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PM मोदी ने किया आसियान के साथ आतंक निरोधी सहयोग बढ़ाने का आह्वान

कुआलालंपुर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आसियान देशों के नेताओं और चीन तथा जापान के अपने समकक्षों से बातचीत के दौरान आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लडाई और दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय तथा समुद्री विवादों का जल्द समाधान किये जाने पर जोर दिया. पेरिस में पिछले सप्ताह हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री ने इस बुराई से निपटने की जरुरत को रेखांकित किया.

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और मेजबान मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक ने भी आज हुई अपनी मुलाकात में इस्लामिक स्टेट नामक आतंकी समूह द्वारा फैलायी जा रही नफरत की इस विचारधारा और बुराई के खिलाफ लडने का संकल्प किया. आसियान..भारत शिखर सम्मेलन में अपनी शुरुआती टिप्पणी में मोदी ने कहा, ‘‘आतंकवाद एक बडी वैश्विक चुनौती बनकर उभरा है जो हम सभी को प्रभावित कर रहा है.

हमारा आसियान के सदस्यों के साथ शानदार द्विपक्षीय सहयोग है. और हमें यह देखना चाहिए कि हम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को मंजूर करने की दिशा में सहयोग प्रदान करने समेत क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना सहयोग किस तरह बढा सकते हैं. ' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने चीनी समकक्ष ली क्विंग से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंध और साझा वैश्विक हितों से जुडे विषयों पर चर्चा की. प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि दोनों देशों को आतंकवाद के साझा खतरे से निपटने के लिए सामरिक समन्वय बढाना चाहिए. पेरिस और माली में हाल के आतंकी हमलों की निंदा करते हुए मोदी ने कहा कि आतंकवाद की बुराई मानवता के समक्ष सबसे बडी चुनौती है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने संवाददाताओं से कहा कि आसियान..भारत शिखर सम्मेलन से इतर हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बात की जरुरत है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपने राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर इस बुराई से निपटने के लिए एकजुट हो. मोदी ने कहा कि देशों को अपने राजनीतिक मतभेद भुला कर प्रभावितों की मदद के लिए साथ आना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों आतंकवाद के खतरे का सामना कर रहे हैं और इससे निपटने के लिए सामरिक समन्वय बढाने की जरुरत है. ली ने कहा कि चीन आतंकवाद के खिलाफ है और आतंकवाद पर दोनों देशों के बीच सहयोग से एशिया को और सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी.

मोदी ने आज अपने जापानी समकक्ष शिंजो अबे से भी अलग से मुलाकात की और जापान को ‘मेेक इन इंडिया' कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिये आमंत्रित किया. दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, समुद्री सुरक्षा और दक्षिण चीन सागर विवाद जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। मोदी और अबे ने आज मलेशिया की राजधानी में 13वें आसियान..भारत शिखर सम्मेलन से इतर दोपहर के भोज पर मुलाकात की. अबे ने कहा कि दुनिया में किसी भी अन्य द्विपक्षीय संबंधों की तुलना में भारत..जापान संबंधों में सबसे अधिक संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रुप से चाहते हैं कि भारत..जापान विशेष सामरिक एवं वैश्विक भागीदारी का विस्तार हो.

मोदी ने वैश्विक आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए आसियान के साथ सहयोग बढाने का आह्वान किया, साथ ही क्षेत्रीय विवादों का निपटारा शांतिपूर्ण तरीके से करने की जरुरत को भी रेखांकित किया.उन्होंने कहा, ‘‘ यह स्पष्ट था कि सुधार जरुरी है. हमने अपने आप से सवाल किया कि किसके लिए सुधार ? सुधार का लक्ष्य क्या हो ? क्या यह केवल जीडीपी की दर में वृद्धि के आकलन के लिए हो ? या समाज में बदलाव लाने के लिए हो. मेरा जवाब स्पष्ट है, हमें बदलाव लाने के लिए सुधार लाना है.
मोदी ने कहा, ‘‘ हमारा क्षेत्र जिस तरह से अनिश्चितता के दौर से निकलकर शांतिपूर्ण और खुशहाल भविष्य की ओर बढ रहा है, और ऐसे में हम इस क्षेत्र के स्वरुप को परिभाषित करने के लिए आसियान के नेतृत्व की ओर देख रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने 10 सदस्यीय समूह के साथ समुद्री सुरक्षा, समुद्री डकैती निरोधक एवं मानवीय और प्राकृतिक आपदा राहत जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग के लिए विशिष्ट योजना बनाने का भी सुझाव दिया. स्वरुप ने कहा कि मोदी ने अबे के साथ क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और समुद्री सुरक्षा तथा इस संदर्भ में दक्षिण चीन सागर के मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि दक्षिण चीन सागर के विवाद से जुडे सभी पक्ष दक्षिण चीन सागर में पक्षों के आचार व्यवहार संबंधी घोषणा को लागू करने के दिशानिर्देशों का पालन करें और सर्वानुमति के आधार पर जल्द से जल्द एक आचार संहिता को अपनाने के प्रयासों को दोगुना करें. मोदी ने कहा कि भारत नौवहन, उडानों और निर्बाध वाणिज्य की स्वतंत्रता के आसियान के विचार को साझा करता है जो 1982 के संयुक्त राष्ट्र के समुद्र के कानूनों पर संधि और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के स्वीकार्य सिद्धांतों के अनुरुप है. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय विवादों का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से ही होना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनके पिछले 18 महीनों के शासन में जीडीपी बढा है और मुद्रास्फीति घटी है और उनके आर्थिक सुधारों का लक्ष्य केवल जीडीपी में वृद्धि लाना नहीं बल्कि समाज में बदलाव लाना है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य आसमान की उंचाइयों को छूते हुए जिंदगियों में बदलाव लाना है. आसियान कारोबार और निवेश शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मई 2014 में जब भाजपा नीत सरकार सत्ता में आई तब अर्थव्यवस्था उच्च राजकोषीय और चालू खाता घाटे से जूझ रही थी और आधारभूत संरचना परियोजना रुकी हुई थी तथा मुद्रास्फीति लगातार बनी हुई थी.

मोदी ने कहा, ‘‘ विकास के लाभ को उन क्षेत्रों तक ले जाना होगा जो इससे वंचित हैं. इसे आबादी के निचले स्तर तक ले जाना होगा. हमें आसमान की उंचाइयों को छूते हुए जिंदगियों में बदलाव लाना होगा' उन्होंने कहा, ‘‘ सुधार अपने आप में कोई अंतिम बिंदु नहीं है. सुधार लम्बी यात्रा के गंतव्य की ओर बढने का एक मार्ग है.लक्ष्य भारत में बदलाव लाना है. ' प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 18 महीने के हमारे कार्य से यह सुनिश्चित हुआ है कि जीडीपी वृद्धि दर उपर गयी है और मुद्रास्फीति नीचे आई है... विदेशी निवेश उपर गया है और चालू खाता घाटा नीचे आया है... कर राजस्व उपर गया है और ब्याज दर नीचे आई है, राजकोषीय घाटा नीचे गया है और रुपया स्थिर हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार उन रुकावटों को दूर करने का प्रयास कर रही है जो वृद्धि की प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने पारदर्शी और सुस्पष्ट कर व्यवस्था के साथ बौद्धिक संपदा अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करने का संकल्प भी व्यक्त किया. मोदी ने भारत और आसियान के बीच भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी से संबंधित परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए एक अरब डालर की रिण सुविधा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया. भारत..आसियान शिखर सम्मेलन के प्रारंभिक संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कनेक्टिविटी साझा खुशहाली का रास्ता है. भारत..म्यामां..थाईलैंड त्रिपक्षीय हाईवे परियोजना की प्रगति की स्थिति अच्छी है और इसे 2018 तक बन जाना चाहिए.'

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