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जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर अफसरमेस में खुद को उड़ा लेना का था प्लान

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित आर्मी हेडक्वॉर्टर पर रविवार को सुबह साढ़े 5 बजे हुए आतंकी हमले में 17 जवान शहीद हो गए. सैन्य बलों ने जवाबी कार्रवाई में सभी चार आतंकियों को मार गिराया. हाल के वर्षों में यह सैन्‍य बलों पर सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है.

सुरक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उरी हमले में सीमा पार बैठे आतंकियों के आकाओं ने तीन बड़ी योजनाएं बनाई थीं, इसके तहत ही सेना के कैंप पर फिदायीन हमला किया गया. पहली योजना थी कि निहत्थे और सोते हुए जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर ज्यादा से ज्यादा जवानों को मारा जाए.

इसके बाद बटालियन हेडक्वार्ट्स के प्रशासनिक ब्लॉक में मेडिकल एड युनिट में घुसकर वहां खूनखराबा करना और इसके बाद अंत में ऑफिसर मेस में घुसकर खुद को उड़ा लेना. हालांकि पैरा स्पेशल फोर्सेज़ को प्रशासनिक ब्लॉक में उतारे जाने के फैसले की वजह से आतंकी अपने इन नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए.

स्पेशल फोर्सेज़ ने आतंकवादियों को प्रशासनिक ब्लॉक में ही सीमित कर दिया और तेज़ी से किए ऑपरेशन में खत्म कर दिया. कुछ ही घंटों के अंदर ही चारों आतंकी को मार गिराया. वैसे इससे पहले ही निहत्थे सैनिकों पर गोलीबारी से काफी नुकसान हो चुका था.

आतंकवादियों ने बटालियन हेडक्वार्टर के फ्यूल डिपो में ढेरों ग्रेनेड फेंककर आग लगा दी थी. इससे लगभग सौ मीटर के दायरे में भीषण आग लग गई, जिसमें अधिकतर सैनिकों की जान गई.

उधर, खुफिया सूत्रों को यह आशंका जता रहे हैं कि उरी पर हुआ आतंकी हमला जैश-ए-मोहम्मद के अफजल गुरु स्क्वैड ने किया है. खास बात यह है कि यही आतंकी स्क्वैड है, जो पठानकोट हमले के लिए भी ज़िम्मेदार है. खुफिया एजेंसियों को आशंका थी कि पठानकोट हमले के नाकामयाब होने के बाद मसूद अजहर खुद को साबित करने के लिए कोई बड़ा आतंकी हमला करेगा.

आतंकवादियों के पास से बरामद नक्शों में पश्तून भाषा में लिखी मार्किंग्स भी मिली हैं. इसकी जांच एजेंसी कर रही है. सेना और दूसरी एजेंसी इस बात की जांच का रही की कैसे आतंकियों के पास बटालियन हेडक्वार्टर की इतनी डिटेल्स कैसे पहुंची.

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