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गजब का रिकॉर्ड: वनडे क्रिकेट में ट्रिपल सेंचुरी

सिडनी : क्रिकेट में इस समय ढेरों रिकॉर्ड बन रहे हैं। खासकर तब से जब से क्रिकेट में ट्वंटी-20 का पदार्पण हुआ है। टी-20 के आने के बाद से बल्‍लेबाजों के सुर बदल गए हैं और दुनिया के कई स्‍थापित बल्‍लेबाजों के अलावा युवा बल्‍लेबाज क्रीज पर आते ही आतिशी पारी खेलने की शुरुआत करने की कोशिश कर रहे हैं।

दुनिया में पहला वनडे मुकाबला 1971 में खेला गया और अगले 2 दशक से ज्यादा समय तक एक भी बल्‍लेबाज 50-50 ओवर के खेल में दोहरा शतक नहीं जमा पाया। वनडे में पहला दोहरा शतक किसी पुरुष क्रिकेटर ने नहीं बल्कि एक महिला क्रिकेटर ने ठोका। 1997 में महिलाओं की वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया की बल्‍लेबाज बेलिंडा क्लार्क ने दोहरा शतक ठोककर तहलका मचा दिया था।

इस वर्ल्ड रिकॉर्ड के 13 साल बाद सचिन तेंदुलकर वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले पुरुष क्रिकेटर बने। इसके बाद वीरेंद्र सहवाग और रोहित शर्मा ने भी दोहरे शतक ठोके। लेकिन एक बल्‍लेबाज तो तेंदुलकर, सहवाग और रोहित से भी काफी आगे निकल गया और उसने तिहरा शतक ठोक दिया।

43 साल के अंतररराष्ट्रीय एकदिवसीय मुकाबलों में अब तक सिर्फ 4 दोहरे शतक ही लगे हैं। लेकिन एक ऑस्ट्रेलियाई बल्‍लेबाज है जो इन रिकॉर्ड से काफी आगे निकल गया।

जेम्स टल नाम के एक ऑस्ट्रेलियाई क्लब टीम के बल्‍लेबाज ने इस उपलब्धि को हासिल किया। उन्होंने क्वींसलैंड वेयरहाउस क्रिकेट एसोसिएशन टूर्नामेंट में मास्टर हिल के लिए खेलते हुए 341 रनों की धुआंधार पारी खेली।

टल का यह रिकॉर्ड इस मायने में भी बेहद खास है क्योंकि उन्होंने यह ऐतिहासिक पारी 44 ओवर के अंदर खेल डाली। वह अपनी टीम के 42वें ओवर में आउट हुए। भले ही अंतरराष्ट्रीय ‌क्रिकेट में तिहरा शतक अभी भी दूर की कौड़ी समझी जाती हो लेकिन जेम्स टल ने अपने बल्‍ले से 42 ओवर के अंदर ही 341 रन ठोक डाले।

बल्‍लेबाज जेम्स टल की ऐतिहासिक पारी का कमाल यह रहा कि उनकी टीम ने 44 ओवर में 4 विकेट पर 457 रन बना डाले। टल के बाद टीम के लिए सबसे बड़ी पारी ट्रोय डीन ने खेली और वह भी सिर्फ 36 रनों की। टल ने डीन के साथ पांचवें विकेट के लिए 212 रनों की साझेदारी भी की। टल ने अपनी तिहरी शतकीय पारी के दौरान छक्कों का तूफान खड़ा कर दिया। उन्होंने अपनी पारी में 25 छक्के और 34 चौके जड़े।

हालांकि एक छोर पर मटेर हिल टीम के सलामी बल्‍लेबाज टल बल्‍ले से कहर ढा रहे थे तो दूसरे छोर से उन्हें खास सपोर्ट नहीं मिला। एक बल्‍लेबाज तो खाता भी नहीं खोल सका जबकि 2 बल्‍लेबाज 15-15 रन से ज्यादा का योगदान नहीं कर पाए। हालांकि टीम को 19 रन अतिरिक्त के रूप में मिले।

जेम्स टल की धमाकेदार पारी के आगे विपक्षी साइलेंट एसासिंस टीम कुछ खास कमाल नहीं कर पाई और 37 ओवर में 232 रन बनाकर पूरी टीम आउट हो गई। इस तरह से टल की टीम ने 225 रनों के विशाल अंतर से मैच जीत लिया।

जहां तक अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले बल्‍लेबाजों की बात है तो इस मुकाम को अब तक सिर्फ 4 बल्‍लेबाज ही छू सके हैं। सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया की बल्‍लेबाज बेलिंडा क्लार्क ने 1997 में महिलाओं की वर्ल्ड कप में दोहरा शतक ठोककर तहलका मचाया था। मुंबई में डेनमार्क के खिलाफ खेलते हुए क्लार्क ने 229 रनों की पारी अविजित पारी खेली।

इस ऐतिहासिक पारी के 13 साल बाद सचिन तेंदुलकर 24 फरवरी, 2010 को ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 200 रन बनाते हुए वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले पुरुष बल्‍लेबाज बने थे।

तेंदुलकर की सफलता को आगे बढ़ाते हुए वीरेंद्र सहवाग ने 8 दिसंबर, 2011 को इंदौर में वेस्टइंडीज के खिलाफ 149 गेंदों में 219 रन बनाकर मास्टर ब्लास्टर का रिकॉर्ड तोड़ दिया। सहवाग की पारी के डेढ़ साल बाद 2 नवंबर, 2013 को बंगलुरू में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 209 रनों की पारी खेलकर दोहरा शतक लगाने वाले बल्‍लेबाजों की विशिष्ट क्लब में शामिल हो गए।

पुरुष क्रिकेट में तीनों ही दोहरे शतक भारतीय बल्‍लेबाजों ने लगाए हैं। जिंबाब्वे के कोलीन कोवेंट्री (नाबाद 194 रन) और सईद अनवर (194 रन) की पारियों को छोड़ दिया जाए अन्य देश के बल्‍लेबाज 190 रनों का आंकड़ा भी नहीं छू सके हैं।



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