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तीन दिनी धर्म और अध्यात्म के वैश्विक समागम का शुभारंभ

इंदौर। तीन दिनी धर्म और अध्यात्म के वैश्विक समागम का शुभारंभ सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किया। मानव कल्याण के लिए धर्म विषय पर आयोजित इस महाकुंभ में विश्व के प्रमुख धर्म गुरु और शिक्षा जगत की जानी-मानी विभूतियां भाग ले रही हैं। संस्कृति विभाग, सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और सेंटर फॉर स्टडी ऑफ रिलीजन एंड सोसायटी के तत्वावधान में यह महाकुंभ ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हो रहा है। 

सीएम शिवराज ने कहा
सबसे बड़ा धर्म वो है जो सबके कल्याण की बात करे। सर्वे भवंतु सुखीन:, ये धर्म का मूल आधार है।
दुनिया में बहुत सी समस्याएं हैं, जिनका समाधान नेताओं के पास नहीं है, लेकिन संत और धर्मगुरु इनका समाधान कर सकते हैं, इसलिए इनका एक मंच पर आना जरूरी है।
धर्म, सबके कल्याण के लिए होता है ना कि अशांति के लिए।

भूटान के विदेश मंत्री लोन्पो दोम्चो दोर्जी ने कहा
धर्म मनुष्य के कल्याण और खुशहाली का माध्यम है।
भूटान में सरकार और समाज ने मिलकर धर्म के साथ जनता को इस तरह से जोड़ा है कि सब खुशहाल रहें।
धर्म, सबके प्रति सदभाव और संवेदना सिखाता है।

लोकसभा स्पीकर व सांसद ने कहा
सच्चा धर्म सबके प्रति दया का भाव रखना ही है। चाहे फिर वह इनसान हो या पशु-पक्षी।
धर्म, प्रकृति और पर्यावरण के साथ समन्वय का दूसरा नाम है।
धर्म, व्यक्ति के गुणों को विकसित कर उसे देवत्व की ओर ले जाने का माध्यम है। 

एक हजार विद्वान शामिल 
महाकुंभ में 26 अक्टूबर तक रोज विभिन्न सत्र होंगे। इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में अमेरिका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, थाईलैंड, नेपाल, सिंगापुर सहित अनेक देशों से 100 धर्म गुरुओं सहित करीब एक हजार चिंतक और विद्वान शामिल हैं। इसमें विश्व शांति, पर्यावरण एवं प्रकृति, मानव गौरव, बहुवचनवार यानी सभी धर्मों के मानने वाले लोगों का सहअस्तित्व और आध्यात्मिक मूल्य जैसे मानव संस्कृति, सभ्यता आदि विषयों पर चर्चा होगी। सम्मेलन में धार्मिक समन्वय में मानव की भूमिका, मानव गरिमा की रक्षा के लिए व्यक्तित्व निर्माण में नैतिक मूल्यों की प्रासंगिकता, धर्म का विज्ञान-विश्व शांति की कुंजी, सांप्रदायिक सौहार्द में विपश्यना की भूमिका, विकास की राह है धर्म संबंधी आदि विषयों पर 130 से ज्यादा शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।

26 को समापन
महाकुंभ का समापन 26 अक्टूबर को होगा। इसमें केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा मुख्य अतिथि होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान करेंगे। प्रदेश के संस्कृति राज्यमंत्री सुरेंद्र पटवा विशेष अतिथि होंगे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्रीश्री रविशंकर होंगे।

25 अक्टूबर को आएंगे अवधेशानंद महाराज
जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज भी सम्मेलन में शामिल होंगे। प्रभुप्रेमी संघ के अध्यक्ष सुशील बेरीवाला ने बताया स्वामी 25 को शाम 4.15 बजे विशेष विमान से इंदौर आएंगे। स्वामी 26 को दोपहर 12.10 बजे विमान से प्रस्थान करेंगे।

सहिष्णुता धर्म का मूल आधार:सुमित्रा महाजन
सिंहस्थ-2016 के पूर्व इंदौर में शुरू हुए तीन दिवसीय धर्म और आध्यात्मिक वैश्विक समागम में लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि सहिष्णुता धर्म का मूल आधार है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उपासना पद्धति अलग-अलग होने के बावजूद सभी धर्म का मूल आधार मानव तथा जीव कल्याण और एकता है। भूटान के विदेश मंत्री श्री लोम्को दोम्चो दोर्जी ने कहा हिन्दुइज्म कई धर्मों का मूल आधार है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि परस्पर सहयोग की भावना से आपसी संघर्ष समाप्त हो जाते हैं। समागम की मुख्य अतिथि श्रीमती सुमित्रा महाजन थीं। अध्यक्षता मुख्यमंत्री चौहान ने की। समारोह में महाबोधि सोयायटी श्रीलंका के अध्यक्ष श्री बनागला उपातिस्सा नायक थैरो विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे।

लोकसभा अध्यक्ष महाजन ने कहा कि सिंहस्थ-2016 के पूर्व विचारों का यह महाकुंभ सराहनीय प्रयास है। इससे सिंहस्थ सही मायने में सार्थक होगा। सिंहस्थ के साथ यह महाकुंभ तन के साथ मन को भी शुद्ध करेगा। उन्होंने कहा कि धर्म शब्द व्यापक अर्थ रखता है। सहिष्णुता धर्म का मूल आधार है। भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण की सीख दी गई है। पर्यावरण के प्रति हमारी श्रद्धा है। हमारी परम्परा में नदियों एवं वृक्षों की पूजा का विशेष महत्व है। हमारी परम्पराओं का वैज्ञानिक आधार खोजना चाहिये।

सभी धर्म का मूल आधार मानव तथा जीव कल्याण
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंहस्थ हमारी सनातन परम्परा का अंग है। सिंहस्थ आनन्द एवं गौरव की अनुभूति करवाता है। वर्तमान समय में विश्व अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। इन समस्याओं का समाधान धर्म में निहित है। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ धर्म का महाकुंभ है। इस महाकुंभ को विश्व की समस्याओं का समाधान ढूँढने का भी माध्यम बनाया जा रहा है। इसके मद्देनजर वैचारिक समागम किये जा रहे हैं। इनसे निकले निष्कर्षों पर आगामी 12, 13 एवं 14 मई को उज्जैन में विशाल वैचारिक महाकुंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मुख्य आतिथ्य में होगा। इसमें एक घोषणा-पत्र जारी होगा और विश्व शांति तथा मानव कल्याण के निष्कर्ष होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उपासना पद्धति अलग-अलग होने के बावजूद सभी धर्मों का ध्येय एकता, मानव एवं जीव कल्याण है। उन्होंने कहा कि मूल्य आधारित जीवन वर्तमान समय की आवश्यकता है। बगैर मूल्य का जीवन अधूरा है। उन्होंने कहा कि सारी दुनिया एक परिवार है। प्राणियों में सदभाव एवं विश्व का कल्याण सभी धर्मों का मूल आधार है। मतभेद एवं लड़ाई झगड़े का किसी भी धर्म में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि धर्म और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं। भौतिक एवं आध्यात्म का समन्वय है।

हिन्दुइज्म कई धर्मों का मूल आधार
भूटान के विदेश मंत्री श्री लेम्पो दोम्चो दोर्जी ने कहा कि धर्म, व्यक्ति को शांति प्रदान करने का जरिया है। इस समागम का उद्देश्य भी यही है कि धर्म को किस प्रकार मानव कल्याण के लिये प्रचारित किया जाये। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ के पहले होने वाले इस समागम में वैचारिक रूप से जो अमृत निकल कर आयेगा, वह मानव कल्याण के लिये निश्चय ही फलदायी होगा।

उन्होंने कहा कि भूटान दुनिया में हैप्पीनेस नेशन के रूप में प्रचारित है। इसके लिये गुड गवर्नेंस के साथ-साथ धर्म, समाज और सरकार तीनों मिलकर आम आदमी के लिये जीने के बेहतर राह दिखाते हैं। श्री दोर्जी ने कहा कि भारत आदिकाल से आध्यात्म की भूमि रहा है और वास्तव में हिन्दूइज्म कई धर्मों का आधार है जो यहाँ की भूमि से जन्मे हैं। स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो में धर्म की जो प्रस्तुति दी थी, वास्तव में वही सभी धर्मों का मूल आधार है। धर्म हमें एकता का मार्ग दिखाता है और जीवन को जीने के लिये सही राह बताता है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह श्री सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि समागम की अवधारणा मानव कल्याण पर आधारित है। सभी धर्मों की यही मान्यता रहती है कि सभी लोग सुखी एवं आनंद से रहें। उनका तन और मन स्वस्थ रहें। उन्होंने कहा कि परस्पर सहयोग की भावना होने से आपसी संघर्ष समाप्त हो जाते हैं। विश्व में कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वावलंबी नहीं है। हमें जीवन की समग्रता के लिये परस्पर सहमति, परस्पर स्वावलंबन और सहयोग की भावना के साथ रहना अत्यंत जरूरी है। यदि विरोध के स्वर उठेंगे तो सहयोग की भावना नहीं बन पायेगी। श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि कर्त्तव्यों का पालन ही धर्म है। कर्त्तव्यों के पालन में दूसरों के अधिकारों की रक्षा भी की जाना चाहिये। उन्होंने भारतीय चिंतकों के दर्शन का उल्लेख करते हुये कहा कि हमें सभी की मान्यताओं एवं उपासना पद्धतियों का आदर करना चाहिये। उन्होंने कहा कि रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक ही है। उन्होंने कहा कि मूल्य आधारित जीवन जरूरी है। मूल्यों एवं सिद्धान्तों को जीवन में व्यावहारिक रूप में लाने की जरूरत है। हमें अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिये। अहिंसा शस्त्र से ही नहीं बल्कि आचरण एवं शब्दों से भी होती है।

संयोजक तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो. एस.आर. भट्ट ने कहा कि धर्म का व्यापक स्वरूप और अर्थ है। क्या धर्म मानव का कल्याण कर सकता है? धर्म मानव के लिये बना है या मानव धर्म के लिये। धर्म मानव की हर समस्या का समाधान कैसे कर सकता है? इन सवालों को खोजने के लिये यह समागम है। उन्होंने कहा कि इसके जरिये विश्व शांति, पर्यावरण एवं प्रकृति, मानव गौरव, नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों आदि विषयों पर चर्चा की जायेगी। प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया।

तीन दिवसीय इस महाकुंभ में 26 अक्टूबर तक प्रतिदिन विभिन्न सत्र होंगे। अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में अमेरिका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, भूटान, श्रीलंका, कम्बोड़िया, थाईलेण्ड, ताईवान, म्यांयार, नेपाल, सिंगापुर सहित अनेक देशों से लगभग 100 धर्मगुरूओं सहित करीब एक हजार विशिष्ट विद्वान शामिल होंगे।

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