RTI के तहत प्रवेश 15 जनवरी से, नोडल अधिकारी रखेंगे लॉटरियों पर नजर
भोपाल। प्रदेश की सरकार द्वारा निशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम आरटीई के तहत इस बार फिर प्रवेश की तैयारियां शुरू कर दी गई है। मिली जानकारी के अनुसार बच्चें 10 जनवरी तक आवेदन किया जाएगा। जिसके बाद 15 से 17 जनवरी तक लॉटरी के माध्यम से छात्रों को दाखिला दिया जाएगा।
क्या है शिक्षा का अधिकार:
निशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई के अन्तर्गत हर प्राइवेट स्कूलों को छात्रों को प्रवेश और निशुल्क शिक्षा देनी होती है। जिसमें गरीबी रेखा के नीचे आने वाले छात्र प्रवेश लेते हैं। हर स्कूल में इन बच्चों के लिए 25 फीसदी सीटें रखी गई हैं। इसमें हर गरीब छात्र आवेदन कर सकता है। आवेदन के बाद लॉटरी के तहत इन छात्रों का चुनाव होता है।
इस बार है लाख बच्चों का लक्ष्य:
सरकार ने इस बार आरटीई के तहत एक लाख छात्रों को प्रवेश दिलवाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने ये नियम इसलिए रखा है। ताकि हर वर्ग के छात्र एक उत्तम शिक्षा का फायदा ले सकें।
फर्जी होते है प्रवेश:
इस अधिनियम में सबसे चौकाने वाली बात ये है कि इसके नियम अनुसार स्कूलों में प्रवेश नहीं होते हैं। ज्यादातर प्रवेश फर्जी होते हैं। जिनमें लॉटरी में पहले से ही छात्रों के नाम तय होते हैं। कई स्कूल तो ऐसे हैं जो झूठी जानकारी भर कर भेज देेते हैं।
अधिकारियों की टीम करेगी जांच:
सही छात्रों को प्रवेश मिले इसके लिए नोडल अधिकारियों की टीम बनाई गई है। ये अधिकारी सरकारी स्कूलों के प्राचार्य और वर्ग एक के शिक्षक हैं। जो कि लॉटरी खुलते समय वहां पर मौजूद रहेंगे। ताकि फर्जी तरीके से प्रवेश को रोक जा सकें।
क्या है शिक्षा का अधिकार:
निशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई के अन्तर्गत हर प्राइवेट स्कूलों को छात्रों को प्रवेश और निशुल्क शिक्षा देनी होती है। जिसमें गरीबी रेखा के नीचे आने वाले छात्र प्रवेश लेते हैं। हर स्कूल में इन बच्चों के लिए 25 फीसदी सीटें रखी गई हैं। इसमें हर गरीब छात्र आवेदन कर सकता है। आवेदन के बाद लॉटरी के तहत इन छात्रों का चुनाव होता है।
इस बार है लाख बच्चों का लक्ष्य:
सरकार ने इस बार आरटीई के तहत एक लाख छात्रों को प्रवेश दिलवाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने ये नियम इसलिए रखा है। ताकि हर वर्ग के छात्र एक उत्तम शिक्षा का फायदा ले सकें।
फर्जी होते है प्रवेश:
इस अधिनियम में सबसे चौकाने वाली बात ये है कि इसके नियम अनुसार स्कूलों में प्रवेश नहीं होते हैं। ज्यादातर प्रवेश फर्जी होते हैं। जिनमें लॉटरी में पहले से ही छात्रों के नाम तय होते हैं। कई स्कूल तो ऐसे हैं जो झूठी जानकारी भर कर भेज देेते हैं।
अधिकारियों की टीम करेगी जांच:
सही छात्रों को प्रवेश मिले इसके लिए नोडल अधिकारियों की टीम बनाई गई है। ये अधिकारी सरकारी स्कूलों के प्राचार्य और वर्ग एक के शिक्षक हैं। जो कि लॉटरी खुलते समय वहां पर मौजूद रहेंगे। ताकि फर्जी तरीके से प्रवेश को रोक जा सकें।
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