जीएसटी लागू करने के लिए संविधान में होगा संशोधन
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश भर में बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान में संशोधन से संबधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार की तरफ से यह प्रस्ताव अगले दो दिनों के भीतर ही लोकसभा में पेश किया जाएगा। उक्त विधेयक का शुरुआती प्रारूप संप्रग के कार्यकाल में बना था, लेकिन इसे लागू करने का रास्ता मोदी सरकार तैयार कर रही है। बीमा संशोधन विधेयक और भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन विधेयक पर विपक्षी दलों के अडिय़ल रवैये को देखते हुए सरकार अध्यादेश का रास्ता अख्तियार कर सकती है।
बुधवार रात हुई बैठक में कैबिनेट ने जीएसटी को लेकर संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी मुहर लगा दी। जीएसटी लागू करने के लिए चूंकि संविधान में संशोधन करना होगा, इसलिए प्रस्तावित विधेयक पर दो तिहाई सांसदों की सहमति लेनी होगी। इसके बाद इसे आधे राज्यों की विधान सभाओं से भी मंजूरी लेनी होगी। देखना होगा कि बीमा विधेयक में अड़ंगा लगा चुके विपक्षी दल जीएसटी को लेकर सरकार को समर्थन देते हैं या नहीं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि वह हर कीमत पर अभी जीएसटी को पारित करवाना चाहते हैं। भले ही इसके लिए फिलहाल कांग्रेस शासित राज्यों की कुछ मांगों को मानना पड़े। विधेयक को जल्द से जल्द पारित करवाने की वजह से ही केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि राज्यों के राजस्व क्षतिपूर्ति का प्रावधान भी विधेयक में होगा। पिछले हफ्ते केंद्र व राज्यों के बीच दो दिनों तक चली बैठक में अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई थी। सब कुछ ठीक रहा तो जीएसटी अप्रैल, 2016 से लागू होगा। कुछ वर्ष बाद पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे मेंं शामिल किए जाएंगे। अभी राज्य अपनी इच्छानुसार उन पर टैक्स लगा सकेंगे। इस बैठक में राज्यों ने नरमी दिखाते हुए जीएसटी लागू होने के बाद प्रवेश कर (एंट्री टैक्स) को खत्म करने को लेकर भी रजामंदी जताई थी।
चीनी निर्यात सब्सिडी का फॉर्मूला
बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति (सीसीईए) ने कच्ची चीनी के निर्यात पर सब्सिडी देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फॉर्मूले को मंजूरी दे दी। इस साल फरवरी में संप्रग सरकार ने 40 लाख टन कच्ची चीनी के निर्यात पर करीब तीन हजार रुपये प्रति टन सब्सिडी देने की घोषणा की गई थी। सब्सिडी की यह स्कीम सितंबर में समाप्त हो गई थी।
बुधवार रात हुई बैठक में कैबिनेट ने जीएसटी को लेकर संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी मुहर लगा दी। जीएसटी लागू करने के लिए चूंकि संविधान में संशोधन करना होगा, इसलिए प्रस्तावित विधेयक पर दो तिहाई सांसदों की सहमति लेनी होगी। इसके बाद इसे आधे राज्यों की विधान सभाओं से भी मंजूरी लेनी होगी। देखना होगा कि बीमा विधेयक में अड़ंगा लगा चुके विपक्षी दल जीएसटी को लेकर सरकार को समर्थन देते हैं या नहीं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि वह हर कीमत पर अभी जीएसटी को पारित करवाना चाहते हैं। भले ही इसके लिए फिलहाल कांग्रेस शासित राज्यों की कुछ मांगों को मानना पड़े। विधेयक को जल्द से जल्द पारित करवाने की वजह से ही केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि राज्यों के राजस्व क्षतिपूर्ति का प्रावधान भी विधेयक में होगा। पिछले हफ्ते केंद्र व राज्यों के बीच दो दिनों तक चली बैठक में अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई थी। सब कुछ ठीक रहा तो जीएसटी अप्रैल, 2016 से लागू होगा। कुछ वर्ष बाद पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे मेंं शामिल किए जाएंगे। अभी राज्य अपनी इच्छानुसार उन पर टैक्स लगा सकेंगे। इस बैठक में राज्यों ने नरमी दिखाते हुए जीएसटी लागू होने के बाद प्रवेश कर (एंट्री टैक्स) को खत्म करने को लेकर भी रजामंदी जताई थी।
चीनी निर्यात सब्सिडी का फॉर्मूला
बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति (सीसीईए) ने कच्ची चीनी के निर्यात पर सब्सिडी देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फॉर्मूले को मंजूरी दे दी। इस साल फरवरी में संप्रग सरकार ने 40 लाख टन कच्ची चीनी के निर्यात पर करीब तीन हजार रुपये प्रति टन सब्सिडी देने की घोषणा की गई थी। सब्सिडी की यह स्कीम सितंबर में समाप्त हो गई थी।
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