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श्रीगणेश की 16 मूर्ति से मिलेगी 16 सिद्धि

दिल्ली: गणेश परब्रह्म और अक्षर स्वरूप हैं। मुद्गल पुराण के अनुसार गणपति अनादि रूप हैं। ऋग्वेद का पहला श्लोक इनके नाम से शुरु होता है-गणानाम त्व गणपति। वेदों के अनुसार गणपति सबके गण है जिसमें विघ्न भी एक गण है और गणपति इसी विघ्न रूपी गण को जीवन से दूर करते हैं। गणपति वाक यानि वाणी के भी देवता हैं। उनके जन्म का रहस्य गणपति पुराण में विस्तार से मिलता है।

गणपति पुराण के अनुसार वैसे तो श्रीगणेश के 32 रूप हैं लेकिन उनमें से प्रमुख हैं- विद्या गणपति, लक्ष्मी गणपति, हारिद्र गणपति, हेरांब गणपति, चिंतामणि गणपति, ढुंढ़ि गणपति, विजय गणपति, उच्चिष्ट गणपति, अर्क गणपति, लंबोदर गणपति और

रिद्धि-सिद्धि गणपति
गणपति के इन रूपों के अलावा उनकी और भी चमत्कारी प्रतिमायें हैं। इन प्रतिमाओं की उपासना करने से अलग अलग प्रकार की सिद्धियां और मनोकामनायें पूरी हो सकती हैं।

बाल गणपति- ये गणपति उदयकाल के सूर्य के रूप में है, संतान प्राप्ति के लिए इनकी पूजा करें।

भक्त गणपति- शरदकाल के चंद्रमा के रूप में हैं गणपति, मानसिक तनाव को दूर करने के लिए इनकी पूजा करें।

वीर गणपति- शत्रु संहार के स्वरूप में है, कोर्ट-कचहरी और मुकदमें में विजय के लिए गणपति के इस स्वरूप की पूजा करें।

शक्ति गणपति- माता के साथ विराजमान हैं शक्ति गणपति। विभिन्न प्रकार की शक्तियों के लिए इनकी पूजा करें।

विद्या गणपति- किताब के साथ विराजते हैं विद्या गणपति। परीक्षा में सफलता के लिए विद्या गणपति की पूजा करें।

लक्ष्मी गणपति- जिन गणेश के हाथ में कमल का फूल हो उस स्वरूप को लक्ष्मी गणपति कहते हैं। धन पाने के लिए इस स्वरूप की पूजा करें।

चिंतामणि गणेश-जीवन की सब चिंताओं को दूर करने के लिए चिंतामणि गणेश की आराधना करें।

काशी गणपति- गणपति का ये रूप काशी में स्थापित हैं। कार्य सिद्दि के लिए के लिए करें काशी गणपति की आराधना करें।

रत्न गणपति- हर प्रकार की सिद्धियों के लिए रत्न गणपति की आराधना करनी चाहिये।

ऋणमोचक गणपति- हर प्रकार के कर्ज़ और कारागार से मुक्ति के लिए ऋणमोचक गणपति की पूजा करनी चाहिये।

डूंडी विनायक- यात्रा में सफलता के लिए विनायक के इस रूप की पूजा करें।

हेरांब गणपति- शेर पर विराजते हैं हेरांब गणपति। इन्हें शुभंकर गणपति भी कहा जाता है। माता-पिता की गोद में गणेश का ये स्वरूप बेहद निराला और मनोहारी है। अगर माता-पिता से आपके संबंध अच्छे नहीं हैं तो अच्छे रिश्तों के लिए हेरांब गणपति की आराधना करें।

विजय गणपति- अभय मुद्रा वाले गणपति को विजय गणपति कहते हैं। सर्व साधन, सर्व सुख और यात्रा में सफलता के लिए विजय गणपति की आराधना करें।

उच्चिष्ट गणपति- गणपति का ये तांत्रिक स्वरूप है। सभी तरह की सिद्धियों के लिए उच्चिष्ट गणपति की आराधना करें।

द्विज गणपति-  चार मुख वाले गणपति को द्विज गणपति कहते हैं। द्विज गणपति आपकी सारी मनोकामना जल्द पूरी करते हैं।

उद्र गणपति - उद्र गणपति के 8 हाथ हैं और स्वर्ण का शरीर है। ये अपनी माता पार्वती के साथ बैठे हैं। ग्रह दोष निवारण और युद्ध में सफलता के लिए उद्र गणपति की पूजा करें।

नृत्य गणपति- शिव ही नहीं गणपति भी आनंद तांडव करते है। भौतिक सुख-सुविधाएं और वाहन पाने के लिए नृत्य गणपति की पूजा करें।

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