मुख्यमंत्री शिवराज पर फूटा बाढ़ पीड़ितों का गुस्सा कहा: अब क्या लेने-देने आए हो
रीवा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार रात 11:30 बजे बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हाल जानने रीवा पहुंचे। रात्रि विश्राम के बाद मुख्यमंत्री आज रविवार की सुबह से ही रीवा के शहरी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचने लगे। अधिकांश क्षेत्रों में मुख्यमंत्री और प्रशासन का विरोध किया गया।
मुख्यमंत्री राहत केन्द्र में पहुंचते केबिनेट मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के साथ अपने हांथों से बाढ़ग्रस्त लोगों को खाना परोसने लगे। इसके बाद मुख्यमंत्री ने बाढ़ पीड़ित लोगों को आश्वस्त किया और कहा गया कि सभी के नुकसान की भरपाई होगी, केन्द्र, राज्य सरकार एवं प्रशासन आपके साथ है।
यहां हुआ विरोध
इससे पहले कि मुख्यमंत्री बांसघाट पहुंचते, महापौर ममता गुप्ता वहां पहुंच गई परंतु निवासियों ने महापौर का विरोध किया, जिससे महापौर ममता गुप्ता वहां से उल्टे पांव अपने वाहन से वापस आ गई।
इसके बाद मुख्यमंत्री पद्मधर काॅलोनी, ढेकहा गए जहां पर मुख्यमंत्री का मोहल्लेवासियों द्वारा भारी विरोध किया गया, और कहा गया कि ‘जब लोग कराह रहे थे, तब आप सब कहां थे, अब क्या लेने-देने आए हो’।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के आने के कुछ समय पूर्व ही ढेकहा मोहल्ले में सफाई कराई गई थी, वह भी मात्र उन स्थानों में जहां-जहां मुख्यमंत्री का दौरा था, इस पर मोहल्लेवासी और अधिक आक्रोश में आ गए थे।
बताया जा रहा है कि बाढ़ के दौरान न ही किसी प्रकार की सहायता की गई एवं न ही कोई आश्वासन दिया गया। जब बाढ़ का पानी उतरा तब सभी लोग अपनी सहानुभूति दिखाने आने लगे। पेय जल एवं बिजली की सप्लाई भी बन्द थी, मुख्यमंत्री के आने के पहले बिजली तो चालू कर दी गई, परंतु पेय जल हेतु जो टैंकर आया वह काॅलोनी के शुरूआत में ही आकर कुछ लोगों को पानी देकर लौट गया, जबकि ढेकहा शत प्रतिशत बाढ़ग्रस्त रहा एवं हजारों की बस्ती है।
भारी आक्रोश व्याप्त
बाढ़ पीड़ितों में शासन प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त रहा। बिछिया के निवासियों ने बताया कि यहां पर शासन प्रशासन का कोई अधिकारी-कर्मचारी, मंत्री, पार्षद, नेता किसी ने भी बाढ़ के दौरान मदद के लिए हांथ नही बढ़ाया और जब पानी निकल गया तब लोग सहानुभूति दिखाने आने लगे।
सेना ने की औपचारिक मदद
बताया जा रहा है कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आए सेना के जवानों ने वैसे तो कई लोगों की जान बचाई परंतु जब बाढ़ राहत हेतु वे नाव के जरिए काॅलोनियों में पहुंचे अधिकांश लोगों को अनदेखा कर दिया, अधिकांश पीड़ितों को सेना के जवानों द्वारा राहत फूड पैकेज नही बांटा गया। राहत फूड पैकेज में पानी, बिस्किट एवं पोहा था, परंतु सेना द्वारा पैकेज बांटने के दौरान कहा गया कि "पोहा और बिस्किट हमारे लिए है"।
सेना हमारे देश की शान है, हर आपदा में हमारी सहायता करती है, परंतु सेना द्वारा इस तरह का बाढ़ पीड़ितों के साथ किया गया दुव्र्यवहार पीड़ितों को रास नही आया।
मुख्यमंत्री राहत केन्द्र में पहुंचते केबिनेट मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के साथ अपने हांथों से बाढ़ग्रस्त लोगों को खाना परोसने लगे। इसके बाद मुख्यमंत्री ने बाढ़ पीड़ित लोगों को आश्वस्त किया और कहा गया कि सभी के नुकसान की भरपाई होगी, केन्द्र, राज्य सरकार एवं प्रशासन आपके साथ है।
यहां हुआ विरोध
इससे पहले कि मुख्यमंत्री बांसघाट पहुंचते, महापौर ममता गुप्ता वहां पहुंच गई परंतु निवासियों ने महापौर का विरोध किया, जिससे महापौर ममता गुप्ता वहां से उल्टे पांव अपने वाहन से वापस आ गई।
इसके बाद मुख्यमंत्री पद्मधर काॅलोनी, ढेकहा गए जहां पर मुख्यमंत्री का मोहल्लेवासियों द्वारा भारी विरोध किया गया, और कहा गया कि ‘जब लोग कराह रहे थे, तब आप सब कहां थे, अब क्या लेने-देने आए हो’।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के आने के कुछ समय पूर्व ही ढेकहा मोहल्ले में सफाई कराई गई थी, वह भी मात्र उन स्थानों में जहां-जहां मुख्यमंत्री का दौरा था, इस पर मोहल्लेवासी और अधिक आक्रोश में आ गए थे।
बताया जा रहा है कि बाढ़ के दौरान न ही किसी प्रकार की सहायता की गई एवं न ही कोई आश्वासन दिया गया। जब बाढ़ का पानी उतरा तब सभी लोग अपनी सहानुभूति दिखाने आने लगे। पेय जल एवं बिजली की सप्लाई भी बन्द थी, मुख्यमंत्री के आने के पहले बिजली तो चालू कर दी गई, परंतु पेय जल हेतु जो टैंकर आया वह काॅलोनी के शुरूआत में ही आकर कुछ लोगों को पानी देकर लौट गया, जबकि ढेकहा शत प्रतिशत बाढ़ग्रस्त रहा एवं हजारों की बस्ती है।
भारी आक्रोश व्याप्त
बाढ़ पीड़ितों में शासन प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त रहा। बिछिया के निवासियों ने बताया कि यहां पर शासन प्रशासन का कोई अधिकारी-कर्मचारी, मंत्री, पार्षद, नेता किसी ने भी बाढ़ के दौरान मदद के लिए हांथ नही बढ़ाया और जब पानी निकल गया तब लोग सहानुभूति दिखाने आने लगे।
सेना ने की औपचारिक मदद
बताया जा रहा है कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आए सेना के जवानों ने वैसे तो कई लोगों की जान बचाई परंतु जब बाढ़ राहत हेतु वे नाव के जरिए काॅलोनियों में पहुंचे अधिकांश लोगों को अनदेखा कर दिया, अधिकांश पीड़ितों को सेना के जवानों द्वारा राहत फूड पैकेज नही बांटा गया। राहत फूड पैकेज में पानी, बिस्किट एवं पोहा था, परंतु सेना द्वारा पैकेज बांटने के दौरान कहा गया कि "पोहा और बिस्किट हमारे लिए है"।
सेना हमारे देश की शान है, हर आपदा में हमारी सहायता करती है, परंतु सेना द्वारा इस तरह का बाढ़ पीड़ितों के साथ किया गया दुव्र्यवहार पीड़ितों को रास नही आया।
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