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शिवराज की नर्मदा यात्रा में आरती पर खर्चे गए 29 लाख



भोपाल। प्रदेश में मां नर्मदा को पदूषण मुक्त रखने के लिए प्रदेश सरकार ने नमामि देवी नर्मदे नाम से अभियान चलाया था, लेकिन आपको यह जानकारी आश्वर्य होगा की प्रदेश की जनता की गाढी कमाई को किस तरह पानी की तरह बहाया जा रहा था। आप यह जानकार चौंक जाएंगे कि इस सेवा यात्रा के दौरान मां नर्मदा की होने वाली एक समय की आरती का खर्च 59 हजार आता था, जो अन्य खर्चो से अलग है।

नर्मदा नदी को अविरल और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए 'नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा' का आयोजन किया गया था। इस सेवा यात्रा में हर रोज सुबह-शाम नर्मदा नदी के तट पर आरती की जाती रही। इसकी आरती की जिम्मेदारी साध्वी प्रज्ञा भारती और उनकी मंडली के जिम्मे रही थी। 148 दिन की यात्रा में लगभग 50 स्थानों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए थे। 

नर्मदा नदी के तट पर हुई आरती के संबंध में खरगौन के महिमाराम भार्गव ने सूचना के अधिकार के तहत इसकी जानकारी हासिल की। इस सेवा यात्रा के दौरान एक आरती चार मार्च को महेश्वर के घाट पर हुई थी, उस आरती का खर्च 58,650 रुपये बताया गया है। यह भुगतान जनपद पंचायत महेश्वर द्वारा किया गया है।

भार्गव ने बताया कि इस आरती में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए थे और 58,650 रुपये की आरती का भुगतान इंदौर की एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को किया गया। इसके अलावा वीआईपी लोगों के ठहरने, भोजन, परिवहन सहित अन्य पर हुआ खर्च लाखों में है।

इस मामले में साध्वी प्रज्ञा भारती का कहना है, उनका आरती का प्रकल्प चल रहा है, वह नर्मदा यात्रा के दौरान दोनों समय आरती करती रही थीं। इसके अलावा उनके साथ उनकी मंडली भी थी। उन्होंने बताया ​कि उनके पास आरती खुद की है, लेकिन अन्य सामग्री घी-रुई की बाती आदि के लिए कुछ श्रद्धालु मदद कर दिया करते थे। आरती के एवज में उनकी मंडली ने कोई राशि नही ली है।

सूत्रों के अनुसार 148 दिन तक नमामि देवी नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान दोनों समय हुई आरती पर खर्च 1,18,000 रुपये हुआ होगा तो 148 दिन में यह राशि 1,74,64,000 रुपए होती है।बताया यह भी जा रहा है कि सीएम के इस यात्राा में रहने के कारण विशेष इंतजाम किए जाते थे। ऐसे भी सीएम ने 50 स्थानों पर आरती की होगी और 59,000 रुपये का भुगतान किया गया होगा, तो भी यह राशि 29,00,000 रुपए होती है।

आश्चर्यजनक बात यह है कि आरटीआई के तहत जो खर्च के आंकड़े सामने आए हैं, वह कुछ अलग ही है। भार्गव के अनुसार महेश्वर स्थित पर्यटन विकास निगम में पांच कमरों में ठहरने और खाने का भुगतान 77,608 रुपये का किया गया। इसके अलावा वाहनों में उस दिन 25 हजार का ईंधन भराया गया। उन्हें जो दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं, उनमें एक ठेला लगाने वाले को 1,000 लोगों के खाने का ऑर्डर दिया गया। उसके खाते में 1,40,000 रुपये जमा किए गए, लेकिन भुगतान के नाम पर 2,40,000 रुपये का चेक जारी किया गया है।

16 जिलों, 1104 कस्बे और गांवों से होकर 3344 किलोमीटर का सफर तय करने वाली इस सेवा यात्रा का​ जिम्मा सरकार ने जन अभियान परिषद को सौंपा था। इसके रूट, विश्राम, शुरूआत, आदि सब की जिम्मेदारी परिषद की थी। यात्रा 11 दिसंबर, 2016 को अमरकंटक नर्मदा नदी के उद्गम स्थल से शुरू होकर 15 मई, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अमरकंटक में ही संपन्न हुई थी।

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