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कमलनाथ होंगे मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री, विधायक दल के नेता चुने गए



भोपाल : मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ होंगे। भोपाल से लेकर दिल्ली तक हुई बैठकों के बाद कमलनाथ के नाम पर मुहर लग गई है। राहुल गाँधी के साथ बैठक के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ विधायक दल की बैठक में पहुंचे। जहाँ कमलनाथ के नाम पर सहमति बनी और कमलनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया। औपचारिक घोषणा कर दी गई है। दिल्ली से आये केंद्रीय कार्यसमिति के पर्यवेक्षक एंटनी ने कमलनाथ के नाम की घोषणा की। वहीं उपमुख्यमंत्री कोई नहीं होगा। इससे पहले चर्चा थी कि डिप्टी सीएम का फार्मूला मप्र में लाया जा सकता है। शपथ समारोह 17 दिसम्बर को होगा। भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में शपथ समारोह में प्रदेश भर के कार्यकर्ता जुटेंगे, इस समारोह में कई बड़ी हस्तियां भी शामिल होंगी। वहीं सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक कमलनाथ के साथ 20 मंत्री भी शपथ ले सकते हैं। हालाँकि अभी इसकी पुष्टि नहीं की। इसके अलावा सीएम पद के दावेदार माने जा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया की क्या भूमिका होगी इसको लेकर भी अभी कोई ऐलान नहीं हुआ है।

इससे पहले राहुल गाँधी के आवास पर दिन भर बैठकों का दौर चलता रहा जिसमे तमाम दिग्गज नेता मंथन करते रहे|  तीन राज्यों में मुख्यमंत्री के नाम तय होना है। इस बैठक में सोनिया गाँधी, प्रियंका गाँधी समेत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नेता भी शामिल रहे| इस बीच भोपाल में विधायक दल की बैठक का समय भी बार बार बदला गया है, पहले 4 बजे, फिर 5:30  बजे फिर शाम 6 बजे और 8:30 बजे किया गया| इसके बाद दस बजे समय तय किया गया, जिसके बाद दोनों नेता 11 बजे पीसीसी पहुंचे|  दिल्‍ली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के साथ बैठक के बाद कमलनाथ व सिंधिया ने कहा कि वे भोपाल जा रहे हैं। कमलनाथ ने कहा कि आज ही फैसला हो जाएगा| वहीं सिंधिया ने एक फोटो भी ट्वीट कर कहा है कि कुर्सी की कोई रेस नहीं है, हम मध्य प्रदेश की सेवा के लिए यहाँ हैं, भोपाल पहुँचते ही ऐलान होगा।

समर्थकों का जमावड़ा, दिन भर हुआ हंगामा
सीएम के नाम में ऐलान होने में देरी के चलते कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों ने पीसीसी के बाहर हंगामा किया| सुबह से ही यहां समर्थकों का जमावड़ा लगा है, लेकिन चार बजते ही यहां भारी हंगामे की स्तिथि बन गई और दोनों नेताओं के समर्थक हाथ में बैनर, पोस्टर लेकर अपने नेता की जयकारे लगाते रहे|  दोनों नेताओं के समर्थकों में के बीच बार बार झूमाझटकी की स्तिथि भी बनी|  वहीं इस स्तिथि को सँभालने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता और प्रवक्ता भी सामने आये लेकिन समर्थकों को रोकना मुश्किल रहा| देर रात तक समर्थकों का पीसीसी के बाहर जमावड़ा लगा रहा।

जानिये कमलनाथ के बारे में
कमलनाथ संगठन क्षमता में माहिर माने जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा मानती थीं जिन्होंने 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में मदद की थी। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता पहुँचाने में कमलनाथ की अहम् भूमिका रही है|  1980 में पहली बार सांसद बने। आठ बार से छिंदवाड़ा से सांसद हैं। हवाला केस में नाम आने के कारण मई 1996 के आम चुनाव में कमलनाथ चुनाव नहीं लड़ सके। इस हालत में कांग्रेस ने कमलनाथ की पत्नी अलका कमलनाथ को टिकट दिया जो विजयी रहीं। वहीं 1997 के फरवरी में हुए उप चुनाव में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से 37,680 वोटों से हार गए। कमलनाथ पहली बार 1991 में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने। वे कपड़ा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), केंद्रीय उद्योग मंत्री, परिवहन व सडक़ निर्माण मंत्री, शहरी विकास, संसदीय कार्य मंत्री बने।

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