PM नरेंद्र मोदी ने 'श्रमेव जयते' योजना लॉन्च की
नई दिल्ली : श्रम क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कई योजनाओं का शुभारंभ किया। पीएम ने विज्ञान भवन में आज एक कार्यक्रम में श्रमेव जयते योजना को लॉन्च किया। यह योजना पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से शुरू की गई है।
मोदी ने ‘इंस्पेक्टर राज’ व्यवस्था को समाप्त करने के उपायों समेत आज अनेक श्रम सुधार कार्यक्रम पेश किए और कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए कारोबार के अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है।
मोदी ने ‘श्रमेव जयते’ कार्यक्रम के तहत कई योजनाएं पेश कीं जिनमें कर्मचारी भविष्य निधि के लिए यूनिवर्सल एकाउंट नंबर के जरिये पोर्टेबिलिटी, श्रम मंत्रालय के साथ कामकाज में सहूलियत प्रदान करने के वास्ते एकल खिड़की व्यवस्था के लिए पोर्टल और केंद्रीय परिदृश्य में श्रम निरीक्षण योजना शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सभी कदम उनकी सरकार के ‘न्यूनतम सरकार और अधिकमत सुशासन’ की पहल को रेखांकित करते हैं। इसमें पोर्टेबल भविष्य निधि खातों के अलावा कंपनियों में श्रम निरीक्षण के लिए एकीकृत पोर्टल की योजना शामिल है। साढ़े छह लाख यूनिट्स को लेबर आइडेंटिफिकेशन नंबर मिला है। वहीं, पीएफ अकाउंट्स होल्डर को यूनिवर्सल अकाउंट्स नंबर भी मिला है। अब अब पीएफ खातों की जानकारी ऑनलाइन भी मिल सकेगी।
श्रम निरीक्षण में पारदर्शिता लाकर इंस्पेक्टर राज खत्म करने और अधिकारियों द्वारा परेशान करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि एकाधिकार से जुड़ी प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए पारदर्शी श्रम निरीक्षण योजना तैयार की जा रही है। अभी निरीक्षण के लिए इकाइयों का चयन स्थानीय स्तर पर किया जाता है जिसमें व्यावहारिक मापदंड का अभाव पाया जाता है। नई योजना के तहत गंभीर मामले अनिवार्य निरीक्षण की सूची में आएंगे।
पूर्व निर्धारित व्यावहारिक मापदंडों के आधार पर बिना बारी के निरीक्षण के लिए कम्प्यूटरीकृत सूची बनाई जाएगी और शिकायतों पर आधारित जांच केंद्रीय स्तर पर आंकड़ों एवं साक्ष्यों के आधार पर तय होगी। गंभीर मामलों के निरीक्षण के लिए आपात सूची का भी प्रावधान होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने 16 फार्मों (जिसे फैक्टरी मालिकों को भरना होता था) को एक फार्म में बदल दिया है और यह आनलाइन उपलब्ध है। अब कम्प्यूटर पर ड्रा के जरिये यह तय होगा कि कौन इंस्पेक्टर (श्रम) किस फैक्टरी का निरीक्षण करने के लिए जाएगा और उसे 72 घंटे के भीतर आनलाइन रिपोर्ट आपलोड करना होगा। मोदी ने कहा कि इन पहलों को ही मैं न्यूनतम सरकार, अधिकतम सुशासन कहता हूं। मैं बचपन से ही इंस्पेक्टर राज के बारे में सुनता रहा हूं।
कारोबार करने के लिए प्रक्रिया सरल बनाने की सरकार की जिम्मेदारी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर ‘मेक इन इंडिया’ को सफल बनाना है तो कारोबार करने की सहूलियत प्रदान करना पहली जरूरत है। मेक इन इंडिया के लिए कारोबारी माहौल बनाना प्राथमिकता का विषय है। श्रम मंत्रालय की ओर से आयोजित ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मोदी ने एसएमएस के जरिये 4.2 लाख आईटीआई के छात्रों तक पहुंच कायम की और विभिन्न क्षेत्रों में स्नातक तकनीकी पाठ्यक्रमों में आईटीआई डिग्री प्राप्त करने वालों को शुभकामनाएं दीं।
आईटीआई छात्रों के अलावा करीब एक करोड़ ईपीएफओ उपभोक्ताओं को यूनिवर्सल एकाउंट नंबर के जरिये पोर्टेबिलिटी के संबंध में एसएमएस प्राप्त हुआ और 6.50 लाख प्रतिष्ठानों और 1,800 निरीक्षकों को एकीकृत श्रम पोर्टल के बारे में एसएमएस प्राप्त हुए जिसके बारे में सरकार का मानना है कि इससे पारदर्शिता आएगी और श्रम निरीक्षण योजना को जवाबदेह बनाया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की यह पहल ऐसे दूसरे आयोजनों से अलग है क्योंकि इसका संदेश योजना का शुभारंभ होते ही सभी पक्षों तक पहुंच गया है।
‘प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना’ में कौशल विकास पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया को 2020 तक काफी संख्या में मानव संसाधनों की जरूरत होगी और देश में दुनिया को मानव संसाधन प्रदान करने की व्यापक क्षमता है। गौरतलब है कि अभी 2.82 लाख प्रशिक्षु देश में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं जबकि इस संबंध में 4.9 लाख सीटें हैं। प्रशिक्षु योजना को दुरूस्त बनाने की पहल शुरू की गई है और यह योजना मार्च 2017 तक एक लाख प्रशिक्षुओं को सहयोग प्रदान करेगी।
कामकाजी वर्ग तक पहुंच बनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य निधि में 27 हजार करोड़ रूपये की ऐसी राशि पड़ी हुई है जिसके लिए किसी ने दावा नहीं किया है। वे चाहते हैं कि इसे उसके दावेदारों को वापस दे दिया जाए। उन्होंने कहा कि अगर मोबाइल उपभोक्ताओं को कहीं भी जाने पर कनेक्टिीविटी मिल सकती है तो एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले श्रमिकों को भविष्य निधि का लाभ क्यों नहीं मिल सकता? प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे यह धनराशि गरीबों को वापस देनी है। यह 27 हजार करोड़ रूपया गरीबों का है। अपनी सोच पर सवाल उठाने वालों पर चुटकी लेते हुए मोदी ने कहा कि जो लोग यह पूछते हैं कि मोदी की सोच क्या है, वे इसे नहीं देख पायेंगे क्योंकि सोच की खोज करते हुए उनके चश्मे का नंबर बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि सरकार विश्वास के आधार पर काम करती है, संदेह के सहारे नहीं। उन्होंने कहा कि इसी सोच के तहत उन्होंने युवा उद्यमियों की ओर से अपने दस्तावेजों के स्वसत्यापन की अनुमति देने का फैसला किया जिन्हें अधिकारियों से अपने दस्तावेजों का सत्यापन कराने के लिए दर दर भटकना पड़ता था।
लोगों से श्रमिकों का सम्मान करने और उन्हें ‘श्रमयोगी’ मानने की अपील करते हुए मोदी ने कहा कि समाज तभी विकास कर सकता है जब सामाजिक जीवन एवं उच्च श्रेणी की नौकरी के स्तर पर श्रमिकों की प्रतिष्ठता और सम्मान को बहाल किया जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विडंबना है कि कुछ पाठ्यक्रमों के बेरोजगार स्नातकों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है जबकि आईटीआई से संबद्ध छात्रों को नीचे माना जाता है और इसके कारण वे अपनी पहचान जाहिर करने से हिचकते हैं। मोदी ने कहा कि हमने श्रमिकों को सम्मानजनक दर्जा नहीं दिया है। हमने इन्हें हेय दृष्टि से देखा है। उन्होंने कहा कि इनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण रूख से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ‘श्रम योगी’, राष्ट्र योगी और फिर राष्ट्र निर्माता बनें। मोदी ने श्रम मुद्दों को श्रमिकों के नजरिये देखने और समझने की वकालत की ताकि इनका निपटारा संवेदना के साथ किया जा सके। श्रमिकों एवं नियुक्ताओं के हितों को ध्यान रखने वाली कई योजनाओं को एक साथ पेश करने के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रम सुविधा पोर्टल से 16 श्रम कानूनों का अनुपालन सरल बनाकर अब यह एक ही आनलाइन फार्म पेश किया गया है।
मोदी ने कहा कि पारदर्शी श्रम निरीक्षण योजना के तहत बिना बारी के इकाइयों का निरीक्षण करने की पहल से इंस्पेक्टर राज खत्म होगा और गैरवाजिब परेशानियों से बचा जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यावसायिक प्रशिक्षण के संबंध में राष्ट्रीय ब्रांड दूतों को नियुक्त करने की पहल से आईटीआई छात्रों में विश्वास का भाव जगेगा। ई-प्रशासन को शासन चलाने की प्रभावी एवं सस्ती पहल बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
मोदी ने ‘इंस्पेक्टर राज’ व्यवस्था को समाप्त करने के उपायों समेत आज अनेक श्रम सुधार कार्यक्रम पेश किए और कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए कारोबार के अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है।
मोदी ने ‘श्रमेव जयते’ कार्यक्रम के तहत कई योजनाएं पेश कीं जिनमें कर्मचारी भविष्य निधि के लिए यूनिवर्सल एकाउंट नंबर के जरिये पोर्टेबिलिटी, श्रम मंत्रालय के साथ कामकाज में सहूलियत प्रदान करने के वास्ते एकल खिड़की व्यवस्था के लिए पोर्टल और केंद्रीय परिदृश्य में श्रम निरीक्षण योजना शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सभी कदम उनकी सरकार के ‘न्यूनतम सरकार और अधिकमत सुशासन’ की पहल को रेखांकित करते हैं। इसमें पोर्टेबल भविष्य निधि खातों के अलावा कंपनियों में श्रम निरीक्षण के लिए एकीकृत पोर्टल की योजना शामिल है। साढ़े छह लाख यूनिट्स को लेबर आइडेंटिफिकेशन नंबर मिला है। वहीं, पीएफ अकाउंट्स होल्डर को यूनिवर्सल अकाउंट्स नंबर भी मिला है। अब अब पीएफ खातों की जानकारी ऑनलाइन भी मिल सकेगी।
श्रम निरीक्षण में पारदर्शिता लाकर इंस्पेक्टर राज खत्म करने और अधिकारियों द्वारा परेशान करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि एकाधिकार से जुड़ी प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए पारदर्शी श्रम निरीक्षण योजना तैयार की जा रही है। अभी निरीक्षण के लिए इकाइयों का चयन स्थानीय स्तर पर किया जाता है जिसमें व्यावहारिक मापदंड का अभाव पाया जाता है। नई योजना के तहत गंभीर मामले अनिवार्य निरीक्षण की सूची में आएंगे।
पूर्व निर्धारित व्यावहारिक मापदंडों के आधार पर बिना बारी के निरीक्षण के लिए कम्प्यूटरीकृत सूची बनाई जाएगी और शिकायतों पर आधारित जांच केंद्रीय स्तर पर आंकड़ों एवं साक्ष्यों के आधार पर तय होगी। गंभीर मामलों के निरीक्षण के लिए आपात सूची का भी प्रावधान होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने 16 फार्मों (जिसे फैक्टरी मालिकों को भरना होता था) को एक फार्म में बदल दिया है और यह आनलाइन उपलब्ध है। अब कम्प्यूटर पर ड्रा के जरिये यह तय होगा कि कौन इंस्पेक्टर (श्रम) किस फैक्टरी का निरीक्षण करने के लिए जाएगा और उसे 72 घंटे के भीतर आनलाइन रिपोर्ट आपलोड करना होगा। मोदी ने कहा कि इन पहलों को ही मैं न्यूनतम सरकार, अधिकतम सुशासन कहता हूं। मैं बचपन से ही इंस्पेक्टर राज के बारे में सुनता रहा हूं।
कारोबार करने के लिए प्रक्रिया सरल बनाने की सरकार की जिम्मेदारी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर ‘मेक इन इंडिया’ को सफल बनाना है तो कारोबार करने की सहूलियत प्रदान करना पहली जरूरत है। मेक इन इंडिया के लिए कारोबारी माहौल बनाना प्राथमिकता का विषय है। श्रम मंत्रालय की ओर से आयोजित ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मोदी ने एसएमएस के जरिये 4.2 लाख आईटीआई के छात्रों तक पहुंच कायम की और विभिन्न क्षेत्रों में स्नातक तकनीकी पाठ्यक्रमों में आईटीआई डिग्री प्राप्त करने वालों को शुभकामनाएं दीं।
आईटीआई छात्रों के अलावा करीब एक करोड़ ईपीएफओ उपभोक्ताओं को यूनिवर्सल एकाउंट नंबर के जरिये पोर्टेबिलिटी के संबंध में एसएमएस प्राप्त हुआ और 6.50 लाख प्रतिष्ठानों और 1,800 निरीक्षकों को एकीकृत श्रम पोर्टल के बारे में एसएमएस प्राप्त हुए जिसके बारे में सरकार का मानना है कि इससे पारदर्शिता आएगी और श्रम निरीक्षण योजना को जवाबदेह बनाया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की यह पहल ऐसे दूसरे आयोजनों से अलग है क्योंकि इसका संदेश योजना का शुभारंभ होते ही सभी पक्षों तक पहुंच गया है।
‘प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना’ में कौशल विकास पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया को 2020 तक काफी संख्या में मानव संसाधनों की जरूरत होगी और देश में दुनिया को मानव संसाधन प्रदान करने की व्यापक क्षमता है। गौरतलब है कि अभी 2.82 लाख प्रशिक्षु देश में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं जबकि इस संबंध में 4.9 लाख सीटें हैं। प्रशिक्षु योजना को दुरूस्त बनाने की पहल शुरू की गई है और यह योजना मार्च 2017 तक एक लाख प्रशिक्षुओं को सहयोग प्रदान करेगी।
कामकाजी वर्ग तक पहुंच बनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य निधि में 27 हजार करोड़ रूपये की ऐसी राशि पड़ी हुई है जिसके लिए किसी ने दावा नहीं किया है। वे चाहते हैं कि इसे उसके दावेदारों को वापस दे दिया जाए। उन्होंने कहा कि अगर मोबाइल उपभोक्ताओं को कहीं भी जाने पर कनेक्टिीविटी मिल सकती है तो एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले श्रमिकों को भविष्य निधि का लाभ क्यों नहीं मिल सकता? प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे यह धनराशि गरीबों को वापस देनी है। यह 27 हजार करोड़ रूपया गरीबों का है। अपनी सोच पर सवाल उठाने वालों पर चुटकी लेते हुए मोदी ने कहा कि जो लोग यह पूछते हैं कि मोदी की सोच क्या है, वे इसे नहीं देख पायेंगे क्योंकि सोच की खोज करते हुए उनके चश्मे का नंबर बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि सरकार विश्वास के आधार पर काम करती है, संदेह के सहारे नहीं। उन्होंने कहा कि इसी सोच के तहत उन्होंने युवा उद्यमियों की ओर से अपने दस्तावेजों के स्वसत्यापन की अनुमति देने का फैसला किया जिन्हें अधिकारियों से अपने दस्तावेजों का सत्यापन कराने के लिए दर दर भटकना पड़ता था।
लोगों से श्रमिकों का सम्मान करने और उन्हें ‘श्रमयोगी’ मानने की अपील करते हुए मोदी ने कहा कि समाज तभी विकास कर सकता है जब सामाजिक जीवन एवं उच्च श्रेणी की नौकरी के स्तर पर श्रमिकों की प्रतिष्ठता और सम्मान को बहाल किया जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विडंबना है कि कुछ पाठ्यक्रमों के बेरोजगार स्नातकों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है जबकि आईटीआई से संबद्ध छात्रों को नीचे माना जाता है और इसके कारण वे अपनी पहचान जाहिर करने से हिचकते हैं। मोदी ने कहा कि हमने श्रमिकों को सम्मानजनक दर्जा नहीं दिया है। हमने इन्हें हेय दृष्टि से देखा है। उन्होंने कहा कि इनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण रूख से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ‘श्रम योगी’, राष्ट्र योगी और फिर राष्ट्र निर्माता बनें। मोदी ने श्रम मुद्दों को श्रमिकों के नजरिये देखने और समझने की वकालत की ताकि इनका निपटारा संवेदना के साथ किया जा सके। श्रमिकों एवं नियुक्ताओं के हितों को ध्यान रखने वाली कई योजनाओं को एक साथ पेश करने के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रम सुविधा पोर्टल से 16 श्रम कानूनों का अनुपालन सरल बनाकर अब यह एक ही आनलाइन फार्म पेश किया गया है।
मोदी ने कहा कि पारदर्शी श्रम निरीक्षण योजना के तहत बिना बारी के इकाइयों का निरीक्षण करने की पहल से इंस्पेक्टर राज खत्म होगा और गैरवाजिब परेशानियों से बचा जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यावसायिक प्रशिक्षण के संबंध में राष्ट्रीय ब्रांड दूतों को नियुक्त करने की पहल से आईटीआई छात्रों में विश्वास का भाव जगेगा। ई-प्रशासन को शासन चलाने की प्रभावी एवं सस्ती पहल बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
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