EC ने 200 राजनीतिक दलों को दिया झटका, रद्द हो सकती है मान्यता, अब नहीं लड़ सकेंगे चुनाव
नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने अब फर्जी राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, करीब 250 फर्जी राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। बताया जा रहा है कि इन दलों की मान्यता आने वाले दिनों में रद्द हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग 250 से अधिक राजनीतिक दलों को डीलिस्ट कर सकता है। बता दें कि आयोग के पास दलों को डीलिस्ट करने का अधिकार है। चुनाव अयोग के अनुसार, करीब 250 से अधिक राजनीतिक दल सिर्फ कागजों पर हैं। इन राजनीतिक दलों पर कालेधन को सफेद करने का आरोप भी है। चुनाव आयोग के मुताबिक करीब 250 दलों ने साल 2005 से किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया है।
जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग इन फर्जी राजनीतिक दलों को डीलिस्ट करने के लिए सीबीडीटी को जानकारी देगा। जिसके बाद इन्हें डीलिस्ट करने की प्रकिया शुरू की जा सकती है।
इससे पहले, चुनाव आयोग ने राजनीति में कालेधन और धनशोधन के इस्तेमाल पर रोक के प्रयास के तहत सिफारिश की है कि सरकार कानूनों में संशोधन करे जिससे कि कर में छूट उन्हीं पार्टियों को मिले जो चुनाव में सीटें जीतें और दो हजार रुपये एवं उसके ऊपर दिये जाने वाले गुप्त चंदों पर रोक लगे। आयकर कानून, 1961 की धारा 13ए राजनीतिक दलों को मकान सम्पत्ति से आय, स्वैच्छिक योगदान से होने वाली आय, पूंजी लाभ से आय और अन्य स्रोतों से आय पर कर छूट प्रदान करती है। भारत में राजनीतिक पार्टियों की केवल वेतन मद में होने वाली आय और व्यापार या पेशे से होने वाली आय कर के दायरे में आती है। आयोग ने अब प्रस्तावित किया है कि आयकर छूट ऐसी ही पार्टियों को दी जानी चाहिए जो चुनाव लड़ती हैं और लोकसभा या विधानसभा चुनाव में सीटें जीतती हैं।
चुनाव आयोग ने चुनाव में कालेधन के प्रवाह पर रोक के प्रयास के तहत सरकार से कानूनों में संशोधन का आग्रह किया है ताकि राजनीतिक दलों को दो हजार रूपये और उसके उपर दिये जाने वाले गुप्त योगदानों पर रोक लगायी जा सके। बता दें कि राजनीतिक दलों की ओर से अज्ञात चंदा प्राप्त करने पर कोई संवैधानिक या कानूनी पाबंदी नहीं है। लेकिन जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29 सी के तहत चंदे की घोषणा की जरूरत के जरिये अज्ञात चंदे पर ‘परोक्ष आंशिक प्रतिबंध’ है। लेकिन ऐसी घोषणा केवल 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे पर अनिवार्य है।
आयोग की ओर से सरकार को भेजे गये एवं प्रस्तावित चुनाव सुधार पर उसके सार का हिस्सा बनाए गए प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, ‘दो हजार रुपये और इससे अधिक के अज्ञात योगदान को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी बीते दिनों कहा था कि सरकार कर राहत का लाभ ले रहे राजनीतिक दलों के लिए एक सीमा तय करने की योजना पर विचार कर रही है ताकि चुनाव नहीं लड़ने वाले ऐसे संगठनों की ओर से धनशोधन पर रोक लगाई जा सके।
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग 250 से अधिक राजनीतिक दलों को डीलिस्ट कर सकता है। बता दें कि आयोग के पास दलों को डीलिस्ट करने का अधिकार है। चुनाव अयोग के अनुसार, करीब 250 से अधिक राजनीतिक दल सिर्फ कागजों पर हैं। इन राजनीतिक दलों पर कालेधन को सफेद करने का आरोप भी है। चुनाव आयोग के मुताबिक करीब 250 दलों ने साल 2005 से किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया है।
जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग इन फर्जी राजनीतिक दलों को डीलिस्ट करने के लिए सीबीडीटी को जानकारी देगा। जिसके बाद इन्हें डीलिस्ट करने की प्रकिया शुरू की जा सकती है।
इससे पहले, चुनाव आयोग ने राजनीति में कालेधन और धनशोधन के इस्तेमाल पर रोक के प्रयास के तहत सिफारिश की है कि सरकार कानूनों में संशोधन करे जिससे कि कर में छूट उन्हीं पार्टियों को मिले जो चुनाव में सीटें जीतें और दो हजार रुपये एवं उसके ऊपर दिये जाने वाले गुप्त चंदों पर रोक लगे। आयकर कानून, 1961 की धारा 13ए राजनीतिक दलों को मकान सम्पत्ति से आय, स्वैच्छिक योगदान से होने वाली आय, पूंजी लाभ से आय और अन्य स्रोतों से आय पर कर छूट प्रदान करती है। भारत में राजनीतिक पार्टियों की केवल वेतन मद में होने वाली आय और व्यापार या पेशे से होने वाली आय कर के दायरे में आती है। आयोग ने अब प्रस्तावित किया है कि आयकर छूट ऐसी ही पार्टियों को दी जानी चाहिए जो चुनाव लड़ती हैं और लोकसभा या विधानसभा चुनाव में सीटें जीतती हैं।
चुनाव आयोग ने चुनाव में कालेधन के प्रवाह पर रोक के प्रयास के तहत सरकार से कानूनों में संशोधन का आग्रह किया है ताकि राजनीतिक दलों को दो हजार रूपये और उसके उपर दिये जाने वाले गुप्त योगदानों पर रोक लगायी जा सके। बता दें कि राजनीतिक दलों की ओर से अज्ञात चंदा प्राप्त करने पर कोई संवैधानिक या कानूनी पाबंदी नहीं है। लेकिन जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29 सी के तहत चंदे की घोषणा की जरूरत के जरिये अज्ञात चंदे पर ‘परोक्ष आंशिक प्रतिबंध’ है। लेकिन ऐसी घोषणा केवल 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे पर अनिवार्य है।
आयोग की ओर से सरकार को भेजे गये एवं प्रस्तावित चुनाव सुधार पर उसके सार का हिस्सा बनाए गए प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, ‘दो हजार रुपये और इससे अधिक के अज्ञात योगदान को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी बीते दिनों कहा था कि सरकार कर राहत का लाभ ले रहे राजनीतिक दलों के लिए एक सीमा तय करने की योजना पर विचार कर रही है ताकि चुनाव नहीं लड़ने वाले ऐसे संगठनों की ओर से धनशोधन पर रोक लगाई जा सके।
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