महबूबा सरकार से मोदी खुश नहीं, J&K में लग सकता है राज्यपाल शासन
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में 50 दिन से विरोध-प्रदर्शन जारी है। जम्मू-कश्मीर में हालात सुधारने के लिए केंद्र सरकार कड़े कदम उठाने की तैयारी में है। कश्मीर घाटी में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद बिगड़े हालात में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को दो दिवसीय दौरे पर श्रीनगर पहुंचे।
ग्रीष्मकालीन राजधानी पहुंचने पर उन्होंने सेना, अर्द्धसैनिक बलों एवं राज्य पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक कर कश्मीर में सुरक्षा हालात का जायजा लिया। राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि जिस व्यक्ति का ‘कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत’ में विश्वास है, सरकार ऐसे सभी पक्षों से बातचीत के लिए तैयार है।
लग सकता है राज्यपाल शासन
कश्मीर घाटी में लगतार जारी हिंसा से निपटने के लिए मोदी सरकार ने कड़े कदम उठाने की तैयारी कर ली है। इसके तहत राज्य में राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है। दरअसल केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के हालात सुधारने के लिए जिम्मेदारी राज्य की पीडीपी-भाजपा सरकार को सौंपी थी लेकिन केंद्र अब ज्यादा इंतजार नहीं करेगा। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह के कश्मीर से वापिस दिल्ली आने के बाद ही केंद्र सरकार कड़ा फैसला करने की तैयारी में है।
केंद्र सरकार का मानना है कि 60 लोगों पर कार्रवाई के बाद हालात पर काबू में पाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार केंद्र के सामने ये भी विकल्प हैं, इनमें एक विकल्प वहां पर राज्यपाल शासन लगाना भी हो सकता है। राज्यपाल को बदलना भी एक विकल्प है जिस पर विचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राज्य के विपक्षी दलों के नेताओं की मुलाकात को इस दिशा में काफी सकारात्मक पहल माना जा रहा है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद से ही हिंसा का दौर जारी है। घाटी में हिंसा को लेकर पिछले दिनों पीएम मोदी की अगुवाई में एक सर्वदलीय बैठक हुई थी, जिसमें शांति बहाली को लेकर कश्मीर के लोगों के साथ-साथ सभी दलों से बातचीत की पहल की गई थी। इसी कड़ी में राजनाथ सिंह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं और वहां तमाम बुद्धिजीवियों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मुलाकात कर रहे हैं।
ग्रीष्मकालीन राजधानी पहुंचने पर उन्होंने सेना, अर्द्धसैनिक बलों एवं राज्य पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक कर कश्मीर में सुरक्षा हालात का जायजा लिया। राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि जिस व्यक्ति का ‘कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत’ में विश्वास है, सरकार ऐसे सभी पक्षों से बातचीत के लिए तैयार है।
लग सकता है राज्यपाल शासन
कश्मीर घाटी में लगतार जारी हिंसा से निपटने के लिए मोदी सरकार ने कड़े कदम उठाने की तैयारी कर ली है। इसके तहत राज्य में राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है। दरअसल केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के हालात सुधारने के लिए जिम्मेदारी राज्य की पीडीपी-भाजपा सरकार को सौंपी थी लेकिन केंद्र अब ज्यादा इंतजार नहीं करेगा। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह के कश्मीर से वापिस दिल्ली आने के बाद ही केंद्र सरकार कड़ा फैसला करने की तैयारी में है।
केंद्र सरकार का मानना है कि 60 लोगों पर कार्रवाई के बाद हालात पर काबू में पाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार केंद्र के सामने ये भी विकल्प हैं, इनमें एक विकल्प वहां पर राज्यपाल शासन लगाना भी हो सकता है। राज्यपाल को बदलना भी एक विकल्प है जिस पर विचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राज्य के विपक्षी दलों के नेताओं की मुलाकात को इस दिशा में काफी सकारात्मक पहल माना जा रहा है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद से ही हिंसा का दौर जारी है। घाटी में हिंसा को लेकर पिछले दिनों पीएम मोदी की अगुवाई में एक सर्वदलीय बैठक हुई थी, जिसमें शांति बहाली को लेकर कश्मीर के लोगों के साथ-साथ सभी दलों से बातचीत की पहल की गई थी। इसी कड़ी में राजनाथ सिंह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं और वहां तमाम बुद्धिजीवियों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मुलाकात कर रहे हैं।
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