हिंदुत्व टिप्पणियों, धर्मांतरण से NDA की उम्मीदों को हो रहा नुकसान: उपेंद्र कुशवाहा
नई दिल्ली : कट्टरपंथी हिंदुत्ववादियों की विवादास्पद टिप्पणियों और धर्मांतरण के कारण सरकार के भीतर बढ़ती बेचैनी का संकेत देते हुए एक वरिष्ठ केंद्रीय नेता ने आज कहा कि इस तरह के मुद्दों से राजग की संभावनाओं को नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कश्मीर घाटी का उदाहरण देते हुए कहा कि इसी के चलते पार्टी वहां एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई। केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि वह धर्मांतरण रोकने के लिए किसी कानून के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि प्रलोभन और जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए पहले से ही प्रावधान हैं।
एक सवाल पर कि, क्या विकास के मुद्दे पर धर्मांतरण का मुद्दा भारी पड़ रहा है, कुशवाहा ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘निश्चित ही इसने ध्यान हटाया है। उन्हें (भगवा कट्टरपंथियों) यह ध्यान रखना चाहिए कि इस सरकार का एकमात्र एजेंडा विकास है। उन्हें सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह काम करने देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘हर समय विपक्ष को इस मुद्दे को उठाने का अवसर नहीं देना चाहिए। प्रधानमंत्री भी चाहते हैं कि केवल विकास पर ही ध्यान केंद्रित रहे।’ जदयू के पूर्व सांसद और लोकतांत्रिक समता पार्टी की अगुवाई कर रहे कुशवाहा ने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के साथ गठबंधन किया था। उन्हें यह भी लगता है कि इन मुद्दों को ज्यादा तूल नहीं दिया गया होता तो भाजपा कश्मीर घाटी में भी कुछ सीट जीत सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस प्रकार का व्यवहार नहीं रूका तो नुकसान होता रहेगा।
दिल्ली में आसन्न विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय मंत्री चेतावनी भरे लहजे में कहते हैं कि इस तरह के मुद्दे से संभावनाओं पर असर पड़ेगा और इसलिए, दिल्ली चुनाव के दौरान केवल विकास पर ही फोकस होना चाहिए। कुशवाहा ने कहा, ‘इस तरह की चर्चाओं से नुकसान होता है। यह हो चुका है। घाटी में प्रधानमंत्री मोदी को जितनी भीड़ सुनने को आयी, इससे मुमकिन था कि भाजपा कम से कम एक दो सीट जीत सकती थी।’
उन्होंने कहा, ‘मेरी राय में, यहां तक कि दिल्ली में भी फोकस सिर्फ विकास एजेंडा पर होना चाहिए। हमें लोगों की समस्याओं पर फोकस करना चाहिए ना कि भावोत्तेजक मुद्दे पर।’ केंद्रीय मंत्रियों (लोजपा के) रामविलास पासवान और नजमा हेपतुल्ला के बाद कुशवाहा ने भी धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए जाने के खिलाफ अपनी आपत्ति जतायी है।
उन्होंने कहा, ‘धर्मांतरण रोकने के लिए कोई कानून लाना गलत होगा। यह नहीं होना चाहिए। धर्म निजी पसंद का मामला है। हां, निश्चित तौर पर यह तब गलत होगा अगर किसी का जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण होता है।’
उन्होंने कश्मीर घाटी का उदाहरण देते हुए कहा कि इसी के चलते पार्टी वहां एक भी सीट हासिल नहीं कर पाई। केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि वह धर्मांतरण रोकने के लिए किसी कानून के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि प्रलोभन और जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए पहले से ही प्रावधान हैं।
एक सवाल पर कि, क्या विकास के मुद्दे पर धर्मांतरण का मुद्दा भारी पड़ रहा है, कुशवाहा ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘निश्चित ही इसने ध्यान हटाया है। उन्हें (भगवा कट्टरपंथियों) यह ध्यान रखना चाहिए कि इस सरकार का एकमात्र एजेंडा विकास है। उन्हें सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह काम करने देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘हर समय विपक्ष को इस मुद्दे को उठाने का अवसर नहीं देना चाहिए। प्रधानमंत्री भी चाहते हैं कि केवल विकास पर ही ध्यान केंद्रित रहे।’ जदयू के पूर्व सांसद और लोकतांत्रिक समता पार्टी की अगुवाई कर रहे कुशवाहा ने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के साथ गठबंधन किया था। उन्हें यह भी लगता है कि इन मुद्दों को ज्यादा तूल नहीं दिया गया होता तो भाजपा कश्मीर घाटी में भी कुछ सीट जीत सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस प्रकार का व्यवहार नहीं रूका तो नुकसान होता रहेगा।
दिल्ली में आसन्न विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय मंत्री चेतावनी भरे लहजे में कहते हैं कि इस तरह के मुद्दे से संभावनाओं पर असर पड़ेगा और इसलिए, दिल्ली चुनाव के दौरान केवल विकास पर ही फोकस होना चाहिए। कुशवाहा ने कहा, ‘इस तरह की चर्चाओं से नुकसान होता है। यह हो चुका है। घाटी में प्रधानमंत्री मोदी को जितनी भीड़ सुनने को आयी, इससे मुमकिन था कि भाजपा कम से कम एक दो सीट जीत सकती थी।’
उन्होंने कहा, ‘मेरी राय में, यहां तक कि दिल्ली में भी फोकस सिर्फ विकास एजेंडा पर होना चाहिए। हमें लोगों की समस्याओं पर फोकस करना चाहिए ना कि भावोत्तेजक मुद्दे पर।’ केंद्रीय मंत्रियों (लोजपा के) रामविलास पासवान और नजमा हेपतुल्ला के बाद कुशवाहा ने भी धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए जाने के खिलाफ अपनी आपत्ति जतायी है।
उन्होंने कहा, ‘धर्मांतरण रोकने के लिए कोई कानून लाना गलत होगा। यह नहीं होना चाहिए। धर्म निजी पसंद का मामला है। हां, निश्चित तौर पर यह तब गलत होगा अगर किसी का जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण होता है।’
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