टॉर्च की रोशनी में 40 महिलाओं की नसबंदी, विधानसभा में उठा मुद्दा
रांची : चंद माह पहले छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में नसबंदी के दौरान लापरवाही से 13 महिलाओं की मौत के बाद अब पड़ोसी राज्य झारखंड में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां एक सरकारी शिविर में 44 महिलाओं की नसबंदी टॉर्च की रोशनी में की गई। गणिमत है कि नसबंदी कराने वाली महिलाएं फिलहाल सामान्य हैं।
स्वास्थ्य विभाग की इतनी बढ़ी लापरवाही चतरा जिले के पत्थलगड़ा प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में घटी है। यहां नसबंदी के लिए लाई गईं महिलाओं के साथ इस कदर लापरवाही बरती गई, जिससे इनकी जान भी जा सकती थी।
पीड़ित महिलाओं के परिजनों के मुताबिक बुधवार शाम नसबंदी के लिए प्रखंड के विभिन्न गांवों से 44 महिलाएं शिविर में बुलाई गईं थीं। जबकि यहां रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन टॉर्च की रोशनी में ही कर दिया गया। ऑपरेशन थियेटर के भीतर एएनएम और स्वास्थ्य कर्मी टॉर्च दिखाते रहे और डॉक्टर महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन करती रहीं।
हद तो तब हो गई जब ऑपरेशन के बाद इन महिलाओं को इतनी सर्दी में फर्श पर लिटा दिया गया। इस बारे में स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करीब 10 बिस्तर हैं, इसलिए उन्हें मजबूरन महिलाओं को जमीन पर लिटाना पड़ा। बाद में महिलाओं के साथ आए परिजन किसी तरह घर से घर से कुछ बिछावन व ओढ़ने का सामान लेकर पहुंचे।
परिजनों ने बताया कि अगर अस्पताल की सुविधा पर वे लोग बिना अपना सामान लिए जाते तो मरीज की स्थिति इससे भी बदतर हो सकती थी। सुविधा नहीं रहने के कारण परिजनों ने रात में हंगामा भी किया। लेकिन अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
मालूम हो कि राज्य के नए मुख्यमंत्री रघुवर दास हर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए अधिकारियों को कड़े निर्देश दे रहें हैं। इस घटना से साबित हो गया है कि राज्य का स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के आदेश को कितनी गंभीरता से ले रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की इतनी बढ़ी लापरवाही चतरा जिले के पत्थलगड़ा प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में घटी है। यहां नसबंदी के लिए लाई गईं महिलाओं के साथ इस कदर लापरवाही बरती गई, जिससे इनकी जान भी जा सकती थी।
पीड़ित महिलाओं के परिजनों के मुताबिक बुधवार शाम नसबंदी के लिए प्रखंड के विभिन्न गांवों से 44 महिलाएं शिविर में बुलाई गईं थीं। जबकि यहां रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन टॉर्च की रोशनी में ही कर दिया गया। ऑपरेशन थियेटर के भीतर एएनएम और स्वास्थ्य कर्मी टॉर्च दिखाते रहे और डॉक्टर महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन करती रहीं।
हद तो तब हो गई जब ऑपरेशन के बाद इन महिलाओं को इतनी सर्दी में फर्श पर लिटा दिया गया। इस बारे में स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करीब 10 बिस्तर हैं, इसलिए उन्हें मजबूरन महिलाओं को जमीन पर लिटाना पड़ा। बाद में महिलाओं के साथ आए परिजन किसी तरह घर से घर से कुछ बिछावन व ओढ़ने का सामान लेकर पहुंचे।
परिजनों ने बताया कि अगर अस्पताल की सुविधा पर वे लोग बिना अपना सामान लिए जाते तो मरीज की स्थिति इससे भी बदतर हो सकती थी। सुविधा नहीं रहने के कारण परिजनों ने रात में हंगामा भी किया। लेकिन अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
मालूम हो कि राज्य के नए मुख्यमंत्री रघुवर दास हर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए अधिकारियों को कड़े निर्देश दे रहें हैं। इस घटना से साबित हो गया है कि राज्य का स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के आदेश को कितनी गंभीरता से ले रहा है।
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