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त्रिवेणी संग्रहालय का वर्षगाँठ समारोह मनाया गया



समापन सांस्कृतिक संध्या 5 मई, 2018 की श्रीकृष्ण आख्यान आधारित कला प्रस्तुतियाँ

उज्जैन : मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित सनातन का समकाल ‘त्रिवेणी’ कला एवं पुरातत्व संग्रहालय का दूसरा वर्षगाँठ समारोह 2 से 5 मई, 2018 तक संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच, जयसिंहपुरा उज्जैन में चार दिवसीय आयोजित किया गया।
   
समारोह की चैथी और समापन सांस्कृतिक संध्या मंे श्रीकृष्ण आख्यानों  के अन्तर्गत गुजराती रास गायन, कुचीपुड़ी समूह नृत्य में ‘रास एवं कालिया मर्दन’, भावना रेड्डी, आज प्रस्तुत करते हुये कुचिपुडी के प्रदर्शनों की सूची से ‘‘कृष्णासबदम की बहुत लोकप्रिय प्रस्तुति का प्रदर्शन किया, पुरूलिया और मयूरभंज छाऊ नृत्य शैलियों में समन्वित प्रस्तुति ‘श्री कृष्णाये नमः’ श्री कृष्ण ने अपनी जीवन रूपी लीला के माध्यम से मानव को जीवन ज्ञान दिया। उनकी लीलाओं में जीवन दर्शन, साश्वत प्रेम, असत्य पर सत्य की विजय, अंहकार का दहन तथा आत्मा से परमात्मा का मिलन भरपूर रहा। सरायकेला मयूरभंज तथा पुरूलिया छाऊ नृत्य शैलियों की पारम्परिक नृत्य संरचनाये जैसे कालिया दमन, राधा कृष्ण, कृष्ण बलराम, गीता तथा नरकासूर वध द्वारा कृष्ण के जीवन को इस प्रस्तुति के माध्यम से चित्रित किया गया इस नृत्य संरचनाओं द्वारा श्रीकृष्ण के अनेक रूपों का प्रदर्शन किया गया तथा गोण्ड जनजातीय ठाट्या नृत्य बैतुल जिले के आदिवासी क्षेत्र का पारंपरिक नृत्य है। दीपावली के बाद आने वाले गोवर्धन पर्व पर यहाँ के स्थानीय निवासी गाय तथा बैली को नहलाकर नए वस्त्रों को पहनकर उनका श्रंगार करते है उसके पश्चात् इन गाय-बैलो को पूरे क्षेत्र में घुमाया जाता है और स्थानीय निवासी उन गाय बैलो के पीछे नाचते गाते पूरे क्षेत्र की परिक्रमा करते है और यही से गोण्ड नाट्य नृत्य की शुरूआत मानी जाती है और यह पारंपरिक नृत्य पूरे एक माह तक जिले के सभी स्थानो पर किया जाता है। गुजरात का डांडिया रास और उत्तराखण्ड का सेममुखेन नृत्य हुआ आज की सांस्कृतिक संध्या को चरम सोपान पर पहुँचाकर दर्शक श्रोताओं को भवविभोर कर दिया।
 
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा भारतीय ज्ञान धाराओं के लोक विस्तार को सुरूचिपूर्ण और समकालीनता के दृष्टिगत जनसामान्य के लिये त्रिवेणी संग्रहालय में चित्र और शिल्प माध्यमों में प्रदर्शित किया गया है। विभाग ने इन तीनों ही ज्ञान धाराओं से उपजी कला परम्पराओं के प्रदर्शन के राष्ट्रीय मंच भी स्थापित किये है, जिन्हें उज्जैन वासियों का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ है। नवदुर्गा के दोनों पक्षों में सिद्धा एवं रामनवमी पर्व, महाशिवरात्रि पर महाशिवरात्रि पर्व, कृष्ण जन्माष्टमी पर ललिल पर्व आदि समारोह इसी दृष्टि से परिकल्पित किये हैं। समापन सत्र मंे अतिथि के रूप में प्रो. बाल कृष्ण शर्मा, प्रो. शैलेन्द्र शर्मा, डाॅ. शिव चैरसिया एवं डाॅ. जीवन सिंह ठाकुर उपस्थित थे। संचालन श्री विनोद गुर्जर द्वारा किया गया।

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