आज से संसद का शीतकालीन सत्र
नई
दिल्ली। आज से शुरु हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार को विपक्ष के
कड़े रुख का सामना करना पड़ सकता है। रविवार को सरकार की ओर से सभी पार्टियों
की बैठक बुलाई गई, जिसमें 26 पार्टियों के 40 से ज्यादा नेताओं ने हिस्सा
लिया। बैठक में प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि बजट सत्र की तरह शीतकालीन
सत्र भी कामयाब रहेगा। इस बैठक में समाजवादी पार्टी और टीएमसी ने हिस्सा
नहीं लिया था।
आज से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार को एक बार फिर विपक्ष से दो दो हाथ करने होंगे। हालांकि सत्र शांतिपूर्ण तरीके से चलाने के मकसद से सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा संसदीय कार्यमंत्री वैंकइया नायडू समेत 26 पार्टियों के 40 नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि बजट सत्र की तरह ही शीतकालीन सत्र भी कामयाब रहेगा। सरकार को विपक्ष या किसी भी सदस्य द्वारा उठाए गए मुद्दे पर बहस में कोई आपत्ति नहीं है। बैठक के बाद नायडू ने कहा कि सरकार विपक्ष के सुझावों पर अमल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और काला धन के मुद्दे पर सरकार तमाम संभव कदम उठा रही है।
वहीं, कांग्रेस ने सरकार को काला धन, सूखा, मंहगाई समेत एक दर्जन मुद्दों की सूची सौंपी है। जिसे शीतकालीन सत्र के दौरान उनकी ओर से उठाया जाएगा। पार्टी का कहना है कि सरकार ने सात बिल चर्चा के लिए रखे हैं और 14 बिल पेश किए जाएंगे। कांग्रेस चाहती है कि महिला आरक्षण और दलित अत्याचार संशोधन बिल जैसे लंबित बिलों को भी इस सत्र में जोड़ा जाए। वहीं, जेड़ीयू, लेफ्ट, सपा और बीएसपी का कहना है कि बीमा विधेयक का विरोध करेगी। इन पार्टियों का कहना है कि वो कांग्रेस से भी इसका विरोध करने का अनुरोध कर रही है।
हालांकि कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी का कहना है कि वो बिल देखने के बाद ही अपना रुख साफ करेगी। सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होकर तृणमूल कांग्रेस ने अपने तेवर के संकेत दे दिए हैं। पार्टी का कहना है कि वो उनके नेताओं को सीबीआई द्वारा परेशान किए जाने समेत कई मुद्दों को संसद में उठाएगी। हालांकि सरकार के लिए राहत की बात है कि शिवसेना उसके साथ खड़ी नजर आ रही है। पार्टी की ओर से साफ किया गया कि महाराष्ट्र के रिश्तों का असर दिल्ली में देखने को नहीं मिलेगा।
शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र का परिणाम दिल्ली में नहीं होगा। सरकार के पूरे कार्यकलापों के साथ रहेंगे। महाराष्ट्र में बहुत सूखा है वो मुद्दा हम ठाएंगे। उस पर सरकार से जवाब मांगेंगे। शीतकालीन सत्र 24 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलना है जिसमें 22 बैठकें होंगी। इस दौरान सरकार की कोशिश बीमा संशोधन विधेयक, वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी विधेयक, लोकपाल एवं लोकायुक्त संशोधन विधेयक जैसे कई अहम विधेयक पारित कराने की होगी। विपक्ष का कहना है कि वो सत्र के दौरान पीएम मोदी के विदेश दौरों और घोषणाओं को नतीजों की कसौटी पर कसेगा। लेकिन अपनी छिन्न भिन्न मौजूदगी में वो कितना असरदार साबित होगा ये बड़ा सवाल है।
आज से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार को एक बार फिर विपक्ष से दो दो हाथ करने होंगे। हालांकि सत्र शांतिपूर्ण तरीके से चलाने के मकसद से सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा संसदीय कार्यमंत्री वैंकइया नायडू समेत 26 पार्टियों के 40 नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि बजट सत्र की तरह ही शीतकालीन सत्र भी कामयाब रहेगा। सरकार को विपक्ष या किसी भी सदस्य द्वारा उठाए गए मुद्दे पर बहस में कोई आपत्ति नहीं है। बैठक के बाद नायडू ने कहा कि सरकार विपक्ष के सुझावों पर अमल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और काला धन के मुद्दे पर सरकार तमाम संभव कदम उठा रही है।
वहीं, कांग्रेस ने सरकार को काला धन, सूखा, मंहगाई समेत एक दर्जन मुद्दों की सूची सौंपी है। जिसे शीतकालीन सत्र के दौरान उनकी ओर से उठाया जाएगा। पार्टी का कहना है कि सरकार ने सात बिल चर्चा के लिए रखे हैं और 14 बिल पेश किए जाएंगे। कांग्रेस चाहती है कि महिला आरक्षण और दलित अत्याचार संशोधन बिल जैसे लंबित बिलों को भी इस सत्र में जोड़ा जाए। वहीं, जेड़ीयू, लेफ्ट, सपा और बीएसपी का कहना है कि बीमा विधेयक का विरोध करेगी। इन पार्टियों का कहना है कि वो कांग्रेस से भी इसका विरोध करने का अनुरोध कर रही है।
हालांकि कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी का कहना है कि वो बिल देखने के बाद ही अपना रुख साफ करेगी। सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होकर तृणमूल कांग्रेस ने अपने तेवर के संकेत दे दिए हैं। पार्टी का कहना है कि वो उनके नेताओं को सीबीआई द्वारा परेशान किए जाने समेत कई मुद्दों को संसद में उठाएगी। हालांकि सरकार के लिए राहत की बात है कि शिवसेना उसके साथ खड़ी नजर आ रही है। पार्टी की ओर से साफ किया गया कि महाराष्ट्र के रिश्तों का असर दिल्ली में देखने को नहीं मिलेगा।
शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र का परिणाम दिल्ली में नहीं होगा। सरकार के पूरे कार्यकलापों के साथ रहेंगे। महाराष्ट्र में बहुत सूखा है वो मुद्दा हम ठाएंगे। उस पर सरकार से जवाब मांगेंगे। शीतकालीन सत्र 24 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलना है जिसमें 22 बैठकें होंगी। इस दौरान सरकार की कोशिश बीमा संशोधन विधेयक, वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी विधेयक, लोकपाल एवं लोकायुक्त संशोधन विधेयक जैसे कई अहम विधेयक पारित कराने की होगी। विपक्ष का कहना है कि वो सत्र के दौरान पीएम मोदी के विदेश दौरों और घोषणाओं को नतीजों की कसौटी पर कसेगा। लेकिन अपनी छिन्न भिन्न मौजूदगी में वो कितना असरदार साबित होगा ये बड़ा सवाल है।

No comments
सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com