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सरकारी अस्पतालों में मिलेगा ब्रांडेड इलाज

भोपाल। अब सरकारी अधिकारी व कर्मचारी निजी अस्पतालों में ब्रांडेड इलाज नहीं करा सकेंगे। उन्हें अब यह इलाज सरकारी अस्पतालों में कराना होगा। दवाओं की खरीदी हो या जांचें सभी सरकारी अस्पतालों से कराना अनिवार्य किया जा रहा है। भरोसा नहीं होने पर यदि कोई ब्रांडेड दवा या निजी केन्द्र में जांच कराता है, तो उसे संबंधित विभाग से मेडिकल रिईम्बर्समेंट नहीं मिलेगा।
 
ब्रांडेड इलाज को लेकर प्रदेश के करीब 10 लाख सरकारी अधिकारी व कर्मचारी पसोपेश में हैं। इसकी वजह सरकारी अस्पतालों में ब्रांडेड इलाज कराना है। दरअसल सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने के बाद भी सरकारी मुलाजिमों को अपने अस्पतालों पर भरोसा नहीं है। वे सरकारी डॉक्टरों को घर में दिखाकर बाहर की (ब्रांडेड) दवा खा रहे हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में सभी दवाएं निःशुल्क मिल रही हैं। एक-एक विभाग का करीब 5-5 करोड़ रुपए मेडिकल रिइम्बर्समेंट में खर्च हो रहा है। सरकार अब इस खर्च में कटौती करने के मूड में है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकारी अस्पतालों को अपग्रेड किया जा जा रहा है। 15 जनवरी तक जिला अस्पतालों में 300 तरह की दवाएं देने की तैयारी है। जांच की सुविधाएं भी दुरुस्त की जा रही हैं। इसके बाद सरकारी कर्मचारियों के सरकारी अस्पतालों में ही इलाज कराने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। निःशुल्क दवा योजना शुरू होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अपने सभी डॉक्टरों को निर्देश दिए थे कि सरकारी कर्मचारियों को अस्पताल के बाहर की दवाएं न लिखी जाएं। बाहर की सिर्फ वही दवा लिखी जा सकती है जो अस्पताल में नहीं है। डॉक्टरों ने इसका भी रास्ता निकाल लिया। वे अब अपने घर के पर्चे में मरीजों को दवाएं लिख रहे हैं। दवाएं भी काफी महंगी लिखी जा रही हैं।

सूत्रों ने बताया जेपी के तीन, हमीदिया के दो और एक डिस्पेंसरी के डॉक्टर के सबसे ज्यादा मेडिकल रिइम्बर्समेंट बिल आते हैं। बिल में वे यह भी लिखते हैं कि अमुक दवाएं सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं, जबकि अधिकतर बीमारियों की दवा सरकारी अस्पतालों में मिल रही है। सरकारी डॉक्टर अपने निजी पर्चे पर मरीज (अधिकारी-कर्मचारी) को दवा लिखते हैं। प्रीवियस नंबर वाली दवाओं का साल में 3000 तक का बिल संबंधित डॉक्टर के हस्ताक्षर के बाद कर्मचारी के विभाग से पास हो जाता है।  प्रमुख सचिव स्वास्थ विभाग प्रवीर कृष्ण ने इंडिया वन समाचार को बताया कि सभी अस्पतालों को अपग्रेड किया जा रहा है। अगले साल से 300 तरह की दवाएं अस्पतालों में मिलेंगी। 15 जनवरी के बाद मेडिकल रिइम्बर्समेंट बंद करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।

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