गंगा की सफाई के लिए नहीं करेगें जल्दबाजी: उमा
नई दिल्ली: केन्द्रीय जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि वह गंगा का अविरल एवं निर्मल प्रवाह बना रखने के लिए जल्दबाजी में कोई काम नहीं करेगीं और सभी पक्षों का ध्यान रखकर सुनियोजित ढंग से काम करके दीर्घकालिक एवं ठोस परिणाम सामने लाएंगीं।
भारती ने यहां विज्ञान भवन में तीन दिन तक चले जल मंथन कार्यक्रम के समापन अवसर पर अपने संबोधन में अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि हाल ही वाराणसी यात्रा के दौरान उन्होंने एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया था जिसमें साफ पानी एक गंदे नाले में जा रहा था और गंदे नाले का पानी गंगा में प्रवाहित हो रहा था।
उन्होंने पाया कि इससे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का मकसद ही खत्म हो गया था। उन्होंने कहा कि संभव है कि गंगा की सफाई करना है. का शोर मचा हो और बिना सोचे या पूरी योजना बनाए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बना डाला हो लेकिन हडबडी में उसकी पूरी योजना नहीं बनाई गई हो। इससे पता चलता है कि जल्दबाजी करने से पैसा भी बरबाद होता है और उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पाता।
उन्होंने गंगा की सफाई की अब तक बनी योजनाओं में भ्रष्टाचार एवं दूरदर्शिता के अभाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि हो सकता हो कि इसमें भ्रष्ट्राचार भी हो क्योंकि कहा गया है कि 50 हजार करोड़ या एक लाख करोड़ खर्च हो चुके हैं लेकिन उन्होंने हर तरह से आकलन किया है और यह राशि किसी भी हालत में तीन हजार करोड़ रुपए से अधिक नहीं जाती है।
उन्होंने कहा कि चूंकि वह जल्दबाजी के दुष्परिणामों को जानती हैं। इसलिए गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के काम को हडबडी में करने की बजाय पूरी योजना बना कर दीर्घकालिक एवं ठोस परिणाम लाने के लिए काम करेगीं।
भारती ने यहां विज्ञान भवन में तीन दिन तक चले जल मंथन कार्यक्रम के समापन अवसर पर अपने संबोधन में अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि हाल ही वाराणसी यात्रा के दौरान उन्होंने एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया था जिसमें साफ पानी एक गंदे नाले में जा रहा था और गंदे नाले का पानी गंगा में प्रवाहित हो रहा था।
उन्होंने पाया कि इससे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का मकसद ही खत्म हो गया था। उन्होंने कहा कि संभव है कि गंगा की सफाई करना है. का शोर मचा हो और बिना सोचे या पूरी योजना बनाए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बना डाला हो लेकिन हडबडी में उसकी पूरी योजना नहीं बनाई गई हो। इससे पता चलता है कि जल्दबाजी करने से पैसा भी बरबाद होता है और उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पाता।
उन्होंने गंगा की सफाई की अब तक बनी योजनाओं में भ्रष्टाचार एवं दूरदर्शिता के अभाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि हो सकता हो कि इसमें भ्रष्ट्राचार भी हो क्योंकि कहा गया है कि 50 हजार करोड़ या एक लाख करोड़ खर्च हो चुके हैं लेकिन उन्होंने हर तरह से आकलन किया है और यह राशि किसी भी हालत में तीन हजार करोड़ रुपए से अधिक नहीं जाती है।
उन्होंने कहा कि चूंकि वह जल्दबाजी के दुष्परिणामों को जानती हैं। इसलिए गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के काम को हडबडी में करने की बजाय पूरी योजना बना कर दीर्घकालिक एवं ठोस परिणाम लाने के लिए काम करेगीं।

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