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शाह फॉर्मूले पर मानी शिवसेना, मोदी भी यही चाहते थे!

मुंबई : शिवसेना से टूटे गठबंधन को जोड़ने और महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना को वापस लाने में आखिरकार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का फॉर्मूला कारगर साबित हुआ। पिछले दिनों रेल मंत्री सुरेश प्रभु की शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से हुई मुलाकात के बाद ही दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व के बीच संवाद की शुरुआत हुई।

शाह ने उद्धव के साथ बातचीत कर फार्मूले पर अंतिम फैसला लिया। महाराष्ट्र में भाजपा सरकार में शिवसेना को दस मंत्री पद दे रही है। गृह विभाग पर भाजपा ने हामी भर दी है लेकिन शिवसेना की उपमुख्यमंत्री पद देने की मांग पूरी नहीं की जा रही है। हालांकि सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अभी भी शिवसेना को गृह विभाग दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन पार्टी आलाकमान के फैसले के आगे वह चुप हैं।

महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल का विस्तार 1 दिसंबर को हो सकता है। बताया जा रहा है कि उद्धव और शाह के बीच फॉर्मूला तय होने के बाद ही राज्य भाजपा और मुख्यमंत्री को शिवसेना नेताओं से वार्ता के काम में लगाया गया। ये वार्ता महज खानापूर्ति मानी जा रही है। सूत्रों के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी का दिल शिवसेना पर शुरू से नरम रहा है।

इसलिए विदेश से लौटने के तुरंत बाद उन्होंने भाजपा अध्यक्ष को मोर्चा संभालने को कहा। वैसे संघ प्रमुख मोहन राव भागवत ने भी शिवसेना प्रमुख को समझाया था कि दोनों हिंदूवादी दलों को साथ रहना चाहिए।

महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में शिवसेना के शामिल होने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। शिवसेना बेसब्री से भाजपा के प्रस्ताव का इंतजार कर रही है। शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने बताया कि मातोश्री में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और राज्य के सहकारिता मंत्री चंद्रकांत पाटिल की बातचीत के बाद हमें भाजपा के प्रस्ताव का इंतजार है। जब तक भाजपा का कोई प्रस्ताव नहीं आता तब तक शिवसेना विपक्ष में बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन की नई शुरुआत के बारे में पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अंतिम फैसला करेंगे। उधर चर्चा है कि भाजपा ने शिवसेना का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। जल्द ही घोषणा की जाएगी।

भाजपा के दो वार्ताकार धर्मेन्द्र प्रधान और चंद्रकांत पाटिल ने शुक्रवार को मातोश्री में उद्धव ठाकरे से बातचीत की थी। सूत्रों के मुताबिक उसके बाद दोनों पार्टी के नेताओं ने राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में भी देर रात तक बैठक की थी, जिसमें शिवसेना के सरकार में शामिल होने का नया फॉर्मूला तैयार किया गया। इस बैठक में शिवसेना की ओर से केंद्रीय मंत्री अनंत गीते, सुभाष देसाई, अनिल देसाई और भाजपा की ओर से धर्मेन्द्र प्रधान एवं पाटिल शामिल थे। उसके बाद प्रधान ने अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सौंप दी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि शाह ने प्रधान की रिपोर्ट को मंजूर कर लिया है।

सरकार में सहभागिता के लिए हालांकि शिवसेना के उपमुख्यमंत्री पद की मांग स्वीकार नहीं की जाएगी लेकिन गृह विभाग शिवसेना के कोटे में दिया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार भाजपा की ओर से शिवसेना को चार कैबिनेट और पांच राज्यमंत्री पद देने का प्रस्ताव है। इसके अलावा केंद्र में भी शिवसेना को एक और कैबिनेट मंत्रालय के साथ राज्यमंत्री पद दिए जाने पर सहमति के आसार है। उधर, महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष सुनील तटकरे ने फिर दोहराया कि भाजपा चाहे तो शिवसेना को सरकार में शामिल करे लेकिन भाजपा सरकार को हमारा समर्थन जारी रहेगा।

उद्धव से मिले सुब्रमण्यम स्वामी
भाजपा-शिवसेना के बीच टूटी दोस्ती को नए सिरे से जोड़ने की कवायद के बीच शनिवार को भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी मातोश्री पहुंचे और उद्धव से मुलाकात की। उन्होंने हिंदुत्व के नाम पर दोनों पार्टियों के एक होने की अपील की।

बातचीत के साथ ही शुरू है दबाव की राजनीति
एक तरफ भाजपा-शिवसेना के रिश्ते जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ शिवसेना पर दबाव की राजनीति भी शुरू है। सरकार में नंबर दो की हैसियत वाले राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने दावा किया है कि कांग्रेस के कई विधायक हमारे संपर्क में है। जो आवश्यकता पड़ने पर भाजपा सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे। इसके पहले वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने भी दावा किया है कि कांग्रेस और एनसीपी के कई विधायक हमारे संपर्क में हैं इसलिए सरकार को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है।

निर्णय प्रक्रिया से दूर किए जाने के बावजूद भाजपा मार्गदर्शक मंडल के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी के शीर्ष नेताओं को अति उत्साह से बचने की सलाह दी है। आडवाणी ने कहा है कि बुरे वक्त में साथ रही पार्टियों को अच्छे दिन में छोड़ना किसी भी तरह से उचित नहीं है। संभवत: आडवाणी की इस नसीहत का ही असर है कि महाराष्ट्र में पार्टी नेतृत्व ने शिवसेना की ओर हाथ बढ़ा दिया है।

दरअसल आडवाणी देश की राजनीति में हाल के दिनों में आए व्यापक बदलाव से चिंतित हैं। हाल के समय में कांग्रेस और वाम दलों का ग्राफ उम्मीद से ज्यादा तेजी से गिरा है। अब राजनीति भाजपा और खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी पर केंद्रीय हो गई है। मोदी के कमाल के आगे सबके समीकरण फेल हो गए हैं। मोदी और भाजपा अध्यक्ष की जोड़ी के आगे पार्टी के बाकी नेता भी फीके� पड़ गए हैं। लोकप्रियता के पैमाने पर मोदी जहां देश के नंबर एक नेता हैं, वहीं रुतबे के मामले में शाह नंबर दो हो गए हैं। सरकार अथवा संगठन में नंबर तीन पर कोई चेहरा दिखाई नहीं दे रहा है।

मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली नंबर दो पर गिने जाते थे, लेकिन रक्षा मंत्रालय सरीखा भारी भरकर मंत्रालय हाथ से जाने के बाद उनका रुतबा कम हुआ है। मोदी और शाह दोनों की कार्यशैली आक्रामक है और संभवत: इसी का परिणाम है कि भाजपा के छोटे-बड़े सभी नेता आत्मविश्वास से भरे हुए दिख रहे हैं। आए दिन उनके आचरण में अति उत्साह दिख रहा है, जिसने आडवाणी को चिंतित कर दिया है।

देश की एकध्रुवीय राजनीति और भाजपा की व्यक्तिवादी राजनीति पर पूर्व महासचिव एवं चिंतक गोविंदाचार्य ने भी चिंता जताई है। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि सिर्फ सम्मेलनों से देश नहीं गढ़ा जा सकता है।

पश्चिम रेलवे का मुख्यालय मुंबई से अहमदाबाद स्थानांतरित करने की मांग को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। शिवसेना और मनसे इसके विरोध में खड़ी हो गई हैं। शिवसेना सांसद संजय राउत ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को पत्र लिखकर मांग की है कि मुंबई से महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय हटाए जाने के बारे में सरकार अपनी भूमिका स्पष्ट करे। राउत ने कहा है कि फडणवीस केंद्र सरकार से बात कर यह सुनिश्चित करें कि पश्चिम रेलवे का मुख्यालय किसी भी सूरत में मुंबई से न हटाया जाए।

अहमदाबाद के भाजपा सांसद किरीट सोलंकी ने शुक्रवार को लोकसभा में मांग की थी कि पश्चिम रेलवे का मुख्यालय मुंबई से स्थानांतरित कर अहमदाबाद लाया जाए। इसके बाद मुंबई में शिवसेना और मनसे ने मोर्चा खोल दिया है। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने नासिक में कहा कि पश्चिम रेलवे का मुख्यालय अहमदाबाद ले जाने का पुरजोर विरोध किया जाएगा। शिवसेना सांसद संजय राउत का कहना है कि लगातार मुंबई के महत्व को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक के तीन महत्वपूर्ण कार्यालय मुंबई से हटाकर दिल्ली शिफ्ट कर दिए गए। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट और जेएनपीटी के� परिवहन को गुजरात में और नरीमन प्वाइंट स्थित एयर इंडिया कार्यालय को धीरे-धीरे दिल्ली शिफ्ट किया जा रहा है।

राउत का आरोप है कि एयर इंडिया के मराठी अधिकारियों को दिल्ली भेजकर उनके साथ धोखा किया जा रहा है। पहले पालघर में बनने वाले कोस्टल पुलिस प्रशिक्षण केंद्र को गुजरात ले जाने का फैसला किया गया और अब पश्चिम रेलवे का मुख्यालय स्थानांतरित करने की कोशिश की जा रही है। राउत ने कहा कि फडणवीस को इसके खिलाफ दिल्ली में आवाज उठानी चाहिए।

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