क्या आपको नहीं लगता कि एक स्पष्ट तस्वीर पेश करने के लिए उनका बयान जरूरी था?’ इस पर जांचकर्ता अधिकारी ने अदालत को बताया कि शीर्ष उद्योगपति के एम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख की संलिप्तता वाले कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले की जांच के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों से पूछताछ की गई थी और यह पाया गया था कि तत्कालीन कोयला मंत्री का बयान जरूरी नहीं था।
बहरहाल, उन्होंने यह बात स्पष्ट की कि तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ की अनुमति नहीं दी गई थी। बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को जब 2005 में ओडिशा के तालाबीरा द्वितीय और तृतीय में कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए , तब कोयला मंत्रालय का प्रभार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था।
जांचकर्ता अधिकारी ने कहा, ‘पीएमओ के अधिकारियों से पूछताछ की गई थी। पीएमओ के अधिकारियों के बयान के आलोक में तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ नहीं की गई।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ की अनुमति नहीं थी। यह पाया गया था कि उनका बयान जरूरी नहीं है।’
विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने एजेंसी से पूछा, ‘क्या आपको नहीं लगता कि इस मामले में तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ जरूरी थी? क्या आपको उनसे पूछताछ की जरूरत महसूस नहीं हुयी? क्या आपको नहीं लगता कि एक स्पष्ट तस्वीर पेश करने के लिए उनका बयान जरूरी था?’ इस पर जांचकर्ता अधिकारी ने अदालत को बताया कि शीर्ष उद्योगपति के एम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख की संलिप्तता वाले कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले की जांच के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों से पूछताछ की गई थी और यह पाया गया था कि तत्कालीन कोयला मंत्री का बयान जरूरी नहीं था।
बहरहाल, उन्होंने यह बात स्पष्ट की कि तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ की अनुमति नहीं दी गई थी। बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को जब 2005 में ओडिशा के तालाबीरा द्वितीय और तृतीय में कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए , तब कोयला मंत्रालय का प्रभार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था।
जांचकर्ता अधिकारी ने कहा, ‘पीएमओ के अधिकारियों से पूछताछ की गई थी। पीएमओ के अधिकारियों के बयान के आलोक में तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ नहीं की गई।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘तत्कालीन कोयला मंत्री से पूछताछ की अनुमति नहीं थी। यह पाया गया था कि उनका बयान जरूरी नहीं है।’

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