गुजरात में पैदा होते ही कर्जदार है हर बच्चा : कांग्रेस
अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में आगामी 10 से 13 जनवरी तक होने वाले आठवे द्विवार्षिक वाइब्रैंट गुजरात ग्लोबल समिट का पुरजोर विरोध करते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आज दावा किया कि दुनिया भर में मोदी मॉडल का ढिंढाेरा पीटे जाने के बावजूद ‘गरीब’ गुजरात पर 2 लाख 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है, इसके 60 लाख से अधिक युवा बेरोजगार हैं तथा कई मामलों में यह बिहार से भी पीछे है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शंकरसिंह वाघेला (दोनो पूर्व केंद्रीय मंत्री) ने आज यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार वाइब्रेंट गुजरात को लेकर झूठे और खोखले दावे कर रही है।
सोलंकी ने कहा कि अब तक हुए ऐसे सम्मेलनों में 74 लाख करोड़ के निवेश समझौतों का दावा किया गया है जिनके जरिए एक करोड़ 9 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होने चाहिए थे पर सरकार ने अब तक केवल 11 लाख नौकरियों की ही बात कही है इनमें भी निजी और फिक्स पगार वाले शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उक्त सम्मेलन में हुए एमओयू में केवल चार प्रतिशत पर ही अमल हुआ है। महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु जैसे राज्य जहां ऐसे आयोजन नहीं होते विदेशी निवेश को आकर्षित करने में गुजरात से कही आगे हैं। यह आयोजन आम लोगों के लिए नहीं बल्कि पूंजीपतियों के फायदे तथा राज्य के कीमती संसाधन उन्हे मुफ्त में बांट देने के लिए किया जा रहा है।
बड़े-बड़े निवेश के दावों के बावजूद आज राज्य पर दो लाख 30 हजार करोड का कर्ज हो गया है। यह आयोजन प्रगति के बदले गुजरात को आर्थिक मुश्किल मे धकेल रहा है। वाघेला ने कहा कि राज्य का हर बच्चा आज 35 हजार रुपए के कर्ज के साथ जन्म ले रहा है तथा सच्चाई तो यह है कि स्वप्रसिद्धी वाले मोदी मॉडल के बावजूद गुजरात एक गरीब राज्य है जो कई मामलों में बिहार से भी पीछे है। 60 लाख से अधिक युवा बेरोजगार हैं तथा चार लाख किसानों बिजली के कनेक्शन के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं।
उन्होंने वाइब्रेट गुजरात जैसे आयोजनों पर होने वाले भारी भरकम खर्च पर भी सवाल उठाया। ऐसे आयोजन नहीं होने के बावजूद कई राज्यों मेंं बडा निवेश हो रहा है। गलत तरीके से एमओयू का आंकडा बढाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक षडयंत्र के तहत हर क्षेत्र का निजीकरण कर रही है। ज्ञातव्य है कि मोदी के मुख्यमंत्रित्वकाल में 2003 में शुरू हुए वाइब्रेंट गुजरात के नवीनतम संस्करण का उद्घाटन इस बार भी बतौर प्रधानमंत्री वही करेंगे।
सोलंकी ने कहा कि अब तक हुए ऐसे सम्मेलनों में 74 लाख करोड़ के निवेश समझौतों का दावा किया गया है जिनके जरिए एक करोड़ 9 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होने चाहिए थे पर सरकार ने अब तक केवल 11 लाख नौकरियों की ही बात कही है इनमें भी निजी और फिक्स पगार वाले शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उक्त सम्मेलन में हुए एमओयू में केवल चार प्रतिशत पर ही अमल हुआ है। महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु जैसे राज्य जहां ऐसे आयोजन नहीं होते विदेशी निवेश को आकर्षित करने में गुजरात से कही आगे हैं। यह आयोजन आम लोगों के लिए नहीं बल्कि पूंजीपतियों के फायदे तथा राज्य के कीमती संसाधन उन्हे मुफ्त में बांट देने के लिए किया जा रहा है।
बड़े-बड़े निवेश के दावों के बावजूद आज राज्य पर दो लाख 30 हजार करोड का कर्ज हो गया है। यह आयोजन प्रगति के बदले गुजरात को आर्थिक मुश्किल मे धकेल रहा है। वाघेला ने कहा कि राज्य का हर बच्चा आज 35 हजार रुपए के कर्ज के साथ जन्म ले रहा है तथा सच्चाई तो यह है कि स्वप्रसिद्धी वाले मोदी मॉडल के बावजूद गुजरात एक गरीब राज्य है जो कई मामलों में बिहार से भी पीछे है। 60 लाख से अधिक युवा बेरोजगार हैं तथा चार लाख किसानों बिजली के कनेक्शन के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं।
उन्होंने वाइब्रेट गुजरात जैसे आयोजनों पर होने वाले भारी भरकम खर्च पर भी सवाल उठाया। ऐसे आयोजन नहीं होने के बावजूद कई राज्यों मेंं बडा निवेश हो रहा है। गलत तरीके से एमओयू का आंकडा बढाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक षडयंत्र के तहत हर क्षेत्र का निजीकरण कर रही है। ज्ञातव्य है कि मोदी के मुख्यमंत्रित्वकाल में 2003 में शुरू हुए वाइब्रेंट गुजरात के नवीनतम संस्करण का उद्घाटन इस बार भी बतौर प्रधानमंत्री वही करेंगे।
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