सुप्रीम कोर्ट का आसाराम को झटका, कहा सर्जरी की ज़रुरत नहीं
नई दिल्ली। आसाराम के जेल से बाहर निकलने के तमाम हथकंडे उलटे पड़ रहे हैं। आसाराम को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब एम्स की मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि आसाराम को फिलहाल गामा सर्जरी की जरूरत नहीं है और ऐसे में उन्हें राहत नहीं दी जा सकती।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि उनका इलाज ओपीडी में भी हो सकता है, बचाव पक्ष के वकीलों के कहने पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 20 जनवरी तक टाल दी है।
जस्टिस टीएस ठाकुर की पीठ ने जब एम्स के डॉक्टरों के पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद सर्जरी की ज़रूरत को नकार दिया तब आसाराम के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट हमें नहीं मिली है। इसके बाद पीठ ने मेडिकल रिपोर्ट सभी पक्षकारों को मुहैया कराने का निर्देश जारी करते हुए खुर्शीद से कहा कि चिकित्सकों की रिपोर्ट देखने के बाद आपके मुवक्किल को कोई राहत नहीं दी जा सकती।
अदालत के फैसले के बाद खुर्शीद ने अदालत से गुजारिश की, कि उन्हें रिपोर्ट पर बहस करने का मौका दिया जाए क्योंकि रिपोर्ट में कई तकनीकी पहलुओं पर गौर नहीं किया गया है। ऐसे में रिपोर्ट पर बहस करने और उसे विस्तार से पढ़ने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया जाए। पीठ ने खुर्शीद के तर्क पर सुनवाई को बीस जनवरी तक के लिए टालते हुए रिपोर्ट पर बहस की अनुमति प्रदान कर दी।
वहीं राजस्थान सरकार ने कहा कि आसाराम को फर्स्ट क्लास में इलाज के लिए एम्स लाया गया था। उसका खर्च अब तक आसाराम की ओर से नहीं दिया गया है। इस पर जजों की पीठ ने खुर्शीद से राजस्थान सरकार को खर्च चुकता करने का निर्देश दिया जिसपर आसाराम के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि हम राजस्थान सरकार का भुगतान कर देंगे।
आसाराम की ज़मानत का मसला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, इस दौरान राजस्थान सरकार आसाराम को मेडिकल टेस्ट और गामा सर्जरी के लिए दिल्ली के एम्स लायी थी, जिसके बाद उनकी जाँच रिपोर्ट अदालत में एम्स के चिकित्सक पैनल की ओर से पेश की गई।
ग़ौरतलब है कि आसाराम के खिलाफ़ जोधपुर में उनके आश्रम में नाबालिग लड़की के कथित यौन उत्पीड़न, बलात्कार, आपराधिक साजिश और दूसरे अपराधों के आरोप में जोधपुर अदालत में अभियोग निर्धारित किए जा चुके हैं। ज़िला एवं सत्र अदालत ने किशोर न्याय कानून की धारा २६ के अलावा आसाराम और उनके सहयोगी संचिता गुप्ता उर्फ शिल्पी और शरदचंद्र के खिलाफ़ पुलिस की ओर से लगाए गए सभी आरोप बरकरार रखे थे।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि उनका इलाज ओपीडी में भी हो सकता है, बचाव पक्ष के वकीलों के कहने पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 20 जनवरी तक टाल दी है।
जस्टिस टीएस ठाकुर की पीठ ने जब एम्स के डॉक्टरों के पैनल की रिपोर्ट देखने के बाद सर्जरी की ज़रूरत को नकार दिया तब आसाराम के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट हमें नहीं मिली है। इसके बाद पीठ ने मेडिकल रिपोर्ट सभी पक्षकारों को मुहैया कराने का निर्देश जारी करते हुए खुर्शीद से कहा कि चिकित्सकों की रिपोर्ट देखने के बाद आपके मुवक्किल को कोई राहत नहीं दी जा सकती।
अदालत के फैसले के बाद खुर्शीद ने अदालत से गुजारिश की, कि उन्हें रिपोर्ट पर बहस करने का मौका दिया जाए क्योंकि रिपोर्ट में कई तकनीकी पहलुओं पर गौर नहीं किया गया है। ऐसे में रिपोर्ट पर बहस करने और उसे विस्तार से पढ़ने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया जाए। पीठ ने खुर्शीद के तर्क पर सुनवाई को बीस जनवरी तक के लिए टालते हुए रिपोर्ट पर बहस की अनुमति प्रदान कर दी।
वहीं राजस्थान सरकार ने कहा कि आसाराम को फर्स्ट क्लास में इलाज के लिए एम्स लाया गया था। उसका खर्च अब तक आसाराम की ओर से नहीं दिया गया है। इस पर जजों की पीठ ने खुर्शीद से राजस्थान सरकार को खर्च चुकता करने का निर्देश दिया जिसपर आसाराम के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि हम राजस्थान सरकार का भुगतान कर देंगे।
आसाराम की ज़मानत का मसला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, इस दौरान राजस्थान सरकार आसाराम को मेडिकल टेस्ट और गामा सर्जरी के लिए दिल्ली के एम्स लायी थी, जिसके बाद उनकी जाँच रिपोर्ट अदालत में एम्स के चिकित्सक पैनल की ओर से पेश की गई।
ग़ौरतलब है कि आसाराम के खिलाफ़ जोधपुर में उनके आश्रम में नाबालिग लड़की के कथित यौन उत्पीड़न, बलात्कार, आपराधिक साजिश और दूसरे अपराधों के आरोप में जोधपुर अदालत में अभियोग निर्धारित किए जा चुके हैं। ज़िला एवं सत्र अदालत ने किशोर न्याय कानून की धारा २६ के अलावा आसाराम और उनके सहयोगी संचिता गुप्ता उर्फ शिल्पी और शरदचंद्र के खिलाफ़ पुलिस की ओर से लगाए गए सभी आरोप बरकरार रखे थे।
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