भरजुना में दोनों नवरात्रों पर लगता है भव्य मेला
सतना : जिला मुख्यालय सतना से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अठारह भुजाओं वाली मा आदिशक्ति अपने भव्य रूप में विराजमान हैं लोग बताते हैं कि प्राचीनकाल में इसे कुन्दनपुर के नाम से जाना जाता जिसका वर्णन महाभारत के सुखसागरके 10 वे अध्याय में मिलता है व्दापर युग में यहां भीष्मक नाम के राजा निवास करते थे उनकी बेटी रूक्मणी ने भगवान कृष्ण को माता से वर के रूप में मांगा था जिससे मंदिर से वापसी आते ही रूक्मणी जी को कृष्ण जी प्राप्त हुए थे 13 वी ईसा पूर्व में माता जी की सुरक्षा की दृष्टि से काले बड़े पत्थरों से साधारण मंदिर बनाया गया थातत्पश्चात मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया और वर्तमान में अब उसी दीवाल पर भक्तों द्वारा टाइल्स लगवाया जा चुका है यह जीर्णोद्धार एक खरे परिवार व एक क्षत्रिय परिवार के व्दारा संतान प्राप्ति हेतु कराया गया था और दोनों परिवारों की मनोकामनाएं पूर्ण हुई है वर्ष 1980 के आस पास गांव के ही एक सिंह परिवार के 4 वर्ष के शिशु को माता ने आंखों में रोशनी प्रदान की थी तब से आज तक लगातार अंधभक्तो की भीड़ यहां पर लगी रहती है व हर वर्ष एक व्यक्ति को माता रोशनी प्रदान करती है वर्ष 1998 में जैतवारा निवासी स्वश्री रामशरण बंसल की पुत्री को डकैतों व्दारा बंधक बनाकर 3 लाख का फिरौती पत्र बंसल जी के सामने रखा बंसल जी अपने गुरु नरहरि दास जी के निर्देशन में वो मांग पत्र माता के समक्ष रखा और उसी रात्रि माता जी डाकुओं के शयनकाल के समय जंगल मे उपस्थित एक बूढ़ी लकडहारी औरत के रूप में आकर उनकी पुत्री को डाकुओं के चंगुल से मुक्त कराया जिससे दूसरे दिन ही बंसल जी व्दारा माता जी के चतुर्दिक निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया।
प्रागंण में ही माता जी के साथ साथ अन्य मूर्ति भी अपने दिव्य रुप में विराजमान हैं व उत्खनन करने पर लगभग 3-4 फिट पर मूर्ति आज भी निकलती है प्रागंण में ही एक प्राचीन भोलेनाथ का मंदिर है जिसमें भगवान शिव दिन में तीन बार अपना रंग बदलते हैं इसके अलावा बजरंग बली गणेश जी व राम जानकी मंदिर भी प्रागंण में है यहां पर दिसम्बर 2000 में 108 कुण्डीय यज्ञ आम भक्तों के सहयोग से संम्पन्न हूआ था आस पास के भक्त माता जी को स्नान कराते थे किन्तु अब वर्ष 2011 के बाद इस पर रोक लगा दी गई है।
वर्ष के दोनों नवरात्रों पर प्रागंण में भव्य व विशाल मेला आयोजित होता है आवागमन के दृष्टिकोण से सतना के सर्किट हाउस से नियमित प्रत्येक 30 मिनट पर आटो का आवागमन होता है । आप सब भी माता के दर्शन हेतु भरजुना अवश्य पधारे
प्रागंण में ही माता जी के साथ साथ अन्य मूर्ति भी अपने दिव्य रुप में विराजमान हैं व उत्खनन करने पर लगभग 3-4 फिट पर मूर्ति आज भी निकलती है प्रागंण में ही एक प्राचीन भोलेनाथ का मंदिर है जिसमें भगवान शिव दिन में तीन बार अपना रंग बदलते हैं इसके अलावा बजरंग बली गणेश जी व राम जानकी मंदिर भी प्रागंण में है यहां पर दिसम्बर 2000 में 108 कुण्डीय यज्ञ आम भक्तों के सहयोग से संम्पन्न हूआ था आस पास के भक्त माता जी को स्नान कराते थे किन्तु अब वर्ष 2011 के बाद इस पर रोक लगा दी गई है।
वर्ष के दोनों नवरात्रों पर प्रागंण में भव्य व विशाल मेला आयोजित होता है आवागमन के दृष्टिकोण से सतना के सर्किट हाउस से नियमित प्रत्येक 30 मिनट पर आटो का आवागमन होता है । आप सब भी माता के दर्शन हेतु भरजुना अवश्य पधारे
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