-->

मोदी भी हुए ‘शिवराज’ के मुरीद...

राकेश अग्निहोत्री(सवाल दर सवाल)
सब हैड - हाथ बढ़ाया और दिल भी मिले...
पीएम नरेंद्र मोदी भी आखिर शिवराज सिंह चौहान के मुरीद हो ही गए जिन्होंने आडवाणी युग में भोपाल के जम्बूरी मैदान के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर अपने गृह जिले सीहोर के शेरपुर में किसानों का सफल महासम्मेलन आयोजित कराकर सूबे के इतिहास में एक नया इतिहास रच दिया। किसान महासम्मेलन के मंच पर नमो-शिवाय की कैमेस्ट्री ने किसानों और नेताओं को ही नहीं, टीवी स्क्रीन पर आंख लगाए बैठे आम लोगों को भी ये सोचने को मजबूर कर दिया कि शिवराज में कोई तो बात ऐसी है जो पार्टी का नेतृत्व भले ही बदलता रहा लेकिन उसके शीर्ष नेता आखिर मुरीद हो ही जाते हैं। एक-दूसरे की पीठ थपथपाते नजर आए पीएम और सीएम में मानो होड़ सी लगी थी कि मानो कौन खेती को फायदे का धंधा बनाने के लिए ज्यादा बेताब है। इस मंच से पीएम मोदी ने खेती को फायदे का धंधा बनाने का संकल्प लेने वाले शिवराज के उस सपने को 2022 तक साकार करने का भरोसा जताया जब किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। सवाल खड़ा होना लाजमी है कि आखिर शिवराज में ऐसा क्या है जो पुरानी प्रतिस्पर्धा भूलकर आाखिर उनके मुरीद हो गए तो क्यों? क्या ये जोड़ी अब उन अटकलों पर विराम लगाने में ताबूत की अंतिम कील साबित होगी जो प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के शिगूफे छोड़ते रहते हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी ने किसान महासम्मेलन से सीएम शिवराज और केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज दोनों को साधा तो खुद को किसानों के रहनुमा के तौर पर पेश किया। मोदी जब भोपाल के राजा भोज हवाई अड्डे पर उतरे तब शिवराज से ज्यादा वन टू वन चर्चा उन्होंने राज्यपाल रामनरेश यादव से की। लेकिन जब शेरपुर से लौटे न सिर्फ उनके चेहरे के भाव बदल चुके थे, बल्कि पीएम मुख्यमंत्री के साथ गलबहियां करते नजर आए। संदेश साफ था कि मोदी शेरपुर किसान महासम्मेलन में जुटी और जुटाई गई भीड़ देखकर गदगद थे और शायद यही कारण है कि दिल्ली लौटकर नरेंद्र मोदी ने ट्वीटकर फसल बीमा योजना के आगाज के मौके पर आयोजित कार्यक्रम की सफलता के लिए ट्वीटकर शिवराज और उनकी सरकार की खुले दिल से तारीफ कर पूरे देश को ये संदेश दे दिया कि मप्र किसानों को लेकर दूसरे राज्यों से ज्यादा संजीदा है और गंभीर है। पीएम ने अपने उद्बोधन की शुरुआत ही हिन्दुस्तान के नक्शे पर मप्र की धमाकेदार मौजूदगी का श्रेय प्रदेश के किसानों को दिया जिनकी मेहनत के दम पर मप्र को चार बार कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा गया। मोदी ने मंच पर पहुंचने से पहले हेलिकॉप्टर से कार्यक्रम स्थल का जो नजारा देखा उसका जिक्र उन्होंने अपने उदबोधन में किया। मतलब साफ है कि उन्हें देखने और सुनने आए किसानों की बड़ी संख्या में मौजूदगी शिवराज की तारीफ करने को मजबूर कर गई। पीएम की नजर में यशस्वी मुख्यमंत्री यानी शिवराज जब धाराप्रवाह और ओजस्वी भाषण देने के बाद मोदी के पास पहुंचे तो खुद मोदी ने हाथ बढ़ाकर उनकी हौसलाअफजाई की तो मुख्यमंत्री ने भी मोदी-मोदी के नारे खूब लगाए। शेरपुर सुषमा स्वराज के संसदीय और चौहान के विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। मोदी और शिवराज का भाषण पूरी तरह किसानों पर केंद्रित था, अलबत्ता शिवराज ने मोदी के आत्मीय अभिनंदन के लिए अपने भाषण में देश-दुनिया, उनकी लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र कर उसे अपने भाषण का आधार बनाया। जहां तक बात मोदी की है तो स्वच्छ भारत अभियान को छोड़ दिया जाए तो उनका भाषण पूरी तरह से खेती-किसानी से जुड़ा था। पीएम पूरी तैयारी से आए थे। मोदी ने हर उस पहलू को छुआ जो अभी तक किसानों की समस्या और मुसीबत का कारण बनता था और भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार ने किसानों के हित में जो योजनाएं शुरू की हैं उसके बाद आजादी के 75 साल पूरे होने पर 2022 तक किसानों की आय दोगुना हो जाएगी। मोदी ने विस्तार के साथ फसल बीमा योजना के फायदे गिनाए जिसमें किसानों को 2 फीसदी प्रीमियम देना होगा और एक तिहाई नुकसान होने पर भी मुआवजा मिलेगा।

बीमा कराने पर 25 फीसदी राशि तुरंत किसान के खाते में पहुंचाई जाएगी। कुल मिलाकर पीएम मोदी ने ये साबित करने की कोशिश की कि उनकी सरकार किसानों की हितैषी सरकार है और मोदी को किसान विरोधी बताने वाले लोगों में इतनी हिम्मत नहीं है कि वो इस योजना की आलोचना भी कर सकें। कह सकते हैं कि बिना नाम लिए मोदी सूट-बूट की सरकार का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी पर कटाक्ष करने से भी नहीं चूके।

दूसरी ओर शिवराज भी गदगद नजर आए। खास होकर भी हमेशा आम लोगों की तरह व्यवहार करने वाले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पीएम नरेंद्र मोदी के अभिनंदन में कोई कसर नहीं छोड़ी। चाहे फिर वो किसान की मोदी को पगड़ी पहनाना हो या फिर  स्मृति चिन्ह और अभिनंदन पत्र का वाचन ही क्यों न हो। शिवराज के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। अपने उद्बोधन में भी शिवराज ने मोदी की तारीफ के लिए उनकी सरकार के योजनाओं और कार्यक्रमों का हवाला दिया। प्रदेश के इतिहास में ये पहला मौका था जब लाल परेड और जम्बूरी के कीर्तिमानों को ध्वस्त कर बड़ी संख्या में किसान किसी दूसरे कार्यक्रम में एक पंडाल के नीचे जमा हुए। शिवराज का अंदाज वही था जो माइक संभालने के बाद आमतौर पर देखा जाता है।

यानी धाराप्रवाह भाषण और जनता से अपनी और मोदी सरकार की उपलब्धियों पर तालियां बजवाकर मुहर लगवाना। इस दौरान पूरे पंडाल में मोदी-मोदी के नारे यदि लगते रहे तो शिवराज ने देश-दुनिया का जिक्र कर मोदी-मोदी के नारे खुद भी लगाए। इस कार्यक्रम में परंपरा के अनुसार मप्र गान का नहीं होना और अमित शाह के खास सिपहसालार कैलाश विजयवर्गीय की गैरमौजूदगी चर्चा में रही। मंच पर केंद्रीय नरेंद्र तोमर, थावरचंद्र गहलोत, तो पंडाल में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा शिवराज की पूरी कैबिनेट के बीच बैठे नजर आए। मोदी को देखने और सुनने के लिए किसान जरूर बेताब नजर आए लेकिन देश के पीएम के तौर पर शेरपुर का उनका भाषण तथ्यात्मक, उपलब्धियों और सरकार की दिशा दिखाने वाला रहा जबकि लोगों को इस डायनामिक मोदी से कुछ और ही अपेक्षाएं थीं। लेकिन सरकारी कार्यक्रम की बाध्यता की वजह से वो जोश मोदी में देखने को नहीं जिसने उन्हें दूसरे नेताओं ही नहीं प्रधानमंत्रियों से भी अलग स्थापित किया है। मोदी ने जिस तरह शिवराज की ओर हाथ बढ़ाया उसके बाद ये सवाल खड़ा होना लाजमी है कि क्या दोनों के दिल इसकदर मिल गए हैं कि वो मिलकर अपनी-अपनी भूमिका में 2022 का संकल्प पूरा करेंगे।

No comments

सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com