जुवेनाइल जस्टिस बिल पास,18 से घटकर 16 साल हुई बालिग की उम्र
नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को करीब 5 घंटे से ज्यादा चली बहस के बाद जूवेनाइल जस्टिस बिल पास हो गया। इसके बाद सीरियस आपराधिक मामलों में नाबालिग अपराधियों की उम्र 18 साल से घटाकर 16 साल कर दी गई है। इस बिल के कानून बनते ही रेप जैसे सीरियस क्राइम में 16 साल से कम उम्र के ही लोगों को नाबालिग माना जाएगा। 16 या उससे ज्यादा उम्र वालों को सीरियस क्राइम में वयस्कों की तरह ही केस चलेगा। अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। बिल पर चर्चा के दौरान सदन में निर्भया के माता-पिता भी मौजूद है।
बिल पास होने क्या बोले निर्भया के माता-पिता
बिल पास होने क्या बोले निर्भया के माता-पिता
- निर्भया के पिता ने कहा- जुवेनाइल जस्टिस बिल पास होना हमारी बेटी को श्रद्धाजंलि है।
- जुवेनाइल जस्टिस बिल पास होने पर निर्भया की मां ने जताई खुशी।
- निर्भया की मां बोली- 'मैं संतुष्ट हूं, लेकिन दुखी भी हूं कि मेरी बेटी को न्याय नहीं मिल सका।'
निर्भया मेरी बेटी होती तो अपराधियों को गोली मार देता
टीएमसी के सांसद के डेरेन ओ'ब्रायन राज्यसभा में बोले- 'हम जूवेनाइल जस्टिस बिल का सपॉर्ट करते हैं।' उन्होंने कहा- भगवान न करे अगर वह मेरी बेटी होती तो क्या मैं सबसे अच्छे वकील खोजता या फिर बंदूक लेकर दोषियों को मार देता।
अनु आगा ने किया बिल का विरोध
राज्यसभा सांसद अनु आगा ने जुवेनाइल जस्टिस बिल का यह कहते हुए विरोध किया है कि 18 साल से कम के अपराधियों को नाबालिग ही माना जाना चाहिए। अपराधियों की उम्र पर निर्णय लेने से समाधान नहीं निकलेगा। हमें ऐसे कृत्यों को रोकने के लिए मानवीय तरीके खोजने होंगे।
निर्भया जैसी घटना हमारे समाज पर धब्बा
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद बोले- निर्भया की मां न्याय के लिए नहीं, सिर्फ अपनी बेटी के लिए लड़ रही है लेकिन, हमें सुनिश्चित करना होगा कि दोबारा इस तरह के अपराध न हो। मैं निर्भया के माता-पिता को बधाई देता हूं, निर्भया की मां चाहती हैं कि कोई दूसरी निर्भया देश में न बने। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि निर्भया जैसी घटना हमारे समाज पर धब्बा।
मुख्तार अब्बास नकवी बोले - जरूरत पड़ी तो रात 10, 11 तक भी बैठेंगे। मेनका गांधी बोलीं - अपराधियों को पुनर्वास के लिए धन मिलता है, पीड़ित को क्या? - जुवेनाइल बिल पर राज्यसभा में चर्चा, कांग्रेस ने किया बिल का समर्थन।
जुवेनाइल जस्टिस बिल में क्या है
- नए बिल में कहा गया है कि रेप, मर्डर और एसिड अटैक जैसे खतरनाक अपराधों में शामिल नाबालिगों को बालिग माना जाए।
गंभीर अपराध करने वाले नाबालिगों पर केस आम अदालतों में और बालिगों के लिए कानून के मुताबिक ही चलेगा।
रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराध करने वाले 16-18 साल के किसी भी अपराधी पर केस तभी चलाया जाएगा जब वो 21 साल का हो जाएगा।
बिल में देश के हर जिले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड(जेजेबी) और चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडबल्यूसी) बनाए जाने का प्रावधान है।
बोर्ड यह निर्णय करेगा कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में शामिल 16 वर्ष से अधिक उम्र के किशोर को सुधार गृह में रखा जाए या उस पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाया जाए।
पुराने कानून के मुताबिक नाबालिग कोे ज्यादा से ज्यादा तीन साल तक के लिए सुधार गृह में रखा जा सकता है।
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