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'दुश्मन' मानने पर शिवसेना ने लिखा- शुक्रिया पाकिस्तान!

मुंबई : महाराष्ट्र की सत्ता के सारथी शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान द्वारा उसे शत्रु बताए जाने पर खुशी जाहिर की है. पार्टी ने सोमवार को अपने संपादकीय में साफ तौर पर लिखा है कि पाकिस्तानियों के बारे में वह किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेगी. यही नहीं, अभि‍मान जाहिर करते हुए उसने लिखा है कि अगर पाकिस्तान उसे दुश्मन मानता है कि यह उसके लिए 'महावीर चक्र' के समान है.

पार्टी की ओर से यह लेख पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उस मांग का जवाब है, जिसमें पड़ोसी मुल्क ने भारतीय राजनीतिक दल पर आतंकवादी गतिविधियां संचालित करने का आरोप लगाते हुए इस ओर संज्ञान लेने की बात की थी.

शि‍वसेना ने अपने मुखपत्र में लिखा है, 'शिवसेना प्रमुख अभिमान से कहते थे कि पाकिस्तानी आतंवादियों की हिट लिस्ट में होना यह मेरे लिए गौरव की बात है. इसलिए शिवसेना के बारे में पाकिस्तान में जो कुछ घटित हो रहा है वह हमारे लिए अभिमानस्पद बात है. शिवसेना से प्रखर राष्ट्रवाद पर एक तरह से यह मुहर है.'

सामना में 'शि‍वसेना को महावीर चक्र, शुक्रि‍या पाकिस्तान!' शीर्षक से लिखे संपादकीय लेख में पार्टी ने आगे लिखा है कि पाकिस्तान ने उसे दुश्मन मान कर उसके सिर पर सम्मान का एक और ताज रख दिया है.

दूसरे दलों और संगठनों पर निशाना
पार्टी ने अपने लेख में दूसरे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय दलों पर भी निशाना साधा है. शि‍वसेना ने लिखा है, 'राजनीतिक कारण से अच्छे-अच्छे अंतरराष्ट्रीय डमरू बजाते हुए पाकिस्तानियों के रक्षण कर्ता बन बए. यहां पाकिस्तानियों के लिए गलीचे बिछाने लगे, लेकिन उन गलीचों को उखाड़ फेंक देश के दुश्मनों को रोकने का काम शि‍वसेना ने किया है.' सामना में आगे लिखा गया है, 'शि‍वसेना आतंकी संगठन है. ऐसी बांग लगाते हुए शि‍वसेना पर प्रतिबंध लगाने और कार्रवाई करने की मांग नवाज शरीफ की सरकार ने की है. हम इसे अपना परम भाग्य समझते हैं.'

'हमने गुलाम अली को रोका'
मशहूर पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के कार्यक्रम को रद्द करवाने को लेकर अपनी पीठ थपथपाते हुए लेख में पार्टी ने लिखा है, 'गुलाम अली के पाकिस्तानी कदम हमने महाराष्ट्र में नहीं पड़ने दिया. अलगाववादियों को हिंदुस्थान विरोधी ताकत देने वाले कसूरी के खि‍लाफ शि‍वसेना ने आवाज लगाई. हमें इसमें खेद या अपराध भाव जैसा कुछ नहीं लगता. क्योंकि पाकिस्तानियों को रोकने की हिम्मत सिर्फ शि‍वसेना में है.'

लेख के अंत में शि‍वसेना ने लिखा है कि वह पाकिस्तान की मांग से बेहद खुश है और यह अन्य लोगों की नपुंसकता पर लगा ठप्पा है.

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