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कलेक्टर पी. नरहरि ने WHATSAPP पर लिखा, 'मैं क्षमा प्रार्थी हूं!'

ग्वालियर। ग्वालियर में सेना की भर्ती के दौरान हुए हंगामे के लिए कलेक्टर पी. नरहरि ने माफी मांगी है। नरहरि ने कहा कि, 'हम बेहतर प्रशासन के लिए प्रतिबद्ध हैं, लिहाजा अव्यवस्था की स्थिति पैदा होने और इसकी वजह से असुविधाओं के लिए मैं प्रशासन की ओर से क्षमा प्रार्थी हूं।' कलेक्टर ने अपने वाट्सऐप पर क्षमा मांगी है। हालांकि कलेक्टर पी. नरहरि ने कहा कि, सेना अपनी भर्ती के लिए खुद ही इंतजाम करती है। उधर, इस मामले में एक याचिका दायर की गई है।

यह है घटनाक्रम
भर्ती रैली में शामिल होने आए युवकों ने बुधवार सुबह हंगामा और तोड़फोड़ मचा दी थी। हंगामे की सूचना से मची भगदड़ में 50 से भी ज्यादा अभ्यर्थी जख्मी हो गए। गंभीर रूप से घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल समेत शहर के दूसरे अस्पतालों में भर्ती कराया गया। बुधवार सुबह 4 बजे सभी छात्र शारीरिक परीक्षण के लिए मेला मैदान में पहुंचे थे। हंगामा उस वक्त शुरू हुआ था, जब करीब 25 हजार की संख्या में भर्ती के लिए उपस्थित युवकों को देखकर आयोजकों ने भर्ती निरस्त कर दी थी।

सेना ने महज 5 से 10 हजार तक की आमद का अंदाजा लगाया था। लेकिन इतनी संख्या में भर्ती के अभ्यर्थियों को देख इंतजाम नाकाफी लगने लगा और भर्ती निरस्त करनी पड़ी।

भर्ती निरस्त करने से नाराज थे छात्र
भर्ती निरस्त की सूचना मिलने पर गुस्साए युवकों ने हंगामा शुरू कर दिया था। इसी दौरान किसी शरारती छात्र ने यह अफवाह फैला दी थी कि परीक्षण के दौरान एक छात्र की मौत हो गई है। इस अफवाह के बाद मैदान पर मौजूद अभ्यर्थियों में भगदड़ मच गई। मौके पर मौजूद पुलिस प्रशासन छात्रों को रोकने के लिए आगे आया, लेकिन छात्र उन्हें धक्का देकर आगे निकल गए। भीड़ को देखते हुए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। जवाब में छात्रों ने भी पथराव शुरू कर दिए। इस दौरान 50 से भी ज्यादा युवक घायल हो गए थे।

पुलिस की गाडिय़ां जलाई
नाराज छात्रों ने मेला मैदान से रेलवे स्टेशन तक तोड़फोड़ की थी। वहां से गुजर रहे वाहनों में पत्थर मारे, यहां तक कि मीडिया कर्मियों की बाइक और पुलिस के वाहनों में भी तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी गई थी। हंगामे के बाद भर्ती मैदान से भागे अभ्यर्थी पूरे शहर में फैल गए थे। इससे शहर में आम नागरिकों की आवाजाही भी बाधित हुई थी। बाद में पुलिस ने हालात काबू किए और भर्ती के लिए आए युवकों को उनके घर वापस भेजने के इंतजाम किए।

सेना और प्रशासन में रहा तालमेल का अभाव
ग्वालियर-चंबल अंचल में सेना और अर्ध-सैनिक बलों के लिए होने वाली भर्तियों में भीड़ उमड़ती ही है, यह जानते हुए भी प्रशासन माकूल इंतजाम नहीं कर सका था। इसकी वजह सैनिक और स्थानीय प्रशासन में तालमेल के अभाव को माना जा रहा है। रेलवे प्रशासन के मुताबिक भर्ती और उससे संबंधित इंतजाम की सूचना उन्हें नहीं दी गई थी। लिहाजा भगदड़ के बाद वापसी के लिए रेलवे स्टेशन पर अभ्यर्थियों की भीड़ लग गई थी, इससे वहां की व्यवस्थाएं भी गड़बड़ा गईं थी।

भर्ती के प्रभारी और सेना के ब्रिगेडियर सुनील गुप्ता के मुताबिक इस संबंध में सूचना जिला प्रशासन को दी गई थी। जिला प्रशासन के मुताबिक कि इस संबंध में पुलिस और रेलवे को लिखित सूचना भेजी गई थी। लेकिन न तो सेना और न ही रेलवे या स्थानीय प्रशासन यह बता पा रहा है कि अंचल में सेना भर्ती के लिए भीड़ के रुझान के मद्देनजर इंतजाम क्यों नहीं किए गए।

आनन-फानन में बंद कराई गईं थीं दुकानें
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार युवाओं को रोकने के लिए लाठीचार्ज किया गया था। इसके बाद भड़के युवाओं ने तोड़फोड़ शुरू कर दी थी। बड़ी संख्‍या में युवा स्‍टेशन भी पहुंच गए थे और वहां लगे ठेलों, दुकानों और स्टालों पर तोड़फोड़ की साथ ही कई गाड़ियों के कांच भी फोड़ दिए गए थे। हंगामे और तोड़फोड़ को देख बड़ी संख्‍या में पुलिस बल भी बुलाया गया। आनन-फानन में क्षेत्र की दुकानें भी बंद कराई गईं थीं। घटना के बाद से पूरी क्षेत्र में तनाव की स्थित एवं अफरातफरी मच गई थी। हंगामे के चलते शहर के प्रमुख बाजार भी बंद कर दिए गए थे।

पहले भी हुई हैं ऐसी घटनाएं
देश के सैनिक व अर्ध-सैनिक बलों में पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा जवान (प्रदेश के करीब 50 फीसदी) ग्वालियर-चंबल अंचल से ही हैं। अंचल में इस रुझान की वजह से अंचल में होने वाली भर्तियों में हमेशा भीड़ उमड़ती रही है। इसी वजह से बीते साल ग्वालियर और शिवपुरी की भर्तियों में भी हंगामा हुआ था।

पुलिस अफसर भी पिटे
रात साढ़े तीन बजे से मेला ग्राउंड में हलचल होना शुरू हो गई थी। तब यहां गोला का मंदिर टीआई अजीत सिंह चौहान को भेजा गया था। यहां हालात पुलिस ने पहले काबू में कर लिए थे। लेकिन सुबह 5 बजे तनाव दोबारा शुरू हो गया था, तब सीएसपी वीरेन्द्र सिंह रघुवंशी दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्हें फोर्स ने मेला ग्राउंड के अंदर जाने को मना भी किया था। लेकिन, सीएसपी को उम्मीद थी कि भीड़ उनके कहने पर मान जाएगी, जबकि हुआ उल्टा, भीड़ उन पर टूट पड़ी थी। वे जान बचाकर भागे तो भीड़ ने उनकी सरकारी जिप्सी को आग के हवाले कर दिया था। इसके बाद पीएसआई नरेन्द्र सिकरवार की बाइक रोक कर उसे भी उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया था। एएसपी वीरेन्द्र जैन गोला का मंदिर व रेलवे स्टेशन पर उपद्रवियों से जूझने के दौरान चोटिल हो गए थे। इसी तरह पुलिस के वज्र वाहन में सवार सीएसपी महाराजपुरा विवेक अग्रवाल व एसडीएम अखिलेश जैन पर भी भीड़ ने हमला बोल दिया था। भीड़ के इरादों से अनजान एसडीएम अखिलेश जैन वज्र से उतरकर एक छात्र से भिड़ गए थे। उनका साथ देने सीएसपी विवेक भी आ गए थे। लेकिन, जब  पीछे हजारों की भीड़ उन पर पत्थर लेकर दौड़ी तो दोनों अफसर दौड़ कर वज्र में बैठकर भाग निकले थे।

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