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इन पर कब होगी नजर-ए-इनायत...

नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा ने नार दिया था, हर हाथ काम लेकिन उनकी ही पार्टी के कई ऐसे नेता हैं जो काम के इंतजार में एक-एक दिन गिन रहे हैं। वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह के अध्यक्ष रहते पार्टी के दिग्गज राष्ट्रीय नेताओं की कतार में खड़े ये नेता असमय ही लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की पंक्ति में शामिल कर दिए गए हैं। अपने खालीपन से उकताए ये नेता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी होने की वजह से आवाज बुलंद करने की स्थिति में भी नहीं हैं।

भाजपा के आडवाणी और जोशी को उम्र का हवाला देकर जबरन सेवानिवृत्ति को मजबूर कर दिया लेकिन पार्टी में 50 के आसपास की उम्र वाले ऐसे नेताओं की संख्या भी काफी है जिनके पास कोई काम नहीं है। वहीं शाह की टीम में कुछ पदों के खाली होने से इन नेताओं में अपने दिन बहुरने की उम्मीद जगी है।

ऐसे नेताओं में दिल्ली की मेयर, राष्ट्रीय सचिव और गोवा की प्रभारी रहीं आरती मेहरा भी शामिल हैं। इन दिनों उनके पास करने को कोई काम नहीं है। कुछ ऐसा ही हाल दिल्ली की मेयर और राष्ट्रीय महासचिव रह चुकी अनीता आर्य का है। सरकार से लेकर संगठन तक में अपनी पहचान बनाने वाले उत्तराखंड के बीसी खंडूरी, भगत सिंह कोश्यारी, बच्ची सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक और प्रकाश पंत भी इन दिनों सरकार या संगठन से काम मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

राजग सरकार में ईमानदार मंत्री के रूप में पहचाने जाने वाले शांता कुमार और तीन बार पार्टी के युवा मोर्चा की कमान संभाल चुके अनुराग ठाकुर भी इन दिनों राजनीतिक वनवास में हैं। भाजपा के नेताओं की लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती इनकी लाइन कापी लंबी है। एक समय उत्तर प्रदेश में पार्टी का चेहरा रहे विनय कटियार भगवा राजनीति के पोस्टर ब्वॉय माने जाते थे।

वे राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी उपाध्यक्ष रह चुके हैं, लेकिन इन दिनों उनके पास कोई पद नहीं है। मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता कैलाश जोशी भी राजभवन जाने का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी, रामदास अग्रवाल, विजया चक्रवर्ती और विजय कुमार मल्होत्रा भी असमय ही सक्रिय राजनीति से किनारे कर दिए गए हैं। इनके साथ ही रमेश बैस, सीपी ठाकुर, हुकुम देव नारायण यादव, कीर्ति आजाद, बलबीर पुंज, विजय गोयल और तरुण विजय जैसे नेताओं को पार्टी हाईकमान की मेहरबानी का इंतजार है।

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