बांग्लादेश से घुसपैठ रोकने के लिए कदम उठाए सरकार: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली
: बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार
से सीमा पर बाड़ और इलाके में फ्लड लाइट लगाने को कहा है। कोर्ट ने यह भी
निर्देश दिया कि जिस इलाके को नदी बांटती है, वहां पर्याप्त फोर्स तैनात
हो, ताकि ठीक से पेट्रोलिंग हो सके। कोर्ट ने इसके लिए तीन महीने का वक्त
तय किया है। इस मामले में दिए गए आदेश का कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करने को
कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर 25 मार्च 1971 तक बांग्लादेश से भारत आए लोगों की नागरिकता पर सवाल उठाया गया है। ऐसे लोगों को देश से निकालने की गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने मामले को लार्जर बेंच को रेफर करते हुए इसे चीफ जस्टिस के सामने भेज दिया। कोर्ट ने कहा कि सीमा पर जो सड़कें बनाई जा रही हैं, उनसे संबंधित कामकाज पर कोर्ट मॉनिटर करेगी। साथ ही केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि अवैध घुसपैठियों को बांग्लादेश वापस लौटाने के लिए क्या प्रक्रिया होनी चाहिए, इसके लिए पड़ोसी देश से जल्दी बातचीत हो। कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा है कि बॉर्डर इलाके में नैशनल रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटिजनशिप का काम एक जनवरी, 2016 तक पूरा किया जाए।
जब देश का बंटवारा हुआ था, तब यहां आने की डेडलाइन 1949 थी। अदालत ने इस मुद्दे को कंस्टिट्यूशनल बेंच को रेफर करते हुए कहा कि इस मामले में सिटिजनशिप व मूल अधिकार से जुड़े मामले हैं। ऐसे में सुनवाई कंस्टिट्यूशनल बेंच करेगा। अदालत ने इस मामले में 13 मुद्दों को सुप्रीम कोर्ट के कंस्टिट्यूशनल बेंच को रेफर किया है। साथ ही निर्देश जारी किया है कि इंडो-बांग्लादेश बॉर्डर को सही तरह से मॉनिटर किया जाए और बॉर्डर में सड़कें बनाई जाएं और बाड़ लगाई जाए ताकि घुसपैठियों को रोका जा सके।
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर 25 मार्च 1971 तक बांग्लादेश से भारत आए लोगों की नागरिकता पर सवाल उठाया गया है। ऐसे लोगों को देश से निकालने की गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने मामले को लार्जर बेंच को रेफर करते हुए इसे चीफ जस्टिस के सामने भेज दिया। कोर्ट ने कहा कि सीमा पर जो सड़कें बनाई जा रही हैं, उनसे संबंधित कामकाज पर कोर्ट मॉनिटर करेगी। साथ ही केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि अवैध घुसपैठियों को बांग्लादेश वापस लौटाने के लिए क्या प्रक्रिया होनी चाहिए, इसके लिए पड़ोसी देश से जल्दी बातचीत हो। कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा है कि बॉर्डर इलाके में नैशनल रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटिजनशिप का काम एक जनवरी, 2016 तक पूरा किया जाए।
जब देश का बंटवारा हुआ था, तब यहां आने की डेडलाइन 1949 थी। अदालत ने इस मुद्दे को कंस्टिट्यूशनल बेंच को रेफर करते हुए कहा कि इस मामले में सिटिजनशिप व मूल अधिकार से जुड़े मामले हैं। ऐसे में सुनवाई कंस्टिट्यूशनल बेंच करेगा। अदालत ने इस मामले में 13 मुद्दों को सुप्रीम कोर्ट के कंस्टिट्यूशनल बेंच को रेफर किया है। साथ ही निर्देश जारी किया है कि इंडो-बांग्लादेश बॉर्डर को सही तरह से मॉनिटर किया जाए और बॉर्डर में सड़कें बनाई जाएं और बाड़ लगाई जाए ताकि घुसपैठियों को रोका जा सके।
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