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खुले बाजार और गुजरात विकास मॉडल के समर्थक अर्थशास्त्री हैं पनगढ़िया

नई दिल्ली : नवगठित नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया खुले बाजार के समर्थक अर्थशास्त्री हैं। अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय के 62 वर्षीय प्रोफेसर पनगढ़िया ‘आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिये गुजरात मॉडल के प्रखर समर्थक रहे हैं।’ भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री पनगढ़िया विश्व व्यापार क्षेत्र के विद्वान अर्थशास्त्री जगदीश भगवती के नजदीकी सहयोगी हैं। दोनों ने ही भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के विचारों को खुली चुनौती दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय क्षितिज पर उभरने के पहले से ही पनगढ़िया गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी की आर्थिक नीतियों का समर्थन करते रहे थे।

पनगढ़िया और भगवती द्वारा संयुक्त रप से लिखी गई पुस्तक ‘इंडियाज ट्रस्ट विद् डेस्टिनी : डिबंकिंग मिथ्स दैट अंडरमाइन प्रोग्रेस एण्ड एड्रसिंग न्यू चैलेंजिज’, इसमें ‘गुजरात माडल’’ का जुमला इस्तेमाल किया गया जो विकास के ऐसे माडल का प्रतीक है जो मुख्य रप से उच्च वृद्धि और निजी उद्यमिता को बढ़ा कर विकास के लक्ष्यों को हासिल करने वाला माडल है। इन दोनों ने ‘केरल के विकास नमूने’ को प्राथमिक तौर पर पुनर्वितरण और राज्य द्वारा चलाये जाने वाला विकास मॉडल बताया।

पिछले साल संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान मोदी के गुजरात मॉडल को उनकी पार्टी ने अपना मुख्य एजेंडा बनाया। सेन ने उस समय कहा था कि भारत को आर्थिक वृद्धि के वास्ते लोगों की उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिये सामाजिक ढांचागत परियोजनाओं पर अधिक निवेश करना चाहिये।

अमेरिका के प्रिंसटोन विश्वविद्यालय से पीएचडी डिग्री धारक पनगढ़िया वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये अधिक पूंजी व्यय के भी समर्थक रहे हैं। वह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में भी ढील देने की वकालत करते रहे हैं। वर्तमान में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पनगढ़िया इससे पहले एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री भी रहे। वह कालेज पार्क, मेरीलैंड यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र केन्द्र में प्रोफेसर और सह-निदेशक के रूप में भी काम कर चुके हैं।

अर्थशास्त्र के इस प्रोफेसर ने विश्वबैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व व्यापार संगठन और व्यापार एवं विकास के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (अंकटाड) में भी विभिन्न पदों पर कार्य किया है। पनगढ़िया ने स्नातक की पढ़ाई राजस्थान विश्वविद्यालय से की और उन्होंने जगदीश भगवती के साथ आर्थिक वृद्धि को लेकर एक पुस्तक सहित 15 किताबें लिखीं हैं। सरकार ने इससे पहले अरविंद पनगढ़िया को पदम् भूषण से भी सम्मानित किया है।

राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार में सलाहकार रहे पनगढ़िया को राज्य में श्रम सुधारों का बड़ा समर्थक माना जाता है। सरकार ने पनगढ़िया को नीति आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त करने के साथ ही बिबेक देबरॉय और रक्षा अनुसंधान एवं विकास के पूर्व सचिव वी.के. सारस्वत को आयोग का सदस्य नियुक्त भी किया है।

कैंब्रिज से शिक्षा प्राप्त देबराय भारत सरकार में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। देबरॉय राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कंटेंपररी स्टडीज के निदेशक भी रह चुके हैं। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में सलाहकार और पीएचडी उद्योग मंडल के महासचिव भी रह चुके हैं। सारस्वत, भारतीय वैज्ञानिक हैं और रक्षा मंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रह चुके हैं। पदम्श्री पुरसकार से सम्मानित सारस्वत देश के पृथ्वी मिसाइल कार्यक्रम और उसके भारतीय सशस्त्र सेना में शामिल करने से जुड़े रहे हैं। वह मई 2013 में सेवानिवृत हुये हैं।

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