यहाँ होती हैं मैहर वाली मां शारदा देवी की बड़ी बहन की पूजा, नवरात्र पर उमड़ती है भक्तों की भीड़
कटनी/विजयराघवगढ़। नवरात्र के दौरान मैहर में मां शारदा देवी के मंदिर में भक्तों का तांता लगता है। लेकिन मैहर से लगी कटनी जिले में शारदा देवी विराजती है। नवरात्र में मां शारदा देवी की बड़ी बहन के मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इसके चलते 1857 की क्रांति में अपनी अमिट छाप छोडऩे वाले राजा सरयू प्रसाद की ऐतिहासिक नगरी विजयराघवगढ़ मां के धाम के कारण भी विशेष पहचान रखता है। बताया जाता है विजयराघवगढ़ में 1826 में राजा प्रयागदास ने इस मंदिर की स्थापना कराई थी।
191 वर्ष पुराना मंदिर
मैहर किले में विराजीं सरस्वती स्वरूपा मां शारदा राजा प्रयागदास के साथ कटनी जिले के विजयराघवगढ़ नगर 1826 में पहुंची हैं। जैसे मैहर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शनार्थ पहुंचते हैं, वैसे ही इस धाम में भी प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भक्तों का आना होता है। मां के दर्शन में अनूठा रहस्य समाया हुआ है। मान्यता है कि यहां मां के दर्शन मात्र से बिगड़े काम बनते हैं। 191 वर्ष से श्रद्धालुओं पर वे अपनी कृपा बरसा रही हैं।
ये है इस मंदिर की खासियत
खास बात ये है कि जिस तरह से मैहर माता पहाड़ पर विराजी हैं, वैसे ही विगढ़ में भी मां शारदा पहाड़ी पर विराजी हैं। इन्हें माता सरस्वती का रूप माना जाता है। 1857 के युद्ध में अंग्रेजों ने मंदिर व किले को नष्ट कर दिया था। 1984 में एक बार फिर मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ और मैहर के पंडा देवी प्रसाद ने पूजन व अभिषेक कराया था। यहां पर मंदिर के सामने सुंदर बाग, भरत बाग, राम बाग अखाड़ा, राम जानकी मंदिर, चारों धाम की मूर्तियां, राजा का किला आदि आकर्षक का केंद्र हैं। नवरात्र पर यहां मां की विशेष पूजा-अर्चना हो रही है।
जिले का प्रमुख शक्तिपीठ
मां शारदा का प्राचीन मंदिर लोगों के लिए आस्था व श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। चैत्र व शारदेय नवरात्र में यहां पर मेला लगता है और भक्तों की खासी भीड़ उमड़ती है। नगर के सुरेंद्र दुबे के अनुसार मैहर रियासत का बंटवारा होने के बाद विष्णुदासजी को मैहर राय व प्रयागदासजी को विजयराघवगढ़ राय दिया गया था। इसके बाद राजा प्रयागदास द्वारा
नगर में किले का निर्माण कराने के साथ ही मां शारदा के मंदिर की स्थापना कराई गई व कुएं, बावली, तालाब, पंचमठा, बगीचों आदि का भी निर्माण कराया गया।
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