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प्रदेश के 45 हजार स्कूलों में नहीं टॉयलेट

भोपाल। प्रदेश में 45 हजार सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिसमें टॉयलेट नहीं हैं। केवल 19 हजार स्कूलों में टॉयलेट बनाए गए हैं। स्कूलों में टॉयलेट नहीं बन पाने की वजह बजट की कमी बताई जा रही है। जबकि इस कार्य के लिए  सांसद निधी से और विधायक निधी से डेढ करोड़ 40 लाख रुपए मंजूर हुए हैं। उसके बाद भी 45 हजार स्कूलों में टॉयलेट का निर्माण क्यों नहीं हुआ। इसका जवाब जिम्मेदार अधिकारियों के पास नहीं है।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग कई बार विभाग को स्कूलों में टॉयलेट बनाने के निर्देश दे चुका है। आयोग में कई छात्राओं ने टॉयलेट नहीं होने की शिकायतें भी की हैं। आयोग अध्यक्ष शिकायतों पर संज्ञान भी लिया है। कई स्कूलों को नोटिस भी जारी किए गए थे।

मिली जानकारी के अनुसार स्कूलों में टॉयलेट बनवाने के लिए सांसदों से उनकी निधि से डेढ़ करोड़ और विधायकों से 40 लाख रुपए की मांग की गई है। मुख्यमंत्री  से भी इसमें सहयोग देने का आग्रह किया है। हैरानी की बात यह है स्कूल शिक्षा विभाग ने दो साल पहले कोर्ट में यह जवाब दिया गया था कि टॉयलेट बनाए जा रहे हैं। बीते दिनों स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन बीते दिनों वार्षिक रिपोर्ट पेश की थी। उसमें उन्होंने बताया था कि 42 हजार संविदा शिक्षिकों की भर्ती की जा चुकी है। 39 हजार की भर्ती और की जाना है।

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