बिहार चुनाव : एक ऐसा व्यक्ति जो बिना प्रचार के ही जीत गए इलेक्शन
पटना: बिहार चुनाव में मोकामा सीट से जीते अनंत सिंह ने इस चुनाव में एक दिन भी अपना प्रचार नहीं किया, लेकिन इस सीट से उन्होंने 18 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की। गौर करने वाली बात यह है कि जेल में बंद अनंत सिंह पर हत्या के पांच, हत्या की कोशिश के छह जबकि अपहरण और जबरन वसूली के कुल मिलाकर 16 मामले चल रहे हैं।
अनंत सिंह का परिवार उन्हें 'रॉबिन हुड' जबकि मतदाता 'छोटे सरकार' कहकर बुलाते हैं। लोग अपने विवादित मसले उन तक लेकर जाते हैं। जब किसी दूल्हे का परिवार शादी में अनुचित मांग करता है तो अनंत सिंह के एक इशारे पर दुल्हन के परिवार की चिंता का समाधान हो जाता है।
अनंत सिंह के भतीजे विश्वजीत सिंह कहते हैं, 'वह मोकामा के रॉबिन हुड हैं। हर कोई उन्हें जानता है। उनके खिलाफ मामले हैं, जबकि अभी तक किसी में दोषिसिद्ध नहीं है। ये मामले झूठे हैं।'
सिर्फ अनंत सिंह ही बिहार के ऐसे नए विधायक नहीं बने हैं, जिन्होंने जेल से चुनाव लड़ा। सीपीआई-एमएल (एल) के सत्यदेव राम के खिलाफ भी हत्या का एक, हत्या के प्रयास के तीन, जबकि अपहरण के केस भी चल रहे हैं।
लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के केदारनाथ सिंह पर भी मर्डर के दो मामले हैं। नीतीश कुमार की जेडीयू के अमरेंद्र पांडे, जोकि कुचायकोट सीट से चुनाव जीते हैं, के विरुद्ध भी कई आपराधिक मामले चल रहे हैं, जिनमें जबरन वसूली के केस भी शामिल हैं।
क्रिमिनल केसों का सामना कर रहे अन्य बाहुबलियों ने भी बिहार विधानसभा जाने के लिए दूसरा रास्ता चुना। उन्होंने अपनी पत्नियों को चुनाव लड़वाया। नतीजतन, जेडीयू प्रत्याशी बीमा भारती रूपौली से विधायक बनीं, जबकि इसी दल से पूनम यादव खगडि़या से तो कविता सिंह दरौंदा से विधायक चुनी गईं। इन सभी के पति जेल में हैं। खास बात यह है कि खुद बीमा भारती और पूनम यादव पर कई क्रिमिनल केस चल रहे हैं।
अतरी विधानसभा सीट से कुंती देवी आरजेडी के टिकट से दूसरी बार चुनाव जीती हैं। उनके पति राजेंद्र यादव हत्या के एक केस में 10 साल की सजा काट रहे हैं। अपने पति का बचाव करते हुए कुंती देवी कहती हैं, 'क्या लालू यादव जेल नहीं गए? उनके खिलाफ मामला गलत है। यहां तक कि मेरे पति और मेरे के खिलाफ भी मामले झूठे हैं।'
बिहार के 243 विधायकों में से 50 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। 54 वर्षीय अनंत सिंह इस फेहरिस्त में 16 केसों के साथ सबसे ऊपर हैं। इनमें से 30 से अधिक विधायक विधानसभा में सत्ता पक्ष में बैठेंगे, जोकि जदयू, राजद और कांग्रेस के सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य हैं।
अब देखना यह है कि क्या अगले सप्ताह नीतीश कुमार की कैबिनट में इनमें से कुछ शामिल भी होंगे?
अनंत सिंह का परिवार उन्हें 'रॉबिन हुड' जबकि मतदाता 'छोटे सरकार' कहकर बुलाते हैं। लोग अपने विवादित मसले उन तक लेकर जाते हैं। जब किसी दूल्हे का परिवार शादी में अनुचित मांग करता है तो अनंत सिंह के एक इशारे पर दुल्हन के परिवार की चिंता का समाधान हो जाता है।
अनंत सिंह के भतीजे विश्वजीत सिंह कहते हैं, 'वह मोकामा के रॉबिन हुड हैं। हर कोई उन्हें जानता है। उनके खिलाफ मामले हैं, जबकि अभी तक किसी में दोषिसिद्ध नहीं है। ये मामले झूठे हैं।'
सिर्फ अनंत सिंह ही बिहार के ऐसे नए विधायक नहीं बने हैं, जिन्होंने जेल से चुनाव लड़ा। सीपीआई-एमएल (एल) के सत्यदेव राम के खिलाफ भी हत्या का एक, हत्या के प्रयास के तीन, जबकि अपहरण के केस भी चल रहे हैं।
लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के केदारनाथ सिंह पर भी मर्डर के दो मामले हैं। नीतीश कुमार की जेडीयू के अमरेंद्र पांडे, जोकि कुचायकोट सीट से चुनाव जीते हैं, के विरुद्ध भी कई आपराधिक मामले चल रहे हैं, जिनमें जबरन वसूली के केस भी शामिल हैं।
क्रिमिनल केसों का सामना कर रहे अन्य बाहुबलियों ने भी बिहार विधानसभा जाने के लिए दूसरा रास्ता चुना। उन्होंने अपनी पत्नियों को चुनाव लड़वाया। नतीजतन, जेडीयू प्रत्याशी बीमा भारती रूपौली से विधायक बनीं, जबकि इसी दल से पूनम यादव खगडि़या से तो कविता सिंह दरौंदा से विधायक चुनी गईं। इन सभी के पति जेल में हैं। खास बात यह है कि खुद बीमा भारती और पूनम यादव पर कई क्रिमिनल केस चल रहे हैं।
अतरी विधानसभा सीट से कुंती देवी आरजेडी के टिकट से दूसरी बार चुनाव जीती हैं। उनके पति राजेंद्र यादव हत्या के एक केस में 10 साल की सजा काट रहे हैं। अपने पति का बचाव करते हुए कुंती देवी कहती हैं, 'क्या लालू यादव जेल नहीं गए? उनके खिलाफ मामला गलत है। यहां तक कि मेरे पति और मेरे के खिलाफ भी मामले झूठे हैं।'
बिहार के 243 विधायकों में से 50 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। 54 वर्षीय अनंत सिंह इस फेहरिस्त में 16 केसों के साथ सबसे ऊपर हैं। इनमें से 30 से अधिक विधायक विधानसभा में सत्ता पक्ष में बैठेंगे, जोकि जदयू, राजद और कांग्रेस के सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य हैं।
अब देखना यह है कि क्या अगले सप्ताह नीतीश कुमार की कैबिनट में इनमें से कुछ शामिल भी होंगे?
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