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रघुवर दास ने कैसे टाटा स्‍टील के कर्मचारी से CM तक का सफर किया तय

रांची : विधायक दल की बैठक में आज भाजपा ने झारखंड के अगले मुख्‍यमंत्री के रूप में रघुवर दास के नाम पर मुहर लगा दी गयी है. रघुवर दास पहली बार 1995 में भाजपा की टिकट पर जमशेदपुर (पूर्व) से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. टाटा स्‍टील के कर्मचारी से झारखंड के नये मुख्‍यमंत्री बनने तक का रघुवर दास का सियासी सफर बेहद दिलचस्‍प रहा है.

रघुवर दास मूल रूप से छत्‍तीसगढ़ के कहे जाते हैं, लेकिन उनका जन्‍म 3 मई, 1955 को जमशेदपुर में ही हुआ और झारखंड की उनकी जन्मभूमि व कर्मभूमि दोनों है. चार बार विधायक रह चुके रघुवर दास 30 दिसंबर 2009 से 29 मई 2010 तक उपमुख्‍यमंत्री रह चुके हैं. एनडीए की पूर्व सरकार में इन्‍हें मंत्री पद भी दिया गया था. रघुवर दास को अमित शाह की टीम का हिस्‍सा माना जाता है.

बतौर भाजपा संगठनकर्ता वे कई प्रदेशों में भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभा चुके हैं. रघुवर दास भाजपा के कदावर नेताओं में जरूर गिने जाते हैं, लेकिन उनका आरएसएस या अन्‍य सहयोगी संगठनों से कोई सीधा संबंध नहीं है. दास के मुख्‍यमंत्री बनाये जाने में इसे भी एक रोड़ा माना जा रहा था.

दास 1974 के छात्र आंदोलन के समय समाजवादी छात्र संगठनों के संपर्क में रहे. उसके बाद भाजपा का दामन थामने के बाद पार्टी ने उन्‍हें कई जिम्‍मेवारियां दी, जिसको उन्‍होंने बखूबी निभाया. रघुबर दास का विवादों से भी नाता रहा है. झारखंड विधानसभा की एक समिति ने अपनी जांच में माना था कि दास ने अपने पद का इस्‍तेमाल करते हुए एक प्राइवेट फर्म को लाभ पहुंचाने की कोशिश की. उस वक्‍त मुंडा सरकार में दास शहरी विकास मंत्री थे.

झारखंड की राजनीति में एक धारणा को हमेशा बल मिला कि यहां का सीएम कोई आदिवासी ही होगा. इस मिथक को तोड़ते हुए दास के नाम पर मुहर लगाकर भाजपा ने दास को आदिवासियों और गैर आदिवासियों के बीच एक सेतु का काम करने की जिम्‍मेवारी भी दी है.

टाटा स्‍टील के एक कर्मचारी का आज राज्‍य के मुख्‍यमंत्री के रूप में चुना जाना झारखंड के राजनीति के कई सवालों का जवाब है. विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद दास ने कहा था कि उनका नाम दास है और वे हमेशा जनता का दास बने रहेंगे.

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