पृथ्वीपुर: SDOP औऱ TI में हुआ विवाद, एक-दूसरे पर की फायरिंग
टीकमगढ़ : मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के पृथ्वीपुर में तैनात एसडीओपी केएस मलिक और टीआई (टाउन इंस्पेक्टर) प्रमोद चतुर्वेदी का आपस में किसी बात को लेकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि टीआई ने एसडीओपी की गोली मारकर हत्या कर दी। कुछ ही देर खुद भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घटना एसडीओपी कार्यालय में सोमवार दोपहर 3.30 बजे हुई। एसडीओपी और टीआई के बीच एक हफ्ते से अनबन चल रही थी। किसी काम से टीआई प्रमोद चतुर्वेदी एसडीओपी कार्यालय पहुंचे थे। मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
सिविल ड्रेस में थे एसडीओपी
एएसपी सुनील तिवारी और तहसीलदार संजय दुबे की प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि एसडीओपी सिविल ड्रेस में थे और उनकी बंदूक ड्राइवर के पास थी। तहसीलदार संजय दुबे के अनुसार, घटना की सूचना मिलने पर सबसे पहले वे मौके पर पहुंचे और डॉक्टरों की टीम को जांच के लिए बुलाया। जांच में डॉक्टरों ने दोनों को मृतक घोषित कर दिया। उन्होंने बताया कि घटनास्थल पर एसडीओपी केएस मलिक कुर्सी पर मृत बैठे मिले और टीआई चतुर्वेदी का शव जमीन पर पड़ा मिला है।
तहसीलदार संजय दुबे के अनुसार, घटना के समय एसडीओपी ऑफिस का पूरा अमला बाहर धूप सेंक रहा था। इस बीच टीआई चतुर्वेदी किसी काम से ऑफिस पहुंचे और कुछ देर बाद ही बंदूक चलने की आवाज आई। कुछ ही क्षणों में दो फायर हो गए। अंदर जाकर स्टाफ ने देखा तो दोनों अधिकारी खून से सने पड़े हुए थे। इसके बाद से घटना की उन्हें सूचना दी गई।
एएसपी सुनील तिवारी ने बताया कि उन्हें जिला मुख्यालय पर सूचना मिली, जिस के बाद वे मौके पर पहुंचे। मौके पर सर्विस रिवाल्वर भी मिली है। पूरे मामले की जांच करने के लिए सागर से आईजी पंकज श्रीवास्तव और एफएसएल की टीम पहुंच गई। जिस वक्त यह हादसा हुआ, एसपी अनुराग शर्मा भोपाल मीटिंग में गए हुए थे।
जुआ पकड़ने को लेकर चल रहा था विवाद
बताया जाता है कि दो माह पहले पीएचक्यू भोपाल से स्थानांतरित होकर पृथ्वीपुर आए एसडीओपी केएस मलिक ने किसी संजीव रावत नामक व्यक्ति के यहां छापा मारा था। वहां जुआ खेला जा रहा था। इस कार्रवाई में करीब 40 हजार 910 रुपए पकड़े गए थे। टीआई चतुर्वेदी अपने कार्यक्षेत्र में इस तरह की कार्रवाई होने से नाराज थे। इसको लेकर पिछले एक हफ्ते से दोनों के बीच अनबन चल रही थी। बीच में इस बात को लेकर भी अफवाह थी कि छापेमारी के दौरान
करीब 20 लाख रुपए पकड़े गए थे, हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रमोद चतुर्वेदी लंबे समय से परेशान थे और तनाव में चल रहे थे। उनकी पत्नी का ग्वालियर में इलाज चल रहा था। वे बार-बार अवकाश मांगते थे, मगर उन्हें अवकाश नहीं मिल रहा था। इसको लेकर अधिकारियों से उनका बर्ताव ठीक नहीं था। वे सरकारी बंदूक के अलावा अलग से लाइसेंसी बंदूक भी अपने पास रखते थे।
सिविल ड्रेस में थे एसडीओपी
एएसपी सुनील तिवारी और तहसीलदार संजय दुबे की प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि एसडीओपी सिविल ड्रेस में थे और उनकी बंदूक ड्राइवर के पास थी। तहसीलदार संजय दुबे के अनुसार, घटना की सूचना मिलने पर सबसे पहले वे मौके पर पहुंचे और डॉक्टरों की टीम को जांच के लिए बुलाया। जांच में डॉक्टरों ने दोनों को मृतक घोषित कर दिया। उन्होंने बताया कि घटनास्थल पर एसडीओपी केएस मलिक कुर्सी पर मृत बैठे मिले और टीआई चतुर्वेदी का शव जमीन पर पड़ा मिला है।
तहसीलदार संजय दुबे के अनुसार, घटना के समय एसडीओपी ऑफिस का पूरा अमला बाहर धूप सेंक रहा था। इस बीच टीआई चतुर्वेदी किसी काम से ऑफिस पहुंचे और कुछ देर बाद ही बंदूक चलने की आवाज आई। कुछ ही क्षणों में दो फायर हो गए। अंदर जाकर स्टाफ ने देखा तो दोनों अधिकारी खून से सने पड़े हुए थे। इसके बाद से घटना की उन्हें सूचना दी गई।
एएसपी सुनील तिवारी ने बताया कि उन्हें जिला मुख्यालय पर सूचना मिली, जिस के बाद वे मौके पर पहुंचे। मौके पर सर्विस रिवाल्वर भी मिली है। पूरे मामले की जांच करने के लिए सागर से आईजी पंकज श्रीवास्तव और एफएसएल की टीम पहुंच गई। जिस वक्त यह हादसा हुआ, एसपी अनुराग शर्मा भोपाल मीटिंग में गए हुए थे।
जुआ पकड़ने को लेकर चल रहा था विवाद
बताया जाता है कि दो माह पहले पीएचक्यू भोपाल से स्थानांतरित होकर पृथ्वीपुर आए एसडीओपी केएस मलिक ने किसी संजीव रावत नामक व्यक्ति के यहां छापा मारा था। वहां जुआ खेला जा रहा था। इस कार्रवाई में करीब 40 हजार 910 रुपए पकड़े गए थे। टीआई चतुर्वेदी अपने कार्यक्षेत्र में इस तरह की कार्रवाई होने से नाराज थे। इसको लेकर पिछले एक हफ्ते से दोनों के बीच अनबन चल रही थी। बीच में इस बात को लेकर भी अफवाह थी कि छापेमारी के दौरान
करीब 20 लाख रुपए पकड़े गए थे, हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रमोद चतुर्वेदी लंबे समय से परेशान थे और तनाव में चल रहे थे। उनकी पत्नी का ग्वालियर में इलाज चल रहा था। वे बार-बार अवकाश मांगते थे, मगर उन्हें अवकाश नहीं मिल रहा था। इसको लेकर अधिकारियों से उनका बर्ताव ठीक नहीं था। वे सरकारी बंदूक के अलावा अलग से लाइसेंसी बंदूक भी अपने पास रखते थे।
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