शिवराज का ‘दलित एजेंडा’
राकेश अग्निहोत्री(सवाल दर सवाल)
पीएम नरेंद्र मोदी की सफल मध्यप्रदेश यात्रा और किसान महासम्मेलन से मिली सियासी ऑक्सीजन के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान अब समाज के कमजोर, उपेक्षित और गरीब तबके को साधने के साथ अपने दलित एजेंडे की नई तरह से शुरुआत करने जा रहे हैं..मैहर में सोमवार को संत रविदास जयंती पर महाकुंभ तो अनूपपुर में दो दिन बाद शबरी महाकुंभ में सीएम का शिरकत करना यानी संदेश साफ है कि मिशन-2018 विधानसभा चुनाव को लेकर शिवराज बीजेपी के लिए अतिरिक्त वोटों का इजाफा करने की रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं..दिग्विजय सिंह के दलित एजेंडे के बावजूद जब कांग्रेस सत्ता में नहीं लौट पाई थी ऐसे में यहां सवाल खड़ा होना लाजमी है कि दिग्गी राजा के 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ने वाले शिवराज का ये नया फार्मूला यानी दलित एजेंडा..और उनकी कास्ट पॉलिटिक्स क्या बीजेपी को चौथी बार और शिवराज के नेतृत्व में तीसरी बार सत्ता में लौटाने में मददगार साबित होगा? शिवराज सिंह ने पिछले एक दशक में सोशल सेक्टर में काम कर व्यक्ति विशेष को लाभान्वित करने वाली योजनाओं की दम पर अपनी सरकार न सिर्फ चलाई बल्कि लोकप्रियता का ग्राफ भी बढ़ाया..ऐसे में जाति, वर्ग, समुदाय से ऊपर उठकर मध्यप्रदेश का मतदाता चुनाव में चौहान का चहेता बना जिसे उन्होंने गरीबों का सरकार के प्रति बढ़ता भरोसा बताया था..तो अब दलित और आदिवासियों के प्रति उमड़े उनके अत्यधिक प्रेम की वजह आखिर क्या है? क्या ये संघ का एजेंडा है या फिर शिवराज सिंह की उस सोच का नतीजा है जिसने उन्हें हैदराबाद कॉलेज कैंपस से दलित छात्र रोहित की आत्महत्या से देश में मचे बवाल और दलित राजनीति ने उनके कान खड़े कर दिए हैं..
पीएम नरेंद्र मोदी की सफल मध्यप्रदेश यात्रा और किसान महासम्मेलन से मिली सियासी ऑक्सीजन के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान अब समाज के कमजोर, उपेक्षित और गरीब तबके को साधने के साथ अपने दलित एजेंडे की नई तरह से शुरुआत करने जा रहे हैं..मैहर में सोमवार को संत रविदास जयंती पर महाकुंभ तो अनूपपुर में दो दिन बाद शबरी महाकुंभ में सीएम का शिरकत करना यानी संदेश साफ है कि मिशन-2018 विधानसभा चुनाव को लेकर शिवराज बीजेपी के लिए अतिरिक्त वोटों का इजाफा करने की रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं..दिग्विजय सिंह के दलित एजेंडे के बावजूद जब कांग्रेस सत्ता में नहीं लौट पाई थी ऐसे में यहां सवाल खड़ा होना लाजमी है कि दिग्गी राजा के 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ने वाले शिवराज का ये नया फार्मूला यानी दलित एजेंडा..और उनकी कास्ट पॉलिटिक्स क्या बीजेपी को चौथी बार और शिवराज के नेतृत्व में तीसरी बार सत्ता में लौटाने में मददगार साबित होगा? शिवराज सिंह ने पिछले एक दशक में सोशल सेक्टर में काम कर व्यक्ति विशेष को लाभान्वित करने वाली योजनाओं की दम पर अपनी सरकार न सिर्फ चलाई बल्कि लोकप्रियता का ग्राफ भी बढ़ाया..ऐसे में जाति, वर्ग, समुदाय से ऊपर उठकर मध्यप्रदेश का मतदाता चुनाव में चौहान का चहेता बना जिसे उन्होंने गरीबों का सरकार के प्रति बढ़ता भरोसा बताया था..तो अब दलित और आदिवासियों के प्रति उमड़े उनके अत्यधिक प्रेम की वजह आखिर क्या है? क्या ये संघ का एजेंडा है या फिर शिवराज सिंह की उस सोच का नतीजा है जिसने उन्हें हैदराबाद कॉलेज कैंपस से दलित छात्र रोहित की आत्महत्या से देश में मचे बवाल और दलित राजनीति ने उनके कान खड़े कर दिए हैं..
प्राकृतिक आपदा से पीड़ित किसानों को फसल बीमा योजना की मिली सौगात के बाद शिवराज सिंह चौहान को भरोसा हो गया है कि किसान वोट बैंक अब विरोधी दलों के झांसे में नहीं आएगा..इसलिए उन्होंने दलित और आदिवासियों पर अपनी नजर गड़ा दी है...एक बार फिर विधानसभा के बजट सत्र से ठीक पहले जिन दो बड़े कार्यक्रमों को उन्होंने अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है, उसमें उपचुनाव जीतने के बाद मैहर में अनुसूचित जाति के बीच लोकप्रिय संत रविदास की जयंती के मौके पर समाज का एक बड़ा जमावड़ा और ठीक 2 दिन बाद आदिवासियों की मौजूदगी में शबरी महाकुंभ का आयोजन शामिल हैं..जिसके मायने निकाले जाना लाजमी है..ये वो वोट बैंक है जिसके हाथ में सत्ता की चाबी रही है..कांग्रेस और दिग्गी सरकार से मोह भंग होने के बाद अनुसूचित जाति और जनजाति के मतदाताओं का रुझान बीजेपी की ओर बरकरार है..वह बात और है कि इन दोनों ही समुदाय से कोई ऐसा बड़ा लीडर उभरकर सामने नहीं आया जिसका अपना जनाधार हो और वो खुद के साथ बीजेपी को सत्ता में कायम रखने के लिए नेतृत्व प्रदान कर सके..दिल्ली में स्थापित थावरचंद गहलोत हों या फिर सत्यनारायण जटिया और फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे नेता शिवराज की सरकार रहते 2009 में लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं, तो मोदी लहर में गहलोत और कुलस्ते चुनाव जीते.. मतलब साफ है कि इस वर्ग पर बीजेपी की पकड़ होने के बावजूद कोई बड़ा नेता न तो मुख्यमंत्री और न ही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच पाया..जटिया का छोटा कार्यकाल अपवाद रहा है...
संघ के एजेंडे में सामाजिक समरसता सबसे ऊपर रही है..तो उसकी कोशिश यूपी के विधानसभा चुनाव आने तक दलित और आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाकर बीजेपी की सरकार बनाना माना जा रहा है, लेकिन देश के अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं सामने आ जाती हैं जिससे उसके मिशन के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं..बिहार चुनाव के दौरान दलित वोट बैंक पर कब्जा जमाने के लिए जब मोदी-शाह ने रामविलास पासवान और जीतनराम मांझी जैसे नेताओं के साथ गठबंधन किया तब संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान ने जो बवाल मचाया था उसके बाद बीजेपी सफाई देने को मजबूर हुई..भागवत के बयान पर संघ और बीजेपी की ओर से सफाई आने के बाद भी विरोधी दल मोदी सरकार को दलित विरोधी साबित कर अपने सियासी हित साध रहे हैं..छात्र राजनीति ने हैदराबाद के रोहित के बाद दिल्ली के जेएनयू में कन्हैया की सोच और उनके द्वारा खड़े िकए गए सवाल बड़ी बहस का मुद्दा बन चुका है..तब बीजेपी के लिए खासतौर से दलित समुदाय का भरोसा जीतना जरूरी हो गया है..राहुल गांधी भी मायावती को निशाने पर ले रहे हैं तो दलितों के घर खाना खाकर सियासी हित भी साध रहे हैं..ऐसे में जब कांग्रेस ने डॉक्टर अंबेडकर की 125वीं जन्मशताब्दी की आड़ में अपने पुराने वोट बैंक पर नजर गड़ा दी है तो बीजेपी के कान खड़े होना स्वाभाविक है...जिसने अंबेडकर के साथ संत रविदास को पूजने और मानने वालों का भरोसा जीतने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है..पीएम नरेंद्र मोदी रविदास जयंती पर यदि अपने संसदीय क्षेत्र बनारस का रुख करने को मजबूर हुए हैं तो शिवराज सिंह चौहान ने भी सोची-समझी योजना के तहत उस मैहर को चुना है जहां उन्होंने उपचुनाव के दौरान दलितों के साथ समय बिताया था..और परिणाम आने से पहले ही रविदास जयंती पर एक बड़ा कार्यक्रम करने के साथ खुद भी आने का ऐलान कर दिया था..शिवराज जिन्होंने कुछ दिन पहले ही सरकार की योजनाओं में दलितों को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए थे..तो कुछ अहम कार्यक्रमों के साथ एक बड़ी पंचायत बुलाने के संकेत दे सकते हैं। चौहान ने अपनी कैबिनेट में यदि गौरीशंकर शेजवार जैसे नेताओं को चुनाव िजताकर उन्हें आगे बढ़ाया है तो लालसिंह आर्य जैसे राज्यमंत्री का कद भी बढ़ाया है..इसके बाद शिवराज का अगला पड़ाव अनूपपुर होगा जहां विधानसभा सत्र के दौरान शबरी महाकुंभ में वो आदिवासियों से रूबरू होंगे..संघ पहले ही वनवासियों को लेकर मंडला में बड़ा कार्यक्रम कर चुका है लेकिन पिछले दिनों झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में आदिवासी कांतिलाल भूरिया और कांग्रेस के साथ खड़े नजर आए थे..यानी शिवराज को चिंता आदिवासियों ही नहीं, दलितों की भी है..देखना दिलचस्प होगा कि सोशल सेक्टर में बड़ा काम कर नाम और लोकप्रियता कमा चुके शिवराज की ये कास्ट पॉलिटिक्स आखिर मिशन-2018 में क्या गुल खिलाती है? दिग्िवजय सिंह ने दलित एजेंडे को बढ़ाने के लिए चुनाव में जाने से पहले एक बड़ा कार्यक्रम किया था जिसमें देश के विश्वविद्यालयों से जुड़े इतिहासकार, प्रोफेसर, दलित चिंतक और बुद्धिजीवियों का जमावड़ा चर्चा में रहा था..दिग्विजय सिंह ने दलित एजेंडे के नाम पर यदि कई योजनाएं लागू की थीं तो उनके इर्दगिर्द कई बड़े अफसर इस समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले चर्चा का विषय बने थे..इधर शिवराज देर से ही सही अपनी सरकार के विरोध में खड़े नजर आने वाले रमेश थेटे और शशि कर्णावत जैसे दलित वर्ग से आने वाले अधिकारियों को साधने को मजबूर जरूर हुए..मतलब साफ है कि वो नहीं चाहते कि राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया का दलित और आदिवासी प्रेम मध्यप्रदेश में उनके और बीजेपी के लिए कोई समस्या बने..ऐसे में ये तो समय ही बताएगा कि मिशन-2018 की जमावट में जुटे शिवराज की इस रणनीति को उनका दलित एजेंडा कहें या फिर कास्ट पॉलिटिक्स बीजेपी के वोट बैंक को कितना मजबूत करती है? चुनाव में खुद शिवराज सिंह चौहान ही होंगे जो पिछड़े वर्ग से आते हैं.
----
Rakesh Agnihotri
political editor
स्वराजExpress MP/CG
----
Rakesh Agnihotri
political editor
स्वराजExpress MP/CG

No comments
सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com