कोयला कंपनियों को खनन से नहीं रोक सकते:SC
नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने उन कोयला कंपनियों को खनन से रोकने से आज इनकार कर दिया, जिनके लाइसेंस निरस्त किए जा चुके हैं। लेकिन, उन्हें बोरिया बिस्तर समेटने के लिए छह महीने की मोहलत दी गई है। पेशे से वकील मनोहर लाल शर्मा ने मुख्य न्यायाधीश एच. एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि जिन कोयला कंपनियों को कारोबार समेटने के लिए छह महीने की मोहलत दी गई है। वे प्रतिदिन सामान्य से तीन से चार गुणा अधिक कोयला निकाल रही हैं।
शर्मा ने दलील दी कि इन कंपनियों को कोयला निकालने से रोका जाना चाहिए। हालांकि, खंडपीठ ने उन कंपनियों पर किसी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इन कंपनियों को छह महीने तक खनन करने की अनुमति दी है। ऐसी स्थिति में उन कंपनियों को खनन करने से रोका नहीं जा सकता।
शर्मा और गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गत 25 अगस्त को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में जुलाई 1993 से 2010 तक के सभी 218 कोयला ब्लॉकों के आवंटन को गैर-कानूनी करार दिया था। हालांकि, न्यायालय ने ऊर्जा संकट के मद्देनजर इन कोयला ब्लॉकों के भविष्यों के निर्धारण पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी।
उसके बाद कई दिनों तक चली सुनवाई के उपरांत गत 24 सितम्बर को कोर्ट ने 218 कोयला ब्लॉकों में से 214 का आवंटन निरस्त कर दिया था, लेकिन इस फैसले के परिणामस्वरूप देश के ऊर्जा उत्पादन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इन कोयला ब्लॉकों को छह महीने तक उत्पादन जारी रखने की अनुमति प्रदान कर दी थी।
शर्मा ने दलील दी कि इन कंपनियों को कोयला निकालने से रोका जाना चाहिए। हालांकि, खंडपीठ ने उन कंपनियों पर किसी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इन कंपनियों को छह महीने तक खनन करने की अनुमति दी है। ऐसी स्थिति में उन कंपनियों को खनन करने से रोका नहीं जा सकता।
शर्मा और गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गत 25 अगस्त को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में जुलाई 1993 से 2010 तक के सभी 218 कोयला ब्लॉकों के आवंटन को गैर-कानूनी करार दिया था। हालांकि, न्यायालय ने ऊर्जा संकट के मद्देनजर इन कोयला ब्लॉकों के भविष्यों के निर्धारण पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी।
उसके बाद कई दिनों तक चली सुनवाई के उपरांत गत 24 सितम्बर को कोर्ट ने 218 कोयला ब्लॉकों में से 214 का आवंटन निरस्त कर दिया था, लेकिन इस फैसले के परिणामस्वरूप देश के ऊर्जा उत्पादन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इन कोयला ब्लॉकों को छह महीने तक उत्पादन जारी रखने की अनुमति प्रदान कर दी थी।
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