BHOPAL NEWS : दिल्ली सरकार और एलजी के अधिकारों पर SC के निर्णय का आप पार्टी ने किया स्वागत
भोपाल : आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में चुनी हुई सरकार के अधिकारों के संबंध में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है।इस मौके पर आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने कहा की सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला दिया है और अब आने वाले सालों में आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार और लूट की राजनीति को खत्म करके लोकतंत्र की मूल भावना के अनुरूप ऐसे देश के निर्माण की दिशा में काम करेगी जिसमें सभी के लिए रोजी-रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पानी, रोजगार, सुरक्षा होगी।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि सिर्फ तीन विषयों, कानून, लॉ एंड ऑर्डर एवं जमीन को छोड़कर संविधान की सातवीं अनुसूची में शामिल राज्यों के सभी अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधीन आते हैं। यानी सातवीं अनुसूची के सभी मुद्दों पर निर्णय का अधिकार दिल्ली की सरकार का है। इन निर्णयों की जानकारी दिल्ली सरकार एलजी को देगी। इन निर्णयों पर एलजी की मंजूरी की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर एलजी को लगता है कि सरकार को कोई निर्णय गलत है, तो वह इस बारे में राष्ट्रपति को सूचित करेंगे और राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होगा, लेकिन यह अपवाद स्वरूप ही होगा। हर निर्णय को समीक्षा के लिए राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौटे तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि चुनी हुई सरकार के अधिकार सर्वोपरि हैं और यह आम आदमी पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट के 535 पेज के निर्णय के मुख्य बिंदु
- राज्य को उसके हिस्से का काम करने की स्वतंत्रता है और केंद्र सरकार उसमें एलजी के माध्यम से कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
- चुनी हुई सरकार के माध्यम से जनता की भावनाएं प्रदर्शित होती हैं, उन्हें खत्म नहीं किया जा सकता है।
- संविधान में तीन अधिकारों की अनुसूची हैं, इनमें राज्य के अधिकार, केंद्र के अधिकार एवं राज्य और केंद्र दोनों के अधिकार रेखांकित किए गए हैं। इनमें से राज्य के अधिकारों की सूची और राज्य-केंद्र के अधिकारों पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार की मंत्रिपरिषद जो निर्णय लेती है, उसे मानने के लिए एलजी बाध्य हैं। इनमें कोई बदलाव के लिए वे राष्ट्रपति को भेज सकते हैं। लेकिन यह एनी मैटर (कोई मुद्दा) है, उसे एवरी मैटर (सभी मुद्दे) नहीं पढ़ा जाना चाहिए, यानी बहुत कम मुद्दों में ही ऐसा किया जा सकता है।
- कानून यह बताता है कि जो भी निर्णय होंगे उन्हें एलजी को भेजा जाएगा। यह उनकी जानकारी के लिए होगा, आदेश या आज्ञा के लिए नहीं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि सिर्फ तीन विषयों, कानून, लॉ एंड ऑर्डर एवं जमीन को छोड़कर संविधान की सातवीं अनुसूची में शामिल राज्यों के सभी अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधीन आते हैं। यानी सातवीं अनुसूची के सभी मुद्दों पर निर्णय का अधिकार दिल्ली की सरकार का है। इन निर्णयों की जानकारी दिल्ली सरकार एलजी को देगी। इन निर्णयों पर एलजी की मंजूरी की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर एलजी को लगता है कि सरकार को कोई निर्णय गलत है, तो वह इस बारे में राष्ट्रपति को सूचित करेंगे और राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होगा, लेकिन यह अपवाद स्वरूप ही होगा। हर निर्णय को समीक्षा के लिए राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौटे तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि चुनी हुई सरकार के अधिकार सर्वोपरि हैं और यह आम आदमी पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट के 535 पेज के निर्णय के मुख्य बिंदु
- राज्य को उसके हिस्से का काम करने की स्वतंत्रता है और केंद्र सरकार उसमें एलजी के माध्यम से कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
- चुनी हुई सरकार के माध्यम से जनता की भावनाएं प्रदर्शित होती हैं, उन्हें खत्म नहीं किया जा सकता है।
- संविधान में तीन अधिकारों की अनुसूची हैं, इनमें राज्य के अधिकार, केंद्र के अधिकार एवं राज्य और केंद्र दोनों के अधिकार रेखांकित किए गए हैं। इनमें से राज्य के अधिकारों की सूची और राज्य-केंद्र के अधिकारों पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार की मंत्रिपरिषद जो निर्णय लेती है, उसे मानने के लिए एलजी बाध्य हैं। इनमें कोई बदलाव के लिए वे राष्ट्रपति को भेज सकते हैं। लेकिन यह एनी मैटर (कोई मुद्दा) है, उसे एवरी मैटर (सभी मुद्दे) नहीं पढ़ा जाना चाहिए, यानी बहुत कम मुद्दों में ही ऐसा किया जा सकता है।
- कानून यह बताता है कि जो भी निर्णय होंगे उन्हें एलजी को भेजा जाएगा। यह उनकी जानकारी के लिए होगा, आदेश या आज्ञा के लिए नहीं।
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