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पिछले गणतंत्र दिवस की तरह इस बार भी PM Modi ने करेंगे एक नई हस्ती की मेहमान नवाजी

नई दिल्ली : बतौर पीएम, नरेंद्र मोदी का ये दूसरा गणतंत्र दिवस होगा. देश को नए ढांचे में ढालने की कवायद में पीएम मोदी ने कई पुरानी नीतियों को तोड़ दिया और नई रितियों को जोड़ दिया है, बदलाव प्रकृति का नियम है, मौसम से लेक व्यवहार तक और संस्कृति से लेकर आहार तक पृथ्वी खुद ही कई विविधताओं को खुद में समाए बैठी है, ऐसे में पीएम मोदी ने भी हमारे देश के गणतंत्र दिवस को लेकर कुछ बदलाव किए है, बदलाव संवैधानिक तो नहीं है लेकिन व्यैवाहरिक जरूर है.

पिछले साल पीएम मोदी ने गणतंत्र दिवस के मौके पर दुनिया के सबसे शक्तिशाली शख्सियत बराक ओबामा की मेहमान नवाजी की थी, जिसके बाद 26 जनवरी 2015 के दिन पूरी दुनिया की निगाहे हिंदुस्तान पर लगी हुई थी. भारतीय संस्कृति को वैश्विक रुप से नया मंच अपने आप ही मिल गया था. उसी को देखते हुए पीएम मोदी ने इस रित को आगे बढ़ाने की कोशिश की है, इस बार फिर पीएम मोदी मे गणतंत्र दिवस के मौके पर फ्रांस के राष्ट्रपति, फांस्वा आलोंद को 26 जनवरी के दिन भारत का मेहमान बनने का न्योता भेजा था. और उन्होने ये न्यौता कबूल पर कर लिया है, यानि की मोदी सरकार के दौर में गणतंत्र दिवस जैसे मौके पर पीएम मोदी की कवायद देश को एक अलग पहचान की बनती जा रही है.

नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू की जा रही इस रवायत के पीछे जो फार्मूला है अब जरा उसे समझने की कोशिश किजिए, देश के लिए गणतंत्र दिवस का मतलब है कि संवैधानिक तौर पर देश का निर्माण, ऐसे में ये सबसे खास दिन होता है, ऐसे में अगर किसी विकसित देश के प्रमुख को सबसे खास तवज्जों दी जाएगी, तो ऐसे में संबंधों में मधुरता आना लाजमी है. जब देशों के बीच संबंध अच्छे होंगे, तो जाहिर सी बात है कि फायदे भी होंगे ही.

इसका फायदा आने से पहले ऐसा हुआ कि पिछले कई सालों से फ्रांस के साथ रॉफेल खरीद मामले की बर्फ अब पिघलती हुई नजर आ रही है. दोनों देशों के प्रमुखों के बीच हॉट लाइन पर हुई बातचीत के बाद ये मामला फिलहाल तो सुलझता हुआ दिखाई दे रहा है, फ्रांस हमारे देश को उस दाम में रॉफेल बेचना चाह रहा था जिस दाम में वो अपने देश की सेना के लिए खरीदता है. ऐसे में अब आने वाली 26 जनवरी को अगर इस डील पर साइन हो जाएगा तो ये दोनों देशों के लिए बड़ी कामयाबी मानी जाएगी.

दरअसल भारत और फ्रांस के बीच ऑफसेट क्लॉज को लेकर सहमति नहीं बन पा रही थी, लेकिन अब दोस्ती की कालीन और रिश्तों की मिठास के नाम पर इस डील को कराया जा सकता है, ऐसे ही कई देश है जिनसे भारत को मदद की दरकार रहती है, अब निगाहें इस बात पर रहेंगी की उन देशों से पीएम मोदी भारत के लिए सौगातें कब लाते हैं.

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