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दो घंटे की चुनौती को स्वीकार किया गया होता तो टल सकता था असम नरसंहार

नई दिल्ली : एनडीएफबी एस के हमले से बुरी तरह प्रभावित सोनितपुर जिले के अधिकारियों के पास खुफिया जानकारी मिलने के बाद जवाबी कार्रवाई के लिए दो घंटे से भी कम समय बचा था।

जानकार सू़त्रों ने बताया कि खुफिया एजेंसियों ने 23 दिसम्बर की दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर बोडो भाषा में जारी एक संदेश को पकड़ा था। संदेश को दोपहर दो बजकर 40 मिनट पर जारी कर दिया गया और इसमें बताया गया कि एनडीएफबी (एस) असम-अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर शाम पांच बजे आदिवासी ग्रामीणों पर हमले की योजना बना रहा है।

इस सूचना से तुरंत ही सोनितपुर जिला प्रशासन को अवगत कराया गया जिसने बिश्वनाथ चारियाली थाने को सूचना दी जिसके तहत यह इलाका पड़ता है। इलाका इतना दूर और अगम्य है कि कोई भी बिश्वनाथ चारियाली शहर से एक घंटे में वहां नहीं पहुंच सकता था और मोटर वाहन जिस स्थान तक जा सकते हैं वहां से यह दो घंटे का पैदल रास्ता है।

पुलिस जब तक दो गांवों सोनाजुली और तिनिसुती पहुंचती तब तक घटना घट चुकी थी और एनडीएफबी के हमले में वहां 35 लोग मारे जा चुके थे। सूत्रों ने कहा कि सोनितपुर जिले के धेकियाजुली थाने और कोकराझार जिले के पाखीरीगुड़ी एवं उल्टापानी में भी ऐसी ही स्थिति थी जहां एनडीएफबी उग्रवादियों ने कुछ और लोगों को मार डाला था। हमले के अगले दिन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने भी कहा कि खुफिया जानकारी थी लेकिन सुरक्षा बल समय पर वहां नहीं पहुंच सके।

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