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आदिमजाति सेवा सहकारी समितियों का बैंक दिवालिया.....

आदिमजाति सेवा सहकारी समितियों का बैंक दिवालिया.....
पुष्पराजगढ़ में आदिमजाति सेवा सहकारी समितियों के आठ लैम्पस मौजूद हैं इन्ही लैम्पस के माध्यम से अरबों रुपयों का लेन-देन होता रहा है ये लैम्पस राजेन्द्रग्राम,अमरकंटक सहित करपा, दमहडी, लीला टोला, भेजरी, बेनिबारी और सरई हैं सभी लैम्पस मुख्यालय में इन गांवों के नाम पर संचालित है सभी सहकारी समितियों का बैंक मुख्यालय राजेन्द्रग्राम में स्थापित है, वर्षों से किशानो द्वारा खाद-बीज, ऋण धान-गेंहू क्रय-विक्रय के साथ सरकार की विभिन्न योजनओं सम्बन्धी लेन देन राजेन्द्रग्राम स्थित इसी सहकारी बैंक के माध्यम से किया जाता है,कभी यह बैंक धनाढ्य हुआ करता था,पांच करोड़ के आस-पास इस बैंक की पूंजी हुआ करती थी पर अब यह बैंक दिवालिया हो चुका है।
दिवालिया बैंक की लगभग पच्चासी लाख का नही है कोई लेनदार :--
जब यूपीए सरकार रोजगार गारेंटी कानून बनाई और उसका क्रियान्यवन सुरु किया गया तब पुष्पराजगढ़ में 119 पंचायतों में रोजगार गारेंटी के तहत हुए कार्यों का भुगतान करने की जिम्मेवारी इस सहकारी बैंक को सौंपी गई थी और कई वर्षों तक रोजगार गारेंटी के कार्यो का भुगतान इसी बैंक के माध्यम से होता रहा है तब उस समय किन्ही कारणों से ग्रामीण-मजदूर-हितग्राहियों के लगभग 8500000.00 रुपये इस संस्था के पास भुगतान हेतु शेष बचे है। जिनका लेनदारों का आता-पता नही है और हैं भी तो आज दिनांक तक उनका भुगतान नहीं किया गया है और ना ही ये पैसे प्राप्त संस्था को वापिश किए गए है ऐसे में इतनी बड़ी राशि मुफ्त में मिल जाने पर भी उक्त संस्था के बैंक का दिवालिया हो जाना समझ के परे है।
धरता के पैसों का नही है आता-पता:--
आदिमजाति सेवा सहकारी समितियों के संचालन की जिम्मेवारी किशानो की होती है इन समितियों में किशानो को सदस्य बनाया जाता है इन किशानो से ही पंचवर्षीय चुनाव कराकर समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, और सदस्य बनाए जाते है जितने भी किशान समिति में जुड़े होते हैं उनसे समिति धरता के रूप में एक निश्चित राशि अपने बैंक में जमा कराती है पुष्पराजगढ़ स्थित सहकारी बैंक में इस राशि का भी आता-पता नही है यदि इस राशि का उपयोग किया गया है तो गलत है क्यूंकि यह राशि किशान की अमानत होती है ऐसे में गम्भीरता से देखा जाए तो जब से उक्त बैंक का संचालन सुरु हुआ है तब से लेकर आज तक लाखों किशान सदस्य बन चुके हैं और धरता की राशि भी जमा करते आए है ऐसे में यह राशि करोड़ों में होनी चाहिए इस राशि के होते हुए भी सहकारी बैंक का काली सूची में जाना अविस्वास्नीय सा लगता है।
निर्मित 22 दुकानों के नीलामी से भी मिला था पैसा:---
आदिमजाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित राजेन्द्रग्राम को रीवा-अमरकंटक मेन रोड के किनारे सरकार द्वारा जमीन आवंटित कर दी गई है अपनी खाली पड़ी जमीन पर उक्त संस्था ने अतिक्त आय हेतु 22 दुकानों का निर्माण कराया है और निर्मित दुकानों को बोली लगा कर आवंटित कर दिया गया है आवंटित दुकानों से किराया भी वसूला जाता है जो उक्त संस्था के पास आय का स्थाई स्रोत के रूप के मौजूद है इससे भी अच्छी खासी आय सहकारी बैंक में जमा हुई है फिर भी सहकारी बैंक डिफाल्टर बैंक बना गया है।
सहकारी बैंक के साथ कटघरे में ऑडिटर:---
सहकारी बैंक पुष्पराजगढ़ का हर बैंकों की तरह ऑडिट समय-समय पर होता रहता है पर इन पैसों का जिकर कभी नही किया जाता वैसे तो बैंक सिर्फ लेन-देन के पैसों से ही अपना खर्चा निकाल कर तरक्की करते है और एक ये बैंक है जिसके पास इतने अतरिक्त पैसे पड़े हुए हैं फिर भी .....
""दिवालिया,कालीसूची,डिफाल्टर"" जैसे शब्दों से सुशोभित है।
(खबर सूत्रों के हवाले से सूचना का अधिकार अधिनियम उक्त संस्था पर लागू नही है।)

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