सलकनपुर में मां विजयासन का दरबार, नवरात्र में पहुंचते हैं लाखों भक्त
सीहोर। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित सलकनपुर में विराजित मां विजयासन के दर्शन के लिए नवरात्र में लाखों भक्त पहुंचते हैं। तीन दशक पहले भक्तों को मंदिर की पहाड़ी तक पहुंचने के लिए पगडंडियों पर चलना पड़ता था। अब पहाड़ी पर चढ़ने के लिए 1400 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है। वहीं सड़क के रास्ते भी वाहन मंदिर तक पहुंच सकते हैं। रोप-वे की व्यवस्था भी है।
आस्था: यहां विराजित, सिद्धेश्वरी मां विजयासन की प्रतिमा स्वयंभू है। माता पार्वती के रूप में वे वात्सल्य भाव से अपनी गोद में भगवान गणेश को लिए हुए बैठी हैं। इसी मंदिर में महालक्ष्मी, महासरस्वती और भगवान भैरव भी विराजमान हैं।
बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1100 ई. के करीब गौंड राजाओं ने किला गिन्नौरगढ़ निर्माण के दौरान करवाया था। प्रसिद्ध संत भद्रानंद स्वामी ने मां विजयासन धाम में कठोर तपस्या की। उन्होंने नल योगिनियों की स्थापना कर क्षेत्र को सिद्ध शक्तिपीठ बनाया था।
कहा जाता है कि राक्षस रक्तबीज के वध के बाद माता जिस स्थान पर बैठी थीं, उसी स्थान को विजयासन के रूप में जाना जाता है। इसी पहाड़ी पर सैकड़ों जगहों पर रक्तबीज से युद्ध के अवशेष नजर आते हैं।
आस्था: यहां विराजित, सिद्धेश्वरी मां विजयासन की प्रतिमा स्वयंभू है। माता पार्वती के रूप में वे वात्सल्य भाव से अपनी गोद में भगवान गणेश को लिए हुए बैठी हैं। इसी मंदिर में महालक्ष्मी, महासरस्वती और भगवान भैरव भी विराजमान हैं।
बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1100 ई. के करीब गौंड राजाओं ने किला गिन्नौरगढ़ निर्माण के दौरान करवाया था। प्रसिद्ध संत भद्रानंद स्वामी ने मां विजयासन धाम में कठोर तपस्या की। उन्होंने नल योगिनियों की स्थापना कर क्षेत्र को सिद्ध शक्तिपीठ बनाया था।
कहा जाता है कि राक्षस रक्तबीज के वध के बाद माता जिस स्थान पर बैठी थीं, उसी स्थान को विजयासन के रूप में जाना जाता है। इसी पहाड़ी पर सैकड़ों जगहों पर रक्तबीज से युद्ध के अवशेष नजर आते हैं।
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