आज दो दिवसीय रूस यात्रा पर रवाना होंगे PM मोदी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ वार्षिक शिखर वार्ता के लिए बुधवार को रूस की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। इस शिखर वार्ता का लक्ष्य परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोकार्बन, रक्षा और व्यापार पर खास बल देते हुए विशिष्ट रणनीतिक संबंधों का विस्तार करना है।
गुरुवार को वार्ता के बाद, समय की कसौटी पर खरे उतरे दोनों पक्ष परमाणु ऊर्जा और रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। शीर्षतम स्तर पर दोनों देशों के बीच वार्ता साल 2000 से ही एक बार मास्को में तो एक बार नई दिल्ली में बारी-बारी से होती आ रही है।
विदेश सचिव एस. जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा, 'हमें विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की आशा है। उनमें से कुछ को अंतिम रूप दिया जा रहा है।' उन्होंने कहा कि आर्थिक संबंधों में विस्तार एक बड़ी प्राथमिकता होगी, क्योंकि दोनों देशों का वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार अगले दस सालों में 10 अरब डॉलर से बढ़ाकर 30 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है।
मोदी और पुतिन द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा सीरिया की स्थिति तथा आतंकवाद से निपटने के तौर-तरीकों सहित विविध वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं। जयशंकर ने कहा, 'यह हमारे लिए निश्चित ही अति महत्वपूर्ण संवादों में एक होगा।'
जयशंकर ने कहा कि भारत हीरा व्यापार और कृषि कारोबार जैसे कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के अलावा रूस के तेल एवं कोयला क्षेत्र में घनिष्ट साझेदारी को लेकर आशान्वित है। ऊर्जा की भारी कमी से जूझ रहा तथा अमेरिका एवं चीन के बाद तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक भारत रूस की बड़ी गैस एवं तेल खोज परियोजनाओं में व्यापक भागीदारी पर जोर दे रहा है। रूस दुनिया में सबसे बड़े तेल उत्पादकों में एक है और उसके यहां प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार भी हैं।
भारत यूरेशिया आर्थिक क्षेत्र के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए भी जोर दे सकता है तथा उसने इस संबंध में जो अध्ययन किया है, वह उसे साझा कर रहा है। बिना कोई खास विवरण दिए जयशंकर ने कहा कि मोदी और पुतिन रक्षा एवं परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयेाग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे।
उन्होंने कहा, 'रूस भारत का एक बड़ा सैन्य एवं रणनीतिक साझेदार रहा है। इस क्षेत्र पर काफी चर्चा होगी।' पिछले हफ्ते रक्षा मंत्रालय की शीर्ष अधिग्रहण परिषद ने 40,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से रूसी एस-400 ट्रियंफ एयर डिफेंस मिसाइल की खरीद को हरी झंडी दी थी।
जब विदेश सचिव से पूछा गया कि क्या रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रयास का जोरदार समर्थन करेगा, उन्होंने कहा, 'दोनों देशों को एक-दूसरे पर काफी विश्वास है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य के रूप में देखने की रूस की कटिबद्धता पर हमें बिल्कुल शक नहीं है।'
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत रूस से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विवरण साझा करने का अनुरोध करेगा, उन्होंने कहा कि यह मुद्दा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की हाल की मास्को यात्रा के दौरान उठा था। उन्होंने कहा, 'हम इंतजार करें और देखें कि क्या होता है। मैं रूसी प्रतिक्रिया का पूर्व आकलन नहीं करता, जब तक कि हमें कुछ मिल नहीं जाता।'
यह पीएम मोदी की राष्ट्रपति पुतिन के साथ दूसरी शिखर वार्ता होगी। पुतिन 15वीं भारत-रूस शिखर वार्ता के लिए पिछले साल यहां आए थे। बुधवार को पुतिन मोदी के सम्मान में निजी भोज देंगे और दोनों नेता गुरुवार को क्रेमलिन में भारतीय एवं रूसी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के एक समूह के साथ संवाद करेंगे।
प्रधानमंत्री रूस यात्रा के दौरान फ्रेंड्स ऑफ इंडिया की एक सभा को भी संबोधित करेंगे, जहां करीब 3000 लोगों के जुटने की संभावना है। वह रूस के इमरकॉम भी जाएंगे जो आपदा प्रबंधन करता है। शिखर वार्ता की पृष्ठभूमि हाल ही में हुई अंतर-सरकारी आयोग और सैन्य प्रौद्योगिकी आयोग की बैठकों के दौरान तैयार हुई थी।
जब जयशंकर से पूछा गया कि रूस ने पाकिस्तान को लड़ाकू हेलीकॉप्टर देने का निर्णय लिया है, ऐसे में क्या रूस यह संदेश देकर पाकिस्तान के करीब तो नहीं जा रहा कि वह अमेरिका के साथ भारत की नजदीकियों से खुश नहीं है, उन्होंने ऐसी व्याख्या को बकवास बताया। उन्होंने ऐसी तुलना को सिरे से खारिज कर दिया।
जब उनका ध्यान भारत में रूस के राजदूत के कुछ बयानों की तरफ दिलाया गया तो उन्होंने कहा, 'यदि रूसी राजदूत रूसी विमान को बढ़ावा नहीं देंगे तो वह किसके विमान को बढ़ावा देंगे। वह अपना काम कर रहे हैं।'
सीरिया के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस व्यापक दृष्टि से एक ही तरफ हैं, क्योंकि दोनों देश शांतिपूर्ण तरीके से संकट का हल चाहते हैं। भारत धार्मिक चरमपंथ और कट्टरपंथ की ताकतों की जड़ें जमाने के पक्ष में नहीं है। पिछले साल शिखर वार्ता के बाद यह ऐलान हुआ था कि रूस सैन्य एवं असैन्य दोनों तरह के उपयोग के लिए उन्नत हेलीकॉप्टर का विनिर्माण करने के अलावा कम से कम 12 परमाणु संयंत्र बनाएगा। दोनों देशों ने तेल, गैस, रक्षा, निवेश और अन्य अहम क्षेत्रों में 20 समझौते किए थे।
जब विदेश सचिव से पूछा गया कि क्या रूस में भारतीय विद्यार्थियों को दी जाने वाली मेडिकल डिग्रियों को मान्यता देने के विषय का हल हुआ है, उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अब भी चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने एवं पर्यटन को बढ़ावा देने की संभावनाएं भी खंगालेंगे।
गुरुवार को वार्ता के बाद, समय की कसौटी पर खरे उतरे दोनों पक्ष परमाणु ऊर्जा और रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। शीर्षतम स्तर पर दोनों देशों के बीच वार्ता साल 2000 से ही एक बार मास्को में तो एक बार नई दिल्ली में बारी-बारी से होती आ रही है।
विदेश सचिव एस. जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा, 'हमें विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की आशा है। उनमें से कुछ को अंतिम रूप दिया जा रहा है।' उन्होंने कहा कि आर्थिक संबंधों में विस्तार एक बड़ी प्राथमिकता होगी, क्योंकि दोनों देशों का वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार अगले दस सालों में 10 अरब डॉलर से बढ़ाकर 30 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है।
मोदी और पुतिन द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा सीरिया की स्थिति तथा आतंकवाद से निपटने के तौर-तरीकों सहित विविध वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं। जयशंकर ने कहा, 'यह हमारे लिए निश्चित ही अति महत्वपूर्ण संवादों में एक होगा।'
जयशंकर ने कहा कि भारत हीरा व्यापार और कृषि कारोबार जैसे कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के अलावा रूस के तेल एवं कोयला क्षेत्र में घनिष्ट साझेदारी को लेकर आशान्वित है। ऊर्जा की भारी कमी से जूझ रहा तथा अमेरिका एवं चीन के बाद तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक भारत रूस की बड़ी गैस एवं तेल खोज परियोजनाओं में व्यापक भागीदारी पर जोर दे रहा है। रूस दुनिया में सबसे बड़े तेल उत्पादकों में एक है और उसके यहां प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार भी हैं।
भारत यूरेशिया आर्थिक क्षेत्र के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए भी जोर दे सकता है तथा उसने इस संबंध में जो अध्ययन किया है, वह उसे साझा कर रहा है। बिना कोई खास विवरण दिए जयशंकर ने कहा कि मोदी और पुतिन रक्षा एवं परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयेाग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे।
उन्होंने कहा, 'रूस भारत का एक बड़ा सैन्य एवं रणनीतिक साझेदार रहा है। इस क्षेत्र पर काफी चर्चा होगी।' पिछले हफ्ते रक्षा मंत्रालय की शीर्ष अधिग्रहण परिषद ने 40,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से रूसी एस-400 ट्रियंफ एयर डिफेंस मिसाइल की खरीद को हरी झंडी दी थी।
जब विदेश सचिव से पूछा गया कि क्या रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रयास का जोरदार समर्थन करेगा, उन्होंने कहा, 'दोनों देशों को एक-दूसरे पर काफी विश्वास है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य के रूप में देखने की रूस की कटिबद्धता पर हमें बिल्कुल शक नहीं है।'
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत रूस से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विवरण साझा करने का अनुरोध करेगा, उन्होंने कहा कि यह मुद्दा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की हाल की मास्को यात्रा के दौरान उठा था। उन्होंने कहा, 'हम इंतजार करें और देखें कि क्या होता है। मैं रूसी प्रतिक्रिया का पूर्व आकलन नहीं करता, जब तक कि हमें कुछ मिल नहीं जाता।'
यह पीएम मोदी की राष्ट्रपति पुतिन के साथ दूसरी शिखर वार्ता होगी। पुतिन 15वीं भारत-रूस शिखर वार्ता के लिए पिछले साल यहां आए थे। बुधवार को पुतिन मोदी के सम्मान में निजी भोज देंगे और दोनों नेता गुरुवार को क्रेमलिन में भारतीय एवं रूसी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के एक समूह के साथ संवाद करेंगे।
प्रधानमंत्री रूस यात्रा के दौरान फ्रेंड्स ऑफ इंडिया की एक सभा को भी संबोधित करेंगे, जहां करीब 3000 लोगों के जुटने की संभावना है। वह रूस के इमरकॉम भी जाएंगे जो आपदा प्रबंधन करता है। शिखर वार्ता की पृष्ठभूमि हाल ही में हुई अंतर-सरकारी आयोग और सैन्य प्रौद्योगिकी आयोग की बैठकों के दौरान तैयार हुई थी।
जब जयशंकर से पूछा गया कि रूस ने पाकिस्तान को लड़ाकू हेलीकॉप्टर देने का निर्णय लिया है, ऐसे में क्या रूस यह संदेश देकर पाकिस्तान के करीब तो नहीं जा रहा कि वह अमेरिका के साथ भारत की नजदीकियों से खुश नहीं है, उन्होंने ऐसी व्याख्या को बकवास बताया। उन्होंने ऐसी तुलना को सिरे से खारिज कर दिया।
जब उनका ध्यान भारत में रूस के राजदूत के कुछ बयानों की तरफ दिलाया गया तो उन्होंने कहा, 'यदि रूसी राजदूत रूसी विमान को बढ़ावा नहीं देंगे तो वह किसके विमान को बढ़ावा देंगे। वह अपना काम कर रहे हैं।'
सीरिया के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस व्यापक दृष्टि से एक ही तरफ हैं, क्योंकि दोनों देश शांतिपूर्ण तरीके से संकट का हल चाहते हैं। भारत धार्मिक चरमपंथ और कट्टरपंथ की ताकतों की जड़ें जमाने के पक्ष में नहीं है। पिछले साल शिखर वार्ता के बाद यह ऐलान हुआ था कि रूस सैन्य एवं असैन्य दोनों तरह के उपयोग के लिए उन्नत हेलीकॉप्टर का विनिर्माण करने के अलावा कम से कम 12 परमाणु संयंत्र बनाएगा। दोनों देशों ने तेल, गैस, रक्षा, निवेश और अन्य अहम क्षेत्रों में 20 समझौते किए थे।
जब विदेश सचिव से पूछा गया कि क्या रूस में भारतीय विद्यार्थियों को दी जाने वाली मेडिकल डिग्रियों को मान्यता देने के विषय का हल हुआ है, उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अब भी चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने एवं पर्यटन को बढ़ावा देने की संभावनाएं भी खंगालेंगे।
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