ये हैं महिला DSP जो बेटी को लेकर निकलती है गश्त पर
प्रदेश में महिला अधिकारों को लेकर कुछ दिनों पहले एक सर्वे कराया गया था, इस सर्वे में महिला पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के दौरान होने वाली व्यावहारिक समस्याओं की बात उठी थी.
कहा जाता है कि महिलाएं किसी भी काम में मर्दों से पिछे नहीं हैं इस बात को सही साबित करती हैं रायपुर में क्राइम ब्रांच में डीएसपी की जिम्मेदारी संभाल रही अर्चना झा.
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार अर्चना झा का कहना है कि ड्यूटी में महिला और पुरुष केवल अफसर होते हैं, फिर भी प्राकृतिक असामानता की वजह से समस्या तो आती है.
डीएसपी अर्चना ने कई बातों के खुलकर जवाब दिए.
- रायपुर में क्राइम ब्रांच में डीएसपी की जिम्मेदारी संभाल रही अर्चना झा का मानना है कि ड्यूटी में महिला और पुरुष केवल अफसर होते हैं, फिर भी प्राकृतिक असामानता की वजह से समस्या तो आती है।
- सेंट्रल में दो साल की मैटर्निटी लीव मिलती है, राज्य में यह सिर्फ 6 माह है। अर्चना के मुताबिक, उनके समय यह छुटि्टयां केवल साढ़े चार महीने की थी। कवर्धा में प्रेग्नेंसी के अंतिम समय में मुख्यमंत्री के सात कार्यक्रम एक ही दिन में निपटाए। अंत तक फील्ड में काम किया, इसलिए कई तकलीफें हुईं।
- वे कहती हैं कि महकमे से सपोर्ट तो मिला, लेकिन कुछ दिक्कतें खुद ही उठानी पड़ती हैं। अर्चना हफ्ते में दो दिन नाइट गश्त पर रहती हैं। उनके पति की जॉब बिलासपुर में है ऐसे में बेटी को घर पर छोड़कर जाना संभव नहीं होता। इसलिए उसे लेकर गश्त पर निकलती हैं।
- कई बार पूरी रात बाहर रहना पड़ता है ऐसे में बिटिया भी उनके साथ रहती है। वे बताती हैं कि महिला पुलिस को वर्क प्लेस पर वॉशरूम नहीं मिलना बहुत बड़ी समस्या है।
साभार :- दैनिक भास्कर डॉट कॉम से
कहा जाता है कि महिलाएं किसी भी काम में मर्दों से पिछे नहीं हैं इस बात को सही साबित करती हैं रायपुर में क्राइम ब्रांच में डीएसपी की जिम्मेदारी संभाल रही अर्चना झा.
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार अर्चना झा का कहना है कि ड्यूटी में महिला और पुरुष केवल अफसर होते हैं, फिर भी प्राकृतिक असामानता की वजह से समस्या तो आती है.
डीएसपी अर्चना ने कई बातों के खुलकर जवाब दिए.
- रायपुर में क्राइम ब्रांच में डीएसपी की जिम्मेदारी संभाल रही अर्चना झा का मानना है कि ड्यूटी में महिला और पुरुष केवल अफसर होते हैं, फिर भी प्राकृतिक असामानता की वजह से समस्या तो आती है।
- सेंट्रल में दो साल की मैटर्निटी लीव मिलती है, राज्य में यह सिर्फ 6 माह है। अर्चना के मुताबिक, उनके समय यह छुटि्टयां केवल साढ़े चार महीने की थी। कवर्धा में प्रेग्नेंसी के अंतिम समय में मुख्यमंत्री के सात कार्यक्रम एक ही दिन में निपटाए। अंत तक फील्ड में काम किया, इसलिए कई तकलीफें हुईं।
- वे कहती हैं कि महकमे से सपोर्ट तो मिला, लेकिन कुछ दिक्कतें खुद ही उठानी पड़ती हैं। अर्चना हफ्ते में दो दिन नाइट गश्त पर रहती हैं। उनके पति की जॉब बिलासपुर में है ऐसे में बेटी को घर पर छोड़कर जाना संभव नहीं होता। इसलिए उसे लेकर गश्त पर निकलती हैं।
- कई बार पूरी रात बाहर रहना पड़ता है ऐसे में बिटिया भी उनके साथ रहती है। वे बताती हैं कि महिला पुलिस को वर्क प्लेस पर वॉशरूम नहीं मिलना बहुत बड़ी समस्या है।
साभार :- दैनिक भास्कर डॉट कॉम से
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