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पैरालिंपिक में दीपा मलिक ने सिल्वर जीतकर रचा इतिहास

रियो डी जनेरो : रियो पैरालंपिक में भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। दीपा मलिक ने महिलाओं की शॉट पुट स्पर्धा में सिल्वर मेडल हासिल किया है। दीपा मलिक के पदक के साथ भारत के इस पैरालंपिक में तीन पदक हो गए हैं। 36 साल की दीपा मलिक ने 4.61 का स्कोर बनाया और वे दूसरे स्थान पर रहीं। पहले स्थान पर फातिमा नेधाम रहीं जिनका स्कोर 4.76 रहा। दिमित्रा कोरोकिदा ने 4.28 का स्कोर बनाकर ब्रांज मेडल हासिल किया।

दीपा मलिक ने सिर्फ शॉटपुट बल्कि जैवलीन थ्रो, तैराकी और मोटर रेस से भी जुड़ी रही हैं। उनके शरीर का निचला हिस्सा सुन्न है लेकिन उन्होंने इसे अपने खेल के आगे नहीं आने दिया। उनकी उपलब्धियों के चलते उन्हें भारत सरकार की ओर से अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है। इससे पहले भारत को ऊंची कूद में एक गोल्ड और ब्रांज मेडल मिल चुका है। ये उपलब्धि क्रमशः मरियप्पन थांगावेलू और वरुण भाटी ने दर्ज की थी।

दीपा मलिक एक रेस्टोरेंट संचालिका, रैली कार ड्राइवर और तैराक भी हैं। लेकिन एक बात जो उन्हें ख़ास बना देती है वो ये है कि दीपा ये सारे काम व्हील चेयर पर बैठे हुए करती हैं। वे व्हील चेयर पर हैं लेकिन इससे न तो उनका हौसला टूटा है और न कुछ करने की चाहत। वह देश की सबसे ज्यादा पुरस्कार जीतने वाली एथलीट्स में शुमार हैं। दीपा का जन्म हरियाणा के भैसवाल में हुआ। उन्हें बचपन से ही खेलों का शौक था। किशोरावस्था में ही उन्हें मोटरबाइकिंग का शौक था। 1999 में वह स्पाइनल ट्यूमर से जूझ रही थीं। इसके लिए तीन बार उनकी सर्जरी हुई। कंधे पर 183 टांके आए और इसके बाद वह कमर के नीचे लकवाग्रस्त हो गईं। लेकिन इसके बाद भी वह न रुकीं और न ही उन्होंने हिम्मत हारी।

वह लगातार अपने सपनों का पीछा करने में जुटी रही और आखिर कामयाबी उनके हाथ लगी। 2012 में एक तैराक के तौर पर उनकी कामयाबियों के कारण उन्हें अर्जुन अवॉर्ड दिया गया। उन्होंने चेन्नई से दिल्ली तक कस्टमाइज बाइक पर सवारी की है और फिर लद्दाख के नौ दर्रों को नौ दिन में पार कर चुकी हैं। राष्ट्रीय स्तर पर उनके नाम 54 और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 13 गोल्ड मेडल हैं। इनमें तैराकी, जैवलिन और शॉट पुट स्पर्धाएं शामिल हैं। इसके साथ ही वह राजस्थान की महिला क्रिकेट टीम का भी हिस्सा हैं। दीपा पैरालिंपिक में भाग लेने वालीं भारत की पहली महिला एथलीट हैं।

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