आतंकियों को पुरस्कार देने वाले याकूब पर आईपीएस अधिकारी ने रखा इनाम
लखनऊ : फ्रांस की पत्रिका शार्ली एब्दो के दफ्तर पर हमला करने वाले आतंकियों को 51 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा करने किए जाने के बाद बीएसपी के पूर्व विधायक हाजी याकूब कुरैशी पर भी इनाम की घोषणा कर दी गई है।
इन इनाम की घोषणा किसी आम शख्स ने नहीं बल्कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने की। सीनियर आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने कहा कि याकूब कुरैशी को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को वह अपनी तरफ से 20 हजार रुपये का इनाम देंगे। इसके अलावा ठाकुर ने याकूब के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 153ए भी लगाए जाने की मांग की।
उन्होंने पुलिस महानिदेशक को लिखे एक पत्र में कहा है कि कुरैशी के खिलाफ अभी जो मुकदमा कायम हुआ है, वह आईपीसी की धारा 505 (1) (सी) के तहत दर्ज किया गया है जिसमें अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए अदालत की अनुमति जरूरी है।
उन्होंने कहा कि पुलिस जब यह मानती है कि कुरैशी की घोषणा दो समुदायों के बीच वैमनस्य और टकराव पैदा करने वाली है तो उस पर आईपीसी की धारा 153ए भी लगाई जानी चाहिए जो कि संज्ञेय धारा है।
ठाकुर ने कहा कि आईपीसी की धारा 505 (1) (सी) और 153ए में अंतर सिर्फ इतना है कि पहली असंज्ञेय धारा है जिसमें गिरफ्तारी के लिए अदालत की अनुमति लेनी होती है जबकि दूसरी संज्ञेय धारा है जिसमें पुलिस तत्काल विवेचना शुरू कर सकती है और आरोप सही पाए जाने पर अभियुक्त को गिरफ्तार भी कर सकती है।
गौरतलब है कि पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) ए सतीश गणेश ने शुक्रवार को कहा था कि कुरैशी के खिालफ दर्ज प्राथमिकी की पुलिस अदालत से अनुमति प्राप्त करके जांच शुरू की जाएगी। गणेश ने कहा था, 'हम इस मामले में जांच शुरू करने से पहले अदालत की अनुमति प्राप्त करेंगे।'
इन इनाम की घोषणा किसी आम शख्स ने नहीं बल्कि एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने की। सीनियर आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने कहा कि याकूब कुरैशी को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को वह अपनी तरफ से 20 हजार रुपये का इनाम देंगे। इसके अलावा ठाकुर ने याकूब के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 153ए भी लगाए जाने की मांग की।
उन्होंने पुलिस महानिदेशक को लिखे एक पत्र में कहा है कि कुरैशी के खिलाफ अभी जो मुकदमा कायम हुआ है, वह आईपीसी की धारा 505 (1) (सी) के तहत दर्ज किया गया है जिसमें अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए अदालत की अनुमति जरूरी है।
उन्होंने कहा कि पुलिस जब यह मानती है कि कुरैशी की घोषणा दो समुदायों के बीच वैमनस्य और टकराव पैदा करने वाली है तो उस पर आईपीसी की धारा 153ए भी लगाई जानी चाहिए जो कि संज्ञेय धारा है।
ठाकुर ने कहा कि आईपीसी की धारा 505 (1) (सी) और 153ए में अंतर सिर्फ इतना है कि पहली असंज्ञेय धारा है जिसमें गिरफ्तारी के लिए अदालत की अनुमति लेनी होती है जबकि दूसरी संज्ञेय धारा है जिसमें पुलिस तत्काल विवेचना शुरू कर सकती है और आरोप सही पाए जाने पर अभियुक्त को गिरफ्तार भी कर सकती है।
गौरतलब है कि पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) ए सतीश गणेश ने शुक्रवार को कहा था कि कुरैशी के खिालफ दर्ज प्राथमिकी की पुलिस अदालत से अनुमति प्राप्त करके जांच शुरू की जाएगी। गणेश ने कहा था, 'हम इस मामले में जांच शुरू करने से पहले अदालत की अनुमति प्राप्त करेंगे।'
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